गीली मिट्टी पर पैरों के निशान, लम्बी डगर है, लम्बा सफ़र है- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Sunday, September 5, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका  राज  
 
अब खेलगढ़ के छपने जाने के कारण थोड़ा समय मिलने लगा है। अब फिऱ से हमने राजतंत्र में कुछ अच्छा लिखना शुरू किया है।ब्लाग चौपाल में भी अब ज्यादा समय दे पा रहे हैं। चलिए देखे कौन से ब्लागर क्या फरमा रहे हैं। 
गीली   मिट्टी   पर   पैरों   के निशान!!    मनोज कुमार    गीली मिट्टी पर पैरों के निशान   गुजरा है कोई इस राह से   कल शाम घिरे थे बादल   बारिश भी हुई   आज निकली है हल्की धूप   कच्चा रास्ता,   रात के बरसे...
खूबसूरत बनायेगें , दुनिया की झांकी                                                                आज मेरे जन्म दिन पर  बहुत सारे बधाई संदेश प्राप्त हुए .बधाई संदेश भेजने वाले  अधिकांश लोग मेरे ब्लाग जगत...
मैं मास्टर नहीं हूं न व्यंग्य का न ब्लॉगिंग का मैं सदा बने रहना चाहता हूं विद्यार्थी जिससे सीखता रहूं सदा। 
धनुष किसने तोडा ?     एक दिन सरपंच साहब को जाने क्या सूझी कि चल पड़े स्कूल की ओर। यह जानने कि गांव  के बच्चों का आईक्यू कैसा'क है। स्कूल पहुंचे तो एक भी अध्यापक कक्षा में नहीं।  घंटी के पास उनींदे से बैठे ...
नशे में चूर इन्स्पेक्टर ने किया खाकी को फिर शर्मसार... एक गाड़ी को मारी टक्कर  ...रोहिणी में मुख्य चोक पर जमकर काटा बबाल...क्या पुलिस के पुब्लिक सबकों  दिखाई दोष ओर दी जमकर गलियां..रोहिणी पुलिस ने इन्स्प...
मुक्तिका:  किस चरण का अनुकरण   संजीव 'सलिल' * किस चरण का अनुकरण जन-जन करे. हर चरण के आचरण हैं जब बुरे..    गले मिलते मुस्कुराते मीत कह पीठ पीछे हाथ में थामे छुरे..   हैं बुरे, बनते भले जो आजकल. हैं भले जो आज...
पिछले चार छह दिनों से शहर के बाहर थी , बाहर होने पर ही मुझे कभी कभार टी वी  देखने का मौका मिल जाया करता है। आज सुबह आते वक्त भी जी न्यूज चैनल पर एक  कार्यक्रम चलता पाया , जो अति उत्साह में एक वैज्ञानिक स्...
चोर-चोर मौसेरे भाई...  आईएएस अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल की बहाली की सुर्खियां अभी शांत भी नहीं हो पाई है कि मालिक मकबूजा कांड के आरोपी नारायण सिंह को पदोन्नति देने पूरा रमन सरकार आमदा है। क्या छत्तीसगढ़ भ्रष्ट ...
महेन्द्र मिश्र की- चिट्ठी चर्चा : खेलों के साथ नाटक व नृत्यों का भी चलेगा दौर ...और क्या क्या होगा मेरे मौला ... आज रविवार का दिन और ऊपर से हमारे गुरुओं का दिन हैं जिसके कारण व्यस्तता कुछ  अधिक ही थी ... कुछ समय निकाल कर आज मैंने कुछ चिट्ठों को पढ़ने का प्रयास किया  तो सोचा की क्यों न इन चिटठों की ही एक लाइना चिट्ठी चर...
आज रविवार का दिन और ऊपर से हमारे गुरुओं का दिन हैं जिसके कारण व्यस्तता कुछ  अधिक ही थी ... कुछ समय निकाल कर आज मैंने कुछ चिट्ठों को पढ़ने का प्रयास किया  तो सोचा की क्यों न इन चिटठों की ही एक लाइना चिट्ठी चर...  
कल फिर मिलेंगे 
 दी हुई नींद: ख़्वाब देखे कोई और: "मेरे साथ ही ख़त्म नहीं हो जायेगा सबका  संसार मेरी यात्राओं से ख़त्म नहीं हो जाना है सबका सफ़र अगर अधूरी है मेरी  कामनाएं तो हो सकता है तुममें..."  सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आग...
डॉ.सत्यजीत साहू   बता रहे हैं- How ashram was run 
 
 अच्छा तो  हम  चलते हैंHow ashram was run :A Hidden Pattern   "Osho,  The other day I came through the gates with an Indian sannyasin and he was  turned away by the guard with no reason given. When I spoke to Laxmi about  it, sh...
जापान, तरक्की का दूसरा नाम। एक ऐसा देश जिसने सालों-साल तरह-तरह के अजूबे  आविष्कारों को जन्म दिया। भिन्न-भिन्न प्रकार के रोबोट, मशीनें, कम्पयूटर, टच  स्क्रीन और न जाने किस-किस चीज की वहाँ इजाद हुई। पर वहीं अज.. 
आज के वक्त में शिक्षा ने अपना एक अलग मुकाम बना लिया है .अब हर बच्चे के लिए  शिक्षा का क्या महत्त्व है ये ज्यादातर सभी को  पता है मगर कभी वो भी वक्त था  कि सिर्फ लड़कों को ही शिक्षा के योग्य समझा जाता था और लड...
रचना दीक्षित बता रही हैं- प्रेमिका प्रेमिका  एक प्रेमिका हूँ मैं  हर पल तुम्हारा  और  तुम्हारे स्पर्श का साथ  कितने  अधीर हो उठते   तुम मेरे बिन  फिर तुम्हारी उँगलियों पर   थिरकती मैं   तुम्हारे अधर  पर विराजती   तुम्हारी सांसों में घुलती मेर...
प्रेमिका  एक प्रेमिका हूँ मैं  हर पल तुम्हारा  और  तुम्हारे स्पर्श का साथ  कितने  अधीर हो उठते   तुम मेरे बिन  फिर तुम्हारी उँगलियों पर   थिरकती मैं   तुम्हारे अधर  पर विराजती   तुम्हारी सांसों में घुलती मेर...     
  प्रेमिका  एक प्रेमिका हूँ मैं  हर पल तुम्हारा  और  तुम्हारे स्पर्श का साथ  कितने  अधीर हो उठते   तुम मेरे बिन  फिर तुम्हारी उँगलियों पर   थिरकती मैं   तुम्हारे अधर  पर विराजती   तुम्हारी सांसों में घुलती मेर...
प्रेमिका  एक प्रेमिका हूँ मैं  हर पल तुम्हारा  और  तुम्हारे स्पर्श का साथ  कितने  अधीर हो उठते   तुम मेरे बिन  फिर तुम्हारी उँगलियों पर   थिरकती मैं   तुम्हारे अधर  पर विराजती   तुम्हारी सांसों में घुलती मेर...चिकन खाते हो मछली क्यों नहीं खाते? उसमें कांटे होते हैं। चप्पलें पहन के खा लिया करो। 
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की बात अगर केन्द्र सरकार मान लेती है  तो कम से कम अपने राज्य छत्तीसगढ़ के तो सैकड़ों पत्रकार जरूर गरीबी रेखा के  नीचे आ जाएंगे। इन दिनों पत्रकारों के बीच इस बात को लेकर...
कल फिर मिलेंगे
 
3 comments:
बहुत बढ़िया चर्चा ..काफी अच्छे लिंक मिले .. .. बधाई...
बहुत सुन्दर और सटीक चर्चा ……………काफ़ी लिंक मिले……………आभार्।
बहुत सुन्दर चौपाल सजी है ..आभार .
Post a Comment