ललित शर्मा दिखे और गायब हो गए... , नया तो तब हो "गर तुम लौट आओ.....!!"- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Sunday, September 26, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
तबीयत कुछ ठीक हो गई है, कल छुट्टी के दिन जतमई की सैर भी हो गई थी, हरियाली देखकर तबीयत अब हरी-भरी हो गई है। कल छूरा जाते समय सोचा था कि अभनपुर में ललित शर्मा जी से मिल लिया जाए, लेकिन समय की कमी के कारण ऐसा नहीं कर पाए.. बहरहाल चलिए देखे आज हमारे ब्लाग मित्रों के ब्लाग में किस तरह के रंग हैं....
दो दिन पहले की बात है, हम प्रेस से रोज की मीटिंग के बाद करीब 12 बजे लौट रहे थे। अचानक सिविल लाइन के पास पीछे से आवाज आई, साँई..., हम समझ गए कि ये अपने ललित शर्मा जी हैं। हमें इस तरह से और कोई आवाज नहीं द...
लोग कहते हैं कि अब मेरे लिखने में नही रही वो बात जो पहले थी। कैसे बताऊँ उन्हे, कि लिखना तो दर्द से होता है। और मेरा दर्द तो बहुत पुराना हो गया है अब, इतना .... कि अब ये दर्द हो गया है साँसों की तरह सहज और अ...
दो हफ्ते पहले एक मित्र का फोन आया कि एक हिन्दी सीरियल बना रहा हूँ, जरा आ जाना, कुछ बात करना है. वैसे वो पहले भी यहाँ फिल्म वगैरह बना चुका है. मौका देख कर पहुँचे उसके दफ्तर तो हाल चाल लेने के बाद उसने एक सा...“साहब सिर्फ़ एक बर्थ दे दीजिए,छोटे बच्चे साथ में हैं,मुंबई तक जाना है, प्लीज”- एक यात्री काले कोट वाले साहब के सामने गिड़ गिड़ा रहा था। उसके पीछे 15 लोगों की लाईन और लगी हुई थी। टी टी साहेब गर्दन ऊंची किए पे...
जीवन की कुछ और सच्चाईयों से रूबरू करने की कोशिश में पेश है कुछ और नए शेर.....* *कहते हो तुम आते क्यों नहीं* *दिल से हमें बुलाते क्यों नहीं* *सबको टिप्स दिया करते हो * *खुद को भी समझाते क्यों नहीं* *अगर ...
ग़ज़ल :* मच रहा है मुल्क में कोहराम क्यों , राजपथ पर बुत बने हैं राम क्यों ? रोज आती है खबर अखवार में , लूट, हत्या , ख़ौफ , कत्लेयाम क्यों ? मन के भीतर ही खुदा है, राम है , झाँक लो मिल जायेंगे ,प्रमाण क्...
रचना दीक्षित की एक रचना- सवा सेर
सवा सेर कुदरत से न डरने वाले घूम, रहे हैं शेर से देखो आफत बरस रही है, अम्बर की मुंडेर से. जो कुछ भी जोड़ा सबने था, खून पसीना पेर के देखो कैसे गटक रहा जल अन्दर बाहर घेर के. सब कुछ बदल गया पलभर में, न...
सवा सेर कुदरत से न डरने वाले घूम, रहे हैं शेर से देखो आफत बरस रही है, अम्बर की मुंडेर से. जो कुछ भी जोड़ा सबने था, खून पसीना पेर के देखो कैसे गटक रहा जल अन्दर बाहर घेर के. सब कुछ बदल गया पलभर में, न...जिन्हें हम अपना समझते हैं गर आँखों में उनकी झाँककर देखते हैं तो दिखता क्यों नहीं आँखों में उनके प्यार? एक पल तो सब अपने से लगते हैं पर दूजे पल ही क्यों हजार रंग बदलते हैं सोचकर आघात लगता दिल को कि जो हमारे ...
भाजपा के लिए मुसीबत बनी, चावल, दारु और भ्रष्टाचार 1 अक्टूबर को मतदान 4 को गणना भटगांव उपचुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रही खंदक की लड़ाई अंतिम चरण पर पहुंच गई है। कांग्रेस ने जहां जबरदस्त एकता का ...
बस स्टॉप पर भतेरी को छेडते हुये, फत्तू - मुझसे शादी करोगी?* *भतेरी - क्या?????* *फत्तू - अच्छी मूवी है ना।* *भतेरी - कुत्ते के बच्चे* *फत्तू - क्या?????* *भतेरी - कितने क्यूट होते हैं ना।* * ------------..
क्या आप विश्वसनीय हैं? यह प्रश्न मेरे आसपास हमेशा खड़ा हुआ रहता है। कभी पीछा ही नहीं छोड़ता। बचपन से लेकर प्रस्थान के नजदीक भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा है। कभी पिताजी पूछ लेते थे कि तुम विश्वसनीय संत...
कल फिर मिलेंगे
5 comments:
कहां गायब हो गए भाई,
हम तो यहीं मौजुद है।
देखो टिपिया भी रहे हैं,
बहुत अच्छे लिंक्स से सजी अच्छी चौपाल
चौपाल पर हमारा अदना सा ब्लाग भी अपनी मुढ्ढी लेकर आ बैठा है, कोशिश कर रहे हैं कि सभी की बाते सुन भी लें और पढ़ भी ले। सभी किसान भाइयों को राम राम। चौपास बिछाने के लिए आपका आभार।
आज तो काफ़ी अच्छे लिंक्स लगाये हैं………………आभार्।
अच्छी रही यह चौपाल... इन लिनक्स पर जाना होगा...... :)
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