Powered by Blogger.

अबे तुम पत्रकार क्या घुटना दिमाग होते हो? - बे-बात पर ही खफा होगा ''राज़''-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Monday, May 2, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
एक मित्र का फोन आया और उसने एक सवाल दाग दिया कि क्या तुम पत्रकार घुटना दिमाग होते हो? हमने पूछा अबे हुआ क्या है जो तू इतना भड़का रहा है? उसने कहा होना क्या है, जब देखो बस तुम लोग अपने को ही तीस मार खां समझ...
 
दस व्यक्तियों के समझदार परिवार में समाधान-समृद्धि का वैभव होता है। ऐसे दस समझदार परिवार एक-एक व्यक्ति को अपने में से निर्वाचित करते हैं, जो परिवार-समूह सभा को गठित करता है। ऐसे दसों व्यक्तियों का अधिकार सम... 
 
जिस तरह से अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को अमेरिका के विशेष अभियान दल ने पाकिस्तान में सरकार और सेना की नाक के नीचे एक बेहद साधारण और सफल अभियान में मार गिराया है उससे भारत की इस बात की एक ब... 
 
गर्भनाल** का ५४ वां इन्टरनेट संस्करण आ चुका है. इस बार मेरा व्यंग्य आलेख ’अंतिम तिथि’ प्रकाशित हुआ है. अभी तक कहीं और नहीं छपा है. आप भी पढ़िये:* सुबह सुबह भईया जी के यहाँ पहुँचा. बड़ी गमगीन मुद्रा में

राजनीति में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है लेकिन साहित्य में यह कभी मुद्दा ही नहीं रहा। यहां तक संपूर्ण क्रांति आंदोलन के समय नागार्जुन ने भ्रष्टाचार पर नहीं संपूर्ण क्रांति पर लिखा,इन्दिरा गांधी पर लिखा। जब...
 
जिंदा हूं मैं, परिंदा नहींलादेन मरा नहीं है मर नहीं सकता लादेन कभी जिंदा रहेगा सदा वो चाहे तो पुतले जलाकर देख लो उसे करंट लगाकर देख लो देख तो वो भी रहा है सबको ऊपर से, आसमान से बैठकर किसी यान में अपन... 
 
एक छोटा सा मगर निहायत ही ज़रुरी सवाल्।अमेरिका ने तो ओसामा को मार कर अपने देश पर हुये हमले का बदला ले लिया।क्या हम मुम्बई ब्लास्त के आरोपी दाऊद को मार कर ऐसा कर सक्ते हैं?जब तक़ इस देश मे दिग्गी जैसे नेता ह... 
 
आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं हिंद मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव उमराव मल पुरोहित ने कहा कि कर्मचारियों और मजदूरों की मांगों के प्रति रेल मंत्रालय लगातार नकारात्मक रुख अपनाए हुए है...
 
अरे...? दस दिन बीत गए, कोई रचना पोस्ट नहीं कर पाया. कई बार ऐसे हालत बन जाते हैं, की चाहते हुए भी ब्लॉग-लेखन या ''देखन'' नहीं हो पाता. खैर, आज मौका मिला है. इन दिनों कन्या-भ्रूण-ह्त्या पर कुछ-न-कुछ देख-सुन...
 
फोन पर रवीन्द्र जी का निमंत्रण मिला - " दिव्या जी , आपको सर्वश्रेष हिंदी ब्लॉगर के लिए चयनित किया गया है , ३० अप्रैल को सम्मलेन में आपकी उपस्थिति अपेक्षित है " हे भगवान् , इतना बड़ा सम्मान , मुझ जैसे अदना...
 
रोज़ सुलगने से अच्छा है धूं धूं कर जल जाने दो ....शायद यह मेरी पहली और आखरी विवादित पोस्ट हो
रोज़ सुलगने से अच्छा है धूं धूं कर जल जाने दो ....शायद यह मेरी पहली और आखरी विवादित पोस्ट हो रोज़ सुलगने से अच्छा है धूं धूं कर जल जाने दो ....पढने में यह कथन बहुत, बहुत बहतरीन, और मधुर लगते है, हम समझते ...
 
फिल्म जो गुरु घासी सी दास के ऊपर बन रही थी
गुरुदेव के छाया में गप्पू अमित सत्तू एक मई २०११,आज रविवार सत्संग का दिन है .मै आज थोडा लेट पांच बजे ध्यान केंद्र आया .गप्पू भैया ने दोपहर से आकर कूलर ठीक कर वाया है .सूरज आकर माताजी को बाजार करवाने क...
 
भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हल्ला- हंगामा चाहे जितना हो, हकीकत यह है कि यह जुबान लगातार सिमटती जा रही है। पीढ़ियों की कड़ी मेहनत से गढ़े गए उसके जरूरी और विकल्पहीन शब...
 
बे-बात पर ही खफा होगा ''राज़''
बे-बात पर ही खफा होगा ''राज़'' या शायद भूल गया होगा ''राज़'' नाम का ही तो काफिर था बस दिल में उसके खुदा होगा ''राज़'' वो शाम छत पे टहल गयी होगी चाँद सहर तक जगा होगा ''राज़'' हिचकियाँ रात भर आती रहीं य...
 
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 

लोग तिलमिलाते क्यूँ है ?-मैं प्रधानमंत्री बनी तो देश का लुक बदल दूंगी -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Sunday, May 1, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज  
महज 13 साल की लड़की सड़क पर किसी आदमी को पोलीथीन फेंकते देखकर कहती है कि अगर मैं कभी देश की प्रधानमंत्री बनी तो देश का पूरा लूक ही बदल दूंगी। यह लड़की और कोई नहीं बल्कि हमारी बिटिया स्वप्निल राज ग्वालानी ह...
शिक्षा में विकल्प
जय हो! मंगल हो! कल्याण हो! मैं स्वयं को अपने बंधुओं के बीच पा कर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। आप हम जो यहाँ मिले हैं यह एक संयोग और सद्-बुद्धि की बात है। सद्-बुद्धि के पक्ष में आगे बढ़ने का यहाँ प्रस्ताव... 

लोग तिलमिलाते क्यूँ है ? -- एक विश्लेषण .
नित्य प्रतिदिन आस-पास के परिवेश में लोगों को बात-बात पर तिलमिलाते हुए देखती हूँ , कहीं संसद में विवाद उठ खड़ा होता है और लोग गली गलौज पर उतर आते हैं , कहीं रेल-यात्रा करते समय भड़क उठते हैं और सहयात्री को रे...
हालांकि ख़बर तो कुछ यूं बननी चाहिए थी कि खुशदीप जी ने छोड़ दी है हिंदी ब्लॉगिंग। लेकिन यह एक झूठी बात होती। आदमी आवेश में आकर ग़लत फ़ैसले ले ही लेता है और फिर जब उसे अहसास होता है कि वह गुस्से में आकर अपन.

पुरस्‍कार से अल्‍लाह मियां का का ताल्‍लुक है भइया ? बतलाय देय हम सबसे बड़ा रूपैया और वही नहीं मिला बनने गए थे छब्‍बे जी दुबे जी रह गये चौबे जी चना चबाते रह गए। पूरा पढ़ने और आनंद लेने के लिए, ब्‍लॉ...
मुझसे किसी ने कल या परसों पूछा कि क्या मैं गजल वजल भी लिखता हूँ ..मेरा जवाब अक्सर यही होता है *नहीं* और यह बिलकुल सच जवाब है ...मैं जिस शुष्क और असंवेदनशील माहौल में काम करता हूँ वहां ऐसी रचनात्मकता के लि... 
कल के समाचारों में आपने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की पूर्व वैज्ञानिक डॉ. उमा राव की आत्महत्या की खबर सुनी होगी। एक महत्वहीन खबर की तरह इसे सुना दिया गया था, क्योंकि न तो इसमें राजनीतिक कारण शामिल थे ... 
अरे दीवानों! मुझे पहचानो।
यह किस हिन्दी ब्लॉगर का चित्र हो सकता है? * 
लखनऊ एक ‘पानी-लविंग’ सिटी है.यहाँ पर पानी खूब और हर तरह का मिलता है.यहाँ हैंडपम्प हैं, जेट पम्प हैं, नल हैं, टोटियाँ हैं जिनमे भरपूर पानी आता है. सड़कों पर बम्बे का भी इंतजाम है पर इस सबसे लोगों ...
हैं खुशी से चहचहाते आज सारे गिद्ध देखो फिर से उड़के दिल्ली जाते आज सारे गिद्ध देखो ॥१॥ रोज रोज खा रहे हैं नोच नोच भारती को हड्डियों से घी बनाते आज सारे गिद्ध देखो ॥२॥ श्वान को सियासती गली के द्वार पे बिठाके...
उम्र के साथ दुकान लगी है समस्याओं की घर का काम कैसे हो है सबसे कठिन आज | नित्य नए बहाने बनाना आए दिन देर से आना भूले से यदि कुछ बोला धमकी काम छोड़ने की देना हो गयी है रोज की बात | यदि कोई आने वाला हो जाने कै...
विश्वजीत सेन* प्रभात खबर (तारीख 29 अप्रैल 2011) में यह खबर आयी है कि इंगलैंड के राजकुमार प्रिंस विलियम और केट की शादी के मौके पर पटना के बच्चे शुभकामनाएं भेज रहे हैं। बाकायदा हेडलाइन बनाकर खबर दी गयी ह...
आज सारे देश में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है . आज देश में मजदूरों के हितों और अधिकारों के बारे में जमकर चर्चा कर लंबे चौड़ी बयानबाजी की जावेगी आज देश की आबादी एक अरब पच्चीस करोड़ हो गई है . भीषण मंहगाई के गर...
मोहब्बत कैसे होती है बता दे कोई हमे तो मोहब्बत ने हर कदम रुसवा ही किया किसी को कैसे अपना बनाया जाता है सिखा दे कोई हमे तो हर किसी ने हर कदम धोखा ही दिया कैसे पतझड मे गुलाब खिलाये जाते हैं उगा दे कोई हम...
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे

Good Bye...सबको राम-राम-अबे तेरा सम्मान नहीं हुआ क्या? -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Saturday, April 30, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
कल की बात है हम रास्ते में थे कि मोबाइल बज उठा। मोबाइल का बजना कोई अनोखा नहीं था, लेकिन कल मोबाइल उठाया तो उधर से आवाज आई अबे तेरा सम्मान नहीं हुआ क्या? एक बार हमें लगा कि यार ये तो अपने अनिल पुसदकर जी लगत...
 
डोन मैं डोन हूँ ग्यारह मुल्कों की पुलिस मुझे ढूंढ़ रही है. अलग मुल्क, अलग लोग, अलग उन्हें निपटाने के तरीके कैसे-कैसे पार लगाया उन्हें, कितने क़त्ल किये कितनों को मौत के घाट उतारा, कितनों को जिन्दा भून 
 
कसम खाई है कि कल दिल्ली में हुए प्रोग्राम के बारे में कुछ नहीं लिखूंगा...लिखूंगा क्या,हिंदी ब्लॉगिंग में तो संभवत मेरी ये आखिरी पोस्ट है...आप सब ने जो बीस महीने में मुझे इतना प्यार दिया, उसके लिए तहे दिल...
 
हुजूर हमारे पहाड़ में है कीमती पत्थर जिससे चमकती हैं आपकी कोठियां आपके बंगले आपके बड़े बड़े दफ्तर परिसर जहाँ पहुँच नहीं सकते हम कभी ! हमारी धरती के गर्भ में है लोहा अभ्रक एल्युमिनियम कोयला जिस से चलती ह...
 
चरक की यायावरी वाले अंदाज़ में भ्रमण करते हुए एक अति रोचक ब्लॉग पर पहुंची तो पाया वहां लिखा था..."लोगों को आभासी दुनिया में रिश्ते नहीं बनाने चाहिए , और यदि दुर्भाग्यवश बन भी जाएँ तो उन पर आलेख नहीं लिखना च...
 
गुरुदेव "आप जब छोटे थे तो क्या आप चिंता करते थे की आपका भोजन घर पर है की नहीं .आपको आपकी जरुरत की चीजे आपके माता पिता पूरी करते है इसी प्रकार हम सब अपने गुरुदेव के बच्चे है इसलिये चिंता की क्या बात है ....
 
परम वीर चक्र सैन्य सेवा तथा उससे जुड़े हुए लोगों को दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान है। यह पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है। 26 जनवरी 1950 से शुरू ...
 
अ *क्सर कहा जाता है कि साधु-सन्यासियों को राजनीति में दखल नहीं देना चाहिए। उनका काम धर्म-अध्यात्म के प्रचार तक ही सीमित रहे तो ठीक है, राजनीति में उनके द्वारा अतिक्रमण अच्छा नहीं। इस तरह की चर्चा अक्सर...
 
मंदार पर्वत, वही जिसे मथानी बना कर समुद्र-मंथन किया गया था। कहां है वह ? क्या उसका अस्तित्व है ? यदि उस मूक साधक को देखना चाहते हैं तो आपको बिहार के बांका जिले के बौंसी गांव तक जाना पड़ेगा। यह करीब सात सौ ...
 
छम्मकछल्लो नाम नहीं, काम की बात कर रही है- चंदा रे, चंदा रे, कहीं से जमीं पर आ, बैठेंगे, बातें करेंगे...! गीत गाने के लिए नहीं और न ही किसी चंदा नाम की किसी लडकी पर मरने के लिए. भाई असांजे ने जब से यह कह...
 
वन्दे मातरम* *की कहानी * **ये वन्दे मातरम नाम का जो गान है जिसे हम राष्ट्रगान के रूप में जानते हैं उसे *बंकिम चन्द्र चटर्जी* ने 7 नवम्बर 1875 को लिखा था | बंकिम चन्द्र चटर्जी बहुत ही क्रन्तिकारी विचारधार...
 
'क्रांति' का जंतर मंतर : अरुंधति रॉय
अण्णा हज़ारे के आह्वान पर हज़ारों लोग जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए थे। बीस साल पहले जब उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का दौर हम पर थोपा गया तब हमें बताया गया था कि सार्वजनिक उद्योग और सार्वजनिक संपत्ति म...
 
बहुत दिनों पहले किसी पुरवे में एक आदमी रहता था। वह अपनी जाति पंचायत का मुखिया था। बहुत अनुशासनप्रिय था और निर्मम दंड देने के लिये जाना जाता था। एक दिन उसे कुलदेवी का सपना आया - तुम दंड देने में बहुत निर्मम...
 
 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 
...
 

शब्द नहीं,चरित्र बोलता है! -सम्मान भी है बिकाऊ-अंटी में पैसा है तो आप भी करा ले भाऊ-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Friday, April 29, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
आप ब्लागर हैं, या पत्रकार हैं, या फिर कोई कलाकार या फिर सामाजिक या किसी भी क्षेत्र से जुड़े हैं। हम आपका सम्मान करवा सकते हैं, लेकिन उसके लिए आपको हमारी एक बात माननी पड़ेगी, आपको हमें कुछ डोनेशन देना होगा...
 
बहुत से लोगों की यह आम शिकायत होती है कि उन्हें कोई ठीक से समझ ही नहीं पा रहा ...आखिर अगले को कैसे किन शब्दों में समझाया जाय कि वह मुझे और मेरे दुःख दर्द को समझ जाय ...कई बार तो बात इतनी बिगडती जाती है कि ...
 
तस्वीर एक बनाई थी मोहब्बत की कभी , हर इक नक्श को पलकों से तब सँवारा था ! वफ़ा के रंग भर दिए थे हर एक गुंचे में , हर इक पंखुड़ी पे नाम बस तुम्हारा था ! चाँद से नूर चाँदनी से माँग ली थी हँसी , ज़मीं पे ...
 
समय गतिमान है , उसके साथ ही व्यक्ति और परिस्थिति दोनों बदलती रहती है। जो समय के साथ नहीं बदलता , वो बहुत पीछे छूट जाता है। प्रतिदिन और हर पल हम हज़ारों अनुभवों से दो-चार होते हैं । यदि हम में उन अनुभवों और ...
 
घंटी का स्वर पहचानी आवाज सड़क के उस पार करती आकृष्ट उसे | स्वर कान में पड़ते ही उठते कदम उस ओर रँग बिरंगे झम्मक लड्डू लगते गुणों क़ी खान | जल्दी से कदम बढाए अगर 
 
राष्ट्र-गान आये ना जिनको, वो संसद के पहरेदार। भारतवासी अब तो चेतो, लोकतंत्र सचमुच बीमार।। कहने को जनता का शासन, लेकिन जनता दूर बहुत। रोटी - पानी खातिर तन को, बेच रहे मजबूर बहुत। फिर कैसे उस गोत्र - मूल के, ...
 
अपनी ही महफ़िल में खड़ा मेहमान सा हूँ मैं, अपने इन हबीबों से भी तो हुआ अनजान सा हूँ मैं, अरे लोगों न करो गलती मुझे जिंदा समझने की, इस सीने के भीतर ज़रा बेजान सा हूँ मैं | मेरे फ़न ने दीं जब से मुझे बदनामिया...
 
आज की ये रात गुज़र जाने दे ..
Share आज की ये रात गुज़र जाने दे जितने भी आंसू दफ़न हैं सीने में सब इस गम पर बह जाने दे. तू न रोया तो, सकूँ ना मिलेगा तुझे कतरा - कतरा मन के लावे को आँखों से निकल जाने दे. ना टू...
 
शर्मा जी आधुनिकता का मजाक उड़ा रहे थे. आँखे गोल-गोल नचा रहे थे तभी फोन घनघना गया भरी मीटिंग को एक कॉल खा गया फोन उठते हीं मिसेज शर्मा ने नमस्कार किया अनमने ढंग से शर्मा जी ने नमस्कार सिव्कार किया पत...
 
कहने को तो पूर्णिमा बाजपेई इस कहानी की नायिका है, पर र्मैं उसे नायिका कैसे मान सकती हूं।मुझे तो हर दो की गिनती के बाद तीसरी लड़्की पूर्णिमाही नजर हीआती है।पूर्णिमा पूर्णिमा न होकर अनुराधा,योगदा,सलेमा,भाग्य...
 
विगत दिनों से भ्रष्टाचार पर खूब हमला हो रहा है, अन्ना हजारे जी का आंदोलन भी हुआ, मीडिया ने भी आंदोलन को खूब हवा दी. 4 दिनों बाद अन्ना की माँगे मान ली गयी, जैसे लगा जनता की कितनी बडी जीत हुई, चैनलों पर 9 अप...
 
चैनल और अखबार वाले ‘धौनी’ का नाम भी सही नहीं लिखते?: "देश के गिनती के अखबारों को छोड़कर लगभग सभी समाचार पत्र-पत्रिकाएं और और चौबीसो घंटे चलने वाले समाचार चैनल टीम इंडिया के कप्तान महेंद्रसिंह धौनी का नाम ग...
 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे 
 
 
 
 
 
 
 
 

रेप करो, शेप करो-नक्सली भी हैं रोल मॉडल -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Tuesday, April 26, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
जो नक्सली आज अपने देश के लिए नासूर बन चुके हैं उनको अगर कोई कहे कि वे हमारे रोल मॉडल हैं, तो वास्तव में यह दुखद बात होगी या नहीं? लेकिन इसका क्या किया जाए कि बस्तर के बच्चे नक्सलियों को ही अपना रोल मॉडल मा...
 
29अप्रैल 2011 को आयोजित हो रही है प्रेस कांफ्रेंस उसके बाद ताक धिना धिन बंटेंगे पुरस्‍कार हिंदी भवन में देखेगा हिंदी विश्‍व सारा हिंदी ब्‍लॉग जगत में फैलेगा खूब उजियारा करें प्रयोग चिट्ठा या चिट्ठाकार बतला...
 
टेलीविजन में बड़बोलापन महंगा पड़ता है। यहां जो ज्यादा बोलता है टीवी उसी को पीटता है। विधानसभा कवरेज पर आने वाली खबरों और टॉक शो में राज्य के ठोस राजनीतिक मसलों पर बहसें हो रही हैं। टेलीविजन 
कवरेज ने इसब..
 
अखबार में छपी खबर के मुताबिक पाकिस्तान की मुख्तार माई को उसके गैंग रेप पर न्याय नहीं मिला. पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को आगे बढाते हुए छह में से 5 को बरी कर दिया. एक उम्र कैद क...

नोयडा पुलिस ने १०० नंबर पर मदद मांगने या शिकायत करने वालों तक जल्दी ही पहुँचने के लिए नयी तकनीकि का पूरा प्रयोग करने पर प्रायोगिक स्तर पर अमल करने का फैसला किया है और यदि यह प्रयोग सफल रहा त...
 
पिछले एक महीने में भारतीय शेयर बाजारों में हुई आश्‍चर्यजनक बढत के बाद पिछले सप्‍ताह बाजार कुछ कमजोर पडा है , फरवरी में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से ४,५८५.५ करोड़ रुपये वापस निकाल लिए थे। क्‍यूंकि 201...
 
सुबह-सुबह कम्प्युटर का बटन दबा कर अंतरजाल से जुड़े ही था कि श्रीमती जी ने टेबल पर सरोता ला कर रख दिया। हम सरोता देखते ही समझ गए कि आज कैरियाँ जिबह करनी पड़ेगीं अचार के लिए। साथ ही उन्होने कह दिया कि पेड़ से ...
 
प्रतिकार का अधिकार ही हथियार है जन्तन्त्र का... और मूक बधिरों को यहाँ बस शोभती परतंत्रता.... है स्फुटित होता नही हुंकार हाहाकार से... है सीखनी अब अश्रुओं से आग जनने की कला.... है पर्वतों के सामने क्या धार स...
 
पर्यटन है तो होटल भी रहेंगे। अतिथियों को होटलों में ठहरने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए ऐसे प्रशिक्षित लोगों की मांग भी रहेगी जो सेवा- सत्कार में माहिर हों। लिहाजा, करियर के हिसाब से होटल मैनेजम...
 
आठ महीने के बाद पहली बार नौकरी लगी थी। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। बीएड का प्लान, सिविल सर्विस की तैयारी और पता नहीं किन-किन नौकरियों के सपने इन आठ महीनों में उसकी आंखों के सामने से गुज़र गए थे। जब नौ हज़...
 
तुम दो चीज मत करो .पहला बीसी और दूसरा शराब
गुरुदेव स्वामी चिन्मय योगी "सत्संग में मेरे दोस्त हबीब आये हुवे है हबीब सात आठ साल पहले भी ध्यान केंद्र आये हुवे है .गुरुदेव से उनका परिचय है .आठ साल पहले हबीब शहर के बड़े अंग्रजी के आध्यापक थे और उनकी कोच...
 
जिन लोगों को लिखने का ख़ाक पता नहीं है वे यहां बड़े ब्लॉगर बने बैठे हैं
एक आम ब्लॉगर की तरह मैं भी यहां कुछ अरमान लेकर आया था। हिंदी ब्लॉगिंग का मतलब मैं यही समझता था कि हम अपने विचार दूसरों के साथ शेयर करें और दूसरों के लेख पढ़कर हम लाभ उठाएं लेकिन धीरे-धीरे यह सच्चाई सामने...
 
छत्तीसगढ़ अंचल के प्रतिभाशाली कलाकार अपना असर राष्ट्रीय स्तर तक उस संख्या में नहीं जमा पा रहे हैं जिसके वे हकदार हैं। क्या उनकी प्रतिभा में कमी है या उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है या फिर भेदभाव क...
 
इस धरा का यह शाश्वत सत्य है कि यहां जो भी जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है। बच्चा जब भी जन्म लेता है तो यह अनिश्चित होता है कि वह बड़ा बन कर क्या बनेगा या क्या करेगा पर जन्म के साथ ही यह निश्चित हो जाता ...
 
झगडा मत करना झूठ मत बोलना अहंकार मत रखना विनम्रता का व्यवहार रखना मधुर वचन बोलना और अहिंसा का पालन करना आदि आदि ... ऐसे बहुतेरे उपदेश/संस्कार दिए जाते हैं , लेकिन कोई ये नहीं बताता की जब किसी स्त्री के साथ...
 
 
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 
 
.
 
 

एक अकेली सौदाई है-तुम्हारे होठों में दिखती प्यास है-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Friday, April 22, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज  
तुझे देख कर ही दिल बहक जाता है पूरी बोतल का नशा चढ़ जाता है शराब में भी कहा वो बात है तुम्हारे होठों में दिखती प्यास है फिर क्यों तुम्हारा मन उदास है आज तो हम तुम्हारे ही पास हंै करो लो आज मन की मुराद ...
जनजीवन ही सस्ता है बस केवल इस संसार में , एक अकेली सौदाई है मौत भरे बाज़ार में ! निकल पड़ी है चौराहों पर नंगे भूखों की टोली , धू-धू कर जल रही हाट में अरे अभावों की होली , घूम रहे सब दिशाहीन से पाने को दो कौर ...
मौन की भाषा अश्रुओं की वेदना और मिलन ? कैसे विपरीत ध्रुव कौन से क्षितिज पर मिलेंगे ध्रुव हमेशा अलग ही रहे हैं अपने अपने व्योम और पाताल में सिमटे सकुचाये मगर मिलन की आस ये तो मिलन का ध्रुवीकरण हो जा...
मैं तुम्हारी माँ हूँ
तुम्हारा उतरा हुआ चेहरा तुम्हारे कुछ भी कहने से पहले मुझसे बहुत कुछ कह जाता है , ऑफिस में तुम्हारी ज़द्दोजहद और दिन भर खटते रहने की कहानी तुम्हारी फीकी मुस्कुराहट की ज़बानी बखूबी कह जा...
कभी आकर तेरा मुझको तडपता छोड़कर जाना , मुझे है याद अबतक वो तेरा मुह मोड़कर जाना । मेरे आंसू मेरी आहों का मतलब क्या निकलता है ? बड़ा आसान था तेरे लिए दिल तोड़कर जाना । बुझा दो फूँक से अपनी हमारी जिन्दगी का लौ , ...
'तुम्हें देख कर पहली बार महसूस हुआ है कि लोग काफ़िर कैसे हो जाते होंगे. मेरे दिन की शुरुआत इस नाम से, मेरी रात का गुज़ारना इसी नाम से. मेरा मज़हब बुतपरस्ती की इजाजत नहीं देता पर आजकल तुम्हारा ख्याल ही मेरा...
शब्द और दिल दोनों धड़कते हैं दिल धड़कता है तो जिंदगी चलती है शब्द धडकते हैं तो समाज धड़कता है शब्द ही हैं जो समाज को जिंदगी का अहसास कराते हैं दिल है जो शरीर को ज़िंदा साबित करता है लेकिन दोस्तो...
तुम्हें सच में नहीं दिखते? दायें हाथ की उँगलियों के पोर...नीले हैं अब तक ना ना, सियाही नहीं है...माना की लिखती हूँ पर अब तो बस कीपैड पर ही तुम भूल भी गए फिर से तुम्ही ने तो मेरी पेन का निब तोड़ा था मुझसे...
जब निकलता है कोई दिल से दिल में बस जाने के बाद दर्द असहनीय होता है इनसे बिछड़ जाने के बाद जब कोई पास होता है उसकी क़दर नहीं होती कमी महसूस होती है बस इन जनाब के दूर चले जाने के बाद 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे 
 

रोमांस-सपनों की शहजादी-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Monday, April 18, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज

 
मेरी कल्पना में मेरे सपनों की शहजादी सुंदरता की ऐसी देवी जो सौन्दर्य को भी लजा दे गोरे मुखड़े पर उभरने वाली आभा मानो शीशे पर भास्कर का धीमा प्रकाश साथ में माथे पर चांद सी चमकती बिंदियां नयन ऐसे मा...
 
आदर्शवाद में “भक्ति” को लेकर कहा गया – ईश्वर को रिझाने के अर्थ में भजन और सेवा करना भक्ति है. ईश्वर रहस्यमय रहे आया. यहाँ मानव-संचेतना वादी मनोविज्ञान में कहा गया – मानव-संबंधों में मूल्यों को प्रमाणित करन...
 
कल राजधानी के दो कोच में आग लगी. आंकड़ों पर एक निगाह-- दो कोच में आग- ट्रेन चल रही थी- रात के दो बजे- सभी यात्री सोये हुए- कोई बचाने वाला नहीं- एक भी यात्री घायल नहीं। 
 
ना तो जानती थी ना ही जानना चाहती थी वह क्या चाहती थी थी दुनिया से दूर बहुत अपने में खोई रहती थी | कल क्या खोया ओर कल क्या होगा तनिक भी न सोचती थी वर्त्तमान में जीती थी | जो भी देखती थी पाने की लालसा रखती थी...
 
अप्रैल की शुरुवात में पाक की एक दरगाह में हुए आत्मघाती विस्फोट में बचे एक फ़िदायीन उमर फ़िदाई ने अस्पताल में जिस तरह से अपने फ़िदायीन बनने के सफ़र का ज़िक्र किया उससे यही लगता है कि तालिबान इस्लाम की...
 
इस चमक दमक की दुनियां में* *रंगों की महफ़िल ,सजी हुई !* *मोहक प्रतिमाएं थिरक रहीं * *दामिनि जैसा श्रृंगार किये !* *इस समाज में इस महफ़िल में,कौन भला मातम गायेगा ? * *मेहँदी रचित हाथ लेकर , अब मेरे...
 
जनसत्ता ,दैनिक समाचार पत्र ,में "छिनाल" प्रकरण थमे , तो मैं किसी को "बिलार" कह दूं | कुछ दिन उस पर भी गहमा -गहमी चले | ## *नारी प्रताड़ना के इतने अधिक आरोपों के आलोक में शायद शीघ्र ही पुरुषों को एक "क...
 
पाँखें थमी हैं परी थकी है सेज लगी है पलकें भरी हैं आँखें नमी हैं सपन सजने आयेंगे? सजन सपने आयेंगे? सजन अपने आयेंगे? सजन आयें, न आयें आँखें मुदेंगी निंदिया आयेगी सपन आयेंगे आँखें नमेंगी पलकें भरेंगी 
 
बच्चे का शव देख किसी की भी रूह काँप जाए ...
बच्चे का शव देख किसी की भी रूह काँप जाए ...बच्चों के साथ वो सब हो रहा था जो में यहाँ नही दिखा सकता .... एक पीड़ित बच्चे से मैंने आश्रम जाकर बात की ..यदि आप भी इस बच्चे से बात करें और चोट के निशान देख ले ...
 
रोमांस
पत्ते चिनार के रखती है सफ़ों के बीच एक लड़की गोकि याद रहे चिनार बाग और कश्मीर उन सफ़ों को खोलने का वक्त भले ना हो उसके पास 
 
दुनिया के कुछ हिस्सों में तापमान वृद्धि के कारण मछलियों की कुछ प्रजातियों पर गंभीर असर हो रहा है. उनका प्रजनन कम तो हो ही रहा है लेकिन तनाव और उनके मरने की आशंका भी बढ़ती जा रही है. नेचर क्लाइमेट चेंज ..

गुरुदेव के साथ सूरज ,पाक विद्या सत्संग  सत्संग हाल में बैठकर सब ipl का मैच देख रहे है .सभी लोग आ गए है .क्रिकेट का मज़ा शुरू हूँ गया है सब अपनी अपनी टीम को सपोर्ट कर रहे है. उत्थपा और युवराज के...
 
भारत में उच्च शिक्षा में महिलाएं पुरुषों से बहुत पीछे हैं। यह जानकारी सरकार के नवीनतम आंकड़ों से उजागर होती है। यह असमानता प्रोफेशनल कोर्सों के प्रवेश में और भी अधिक है, जहां महिलाएं स्पष्टरूप से अल्पमत मे...
 
रविवार को एग्जाम डे था। अलग-अलग विषयों से जुड़ी तीन परीक्षाएं शहर के विभिन्न केंद्रों में आयोजित की गईं। यह तीनों ही परीक्षाएं किसी संस्थान में सीट सुनिश्चित करने के लिए न होकर नौकरी पाने को लेकर थीं। संघ ...
 
 
नहीं कोई तमन्ना अब, बची तुमसे मोहब्बत की नहीं ख्वाहिश रही कोयी, गैरों की इनायत की कहा मुफलिस मुझे तुने, यही इनाम है काफी प्रिये हाँ, देख ली ताक़त अमीरों की शराफत की कुंवर प्रीतम १८.४.११ 
 
जिन्दगी! कहा जाता है कि जिन्दगी ऊपर वाले की दी हुई सबसे बड़ी नेमत है! ईश्वर का दिया हुआ सबसे बड़ा दान है! पर अनेक बार मन में सवाल कौंधता है कि आखिर क्या है यह जिन्दगी? क्या उद्देश्य है इस जीवन का? कैसे समझ...
 
 
 
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 
 
 

  © Blogger template Webnolia by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP