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Good Bye...सबको राम-राम-अबे तेरा सम्मान नहीं हुआ क्या? -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Saturday, April 30, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
कल की बात है हम रास्ते में थे कि मोबाइल बज उठा। मोबाइल का बजना कोई अनोखा नहीं था, लेकिन कल मोबाइल उठाया तो उधर से आवाज आई अबे तेरा सम्मान नहीं हुआ क्या? एक बार हमें लगा कि यार ये तो अपने अनिल पुसदकर जी लगत...
 
डोन मैं डोन हूँ ग्यारह मुल्कों की पुलिस मुझे ढूंढ़ रही है. अलग मुल्क, अलग लोग, अलग उन्हें निपटाने के तरीके कैसे-कैसे पार लगाया उन्हें, कितने क़त्ल किये कितनों को मौत के घाट उतारा, कितनों को जिन्दा भून 
 
कसम खाई है कि कल दिल्ली में हुए प्रोग्राम के बारे में कुछ नहीं लिखूंगा...लिखूंगा क्या,हिंदी ब्लॉगिंग में तो संभवत मेरी ये आखिरी पोस्ट है...आप सब ने जो बीस महीने में मुझे इतना प्यार दिया, उसके लिए तहे दिल...
 
हुजूर हमारे पहाड़ में है कीमती पत्थर जिससे चमकती हैं आपकी कोठियां आपके बंगले आपके बड़े बड़े दफ्तर परिसर जहाँ पहुँच नहीं सकते हम कभी ! हमारी धरती के गर्भ में है लोहा अभ्रक एल्युमिनियम कोयला जिस से चलती ह...
 
चरक की यायावरी वाले अंदाज़ में भ्रमण करते हुए एक अति रोचक ब्लॉग पर पहुंची तो पाया वहां लिखा था..."लोगों को आभासी दुनिया में रिश्ते नहीं बनाने चाहिए , और यदि दुर्भाग्यवश बन भी जाएँ तो उन पर आलेख नहीं लिखना च...
 
गुरुदेव "आप जब छोटे थे तो क्या आप चिंता करते थे की आपका भोजन घर पर है की नहीं .आपको आपकी जरुरत की चीजे आपके माता पिता पूरी करते है इसी प्रकार हम सब अपने गुरुदेव के बच्चे है इसलिये चिंता की क्या बात है ....
 
परम वीर चक्र सैन्य सेवा तथा उससे जुड़े हुए लोगों को दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान है। यह पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है। 26 जनवरी 1950 से शुरू ...
 
अ *क्सर कहा जाता है कि साधु-सन्यासियों को राजनीति में दखल नहीं देना चाहिए। उनका काम धर्म-अध्यात्म के प्रचार तक ही सीमित रहे तो ठीक है, राजनीति में उनके द्वारा अतिक्रमण अच्छा नहीं। इस तरह की चर्चा अक्सर...
 
मंदार पर्वत, वही जिसे मथानी बना कर समुद्र-मंथन किया गया था। कहां है वह ? क्या उसका अस्तित्व है ? यदि उस मूक साधक को देखना चाहते हैं तो आपको बिहार के बांका जिले के बौंसी गांव तक जाना पड़ेगा। यह करीब सात सौ ...
 
छम्मकछल्लो नाम नहीं, काम की बात कर रही है- चंदा रे, चंदा रे, कहीं से जमीं पर आ, बैठेंगे, बातें करेंगे...! गीत गाने के लिए नहीं और न ही किसी चंदा नाम की किसी लडकी पर मरने के लिए. भाई असांजे ने जब से यह कह...
 
वन्दे मातरम* *की कहानी * **ये वन्दे मातरम नाम का जो गान है जिसे हम राष्ट्रगान के रूप में जानते हैं उसे *बंकिम चन्द्र चटर्जी* ने 7 नवम्बर 1875 को लिखा था | बंकिम चन्द्र चटर्जी बहुत ही क्रन्तिकारी विचारधार...
 
'क्रांति' का जंतर मंतर : अरुंधति रॉय
अण्णा हज़ारे के आह्वान पर हज़ारों लोग जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए थे। बीस साल पहले जब उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का दौर हम पर थोपा गया तब हमें बताया गया था कि सार्वजनिक उद्योग और सार्वजनिक संपत्ति म...
 
बहुत दिनों पहले किसी पुरवे में एक आदमी रहता था। वह अपनी जाति पंचायत का मुखिया था। बहुत अनुशासनप्रिय था और निर्मम दंड देने के लिये जाना जाता था। एक दिन उसे कुलदेवी का सपना आया - तुम दंड देने में बहुत निर्मम...
 
 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 
...
 

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