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लोगों को सावधान रहने की जरूरत है!-लोकपाल बिल से क्या गरीब को रोटी मिल जाएगी -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Monday, April 11, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
लोकपाल बिल अभी बना भी नहीं है और इसको लेकर टकराव होने लगा है। पहले कपिल सिब्बल और इसके बाद सलमान खुर्शीद के बयानो से अन्ना हजारे जी खफा हो गए हैं। लेकिन कुछ भी हो कपिल सिब्बल की बातों पर गौर किया जाए तो उन...
 
चैत्र नवरात्रि के इस कविता उत्सव में हमेशा की तरह आप सभी पाठकों का सहयोग मिला । मैं और सिद्धेश्वर सिंह आप सभी के आभारी हैं । आज अंतिम दिन प्रस्तुत कर रहे हैं *दिव्या माथुर *की यह कवित...
 
लोगों को सावधान रहने की जरूरत है! डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ’निरंकुश’ देश में जिसे ‘‘हजारे आन्दोलन (?)’’ का नाम दिया गया, वह अपनी परिणिती पर पहुँच कर इस घोषणा के साथ समाप्त हो गया कि यदि जरूरत हुई तो फिर से ऐसा...
 
वर्ष २०११ की जनगणना के आरंभिक आंकड़ों से मिले-जुले निष्कर्ष निकले जा रहे हैं. साक्षरता में वृद्धि,जनसँख्या की वृद्धि दर में कमी आदि के बहाने कहा जा रहा है कि २१ वीं सदी का भारत अपने भविष्य के बारे में सचे...
 
कल एक बहुत ही प्रतिभावान युवा ब्लॉगर ने चैट के दौरान शब्दों से खिलवाड़ करने की मेरी प्रवृत्ति पर 'जस्टिन मार्क्स' के फिल्मों की बात की तो एक दूसरे मनयुवा ब्लॉगर ने 'व्यास' परम्परा की बात की। प्रसन्न हुआ, ह...
 
चिली पुलिस की सूचना के अनुसार उसने एक ऐसे संदिग्ध पाकिस्तानी मूल के व्यक्ति रऊफ़ को पकड़ा है जो १९९९ में भारतीय विमान के अपहरण का मुख्य साजिश करता कहा जा रहा है. चिली पुलिस ने उसे पकड़ते ही कहा क...
 
लघुकथा : खाली ग्लास सत्येन्द्र झा “सकारात्मक दृष्टिकोण का परिचय हमेशा देना चाहिये।” प्रोफेसर साहब कक्षा में कह रहे थे, “एक ग्लास में आधा पानी भरा है... सकारात्मक दृष्टिकोण वाले इस ग्लास को आधा भरा कहे...
 
आज यह बात बार-बार उठायी जा रही है कि आम लोगों में पढ़ने की आदत घट रही है। सवाल उठता है क्या तुलसीदास आज कम पढ़े जा रहे हैं ? क्या 'रामचरितमानस' कम बिक रहा है ? तुलसीदास आज भ...
 
आज रामनवमी है। रामनवमी से पहले माता के भक्त नवरात्रि में भजन आदि के साथ व्रत या उपास करते हैं और उनके समापन पर विशेष कार्यक्रमों पर आयोजित किये जाते हैं। दरअसल हम अपने देश में मनाये जाने वाले धार्मिक...
 
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजसेवी अन्ना हजारे को एक पत्र लिखकर उनकी (नरेंद्र मोदी) तारीफ करने पर धन्यवाद दिया है, लेकिन साथ ही आगाह किया है कि अब गुजरात का अहित करने वाला समूह आपको निशाना बन...
 
आज अपने शहर के एक बड़े उद्योगपति को अपनी कार स्वयं चलाते देखा तो बहुत पुराना और चलन में भी काफी रहा एक चुटकुला याद आ गया। चित्र गूगल छवियों से साभार एक बार एक कार यातयात नियम का उल्लंघन करने के कारण यात...
 
आज भारत एक अनोखी "दुविधा" में है जहां दुनिया की ४० फीसदी २५ साल से कम आयु वाली जनसंख्या मौजूद है जिसमें से कुल मात्र ५ फीसदी जनसंख्या (दुनिया भर के करीब ४५ करोड़ कर्मचारियों के मुकाबले) ऐसी है जो औद्योगिक ...
 
अब तक केद्र सरकार की मनमानी पर न्यायालय फटकार लगाते रही है लेकिन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने जिस तरह से प्रधान पाठक परीक्षा को रद्द किया है उसके बाद सरकार को सबर लेना होगा कि वह अपनी मनमानी बंद कर दे। लोगों न...
 
कितना चाहा कि अपने सामने अपने इतने पास तुम्हें पा तुम्हें छूकर तुम्हारे सामीप्य की अनुभूति को जी सकूँ, लेकिन हर बार ना जाने कौन सी अदृश्य काँच की दीवारों से टकरा कर मेरे हाथ घायल हो जाते हैं और मैं तुम्हें छ...
 
डल किनारे
दौड़ रहा है जीवन बहते पानी-सा और मैं किनारे 
 
समाचार हैं अद्भुत नर-वन के अब बर्बादी करे मुनादी संसाधन सीमित सड़ जाने दो किंतु करेगा बंदर ही वितरित नियम अनूठे हैं दुःशासन के प्रेम-रोग अब लाइलाज किंचित भी नहीं रहा नई दवा ने आगे बढ़कर सबका दर्द सहा रंग ...
 
Shakta Sadhana- (The Ordinary Ritual) -3by Sir John Woodroffe All orthodox Hindus of all divisions of worshippers submit themselves to the direction of a Guru. The latter initiates. The Vaidik initiat...
 
 
कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ... भ्रष्टाचार सदैव ही प्रत्येक वस्तु, भाव, विचार , कर्म की अति से प्रारम्भ होता ...
 
आज साज़ खामोश पड़े थे , सूर उसमे चुपकेसे सोये थे ..... पंचमने निषादसे कहा आज हवा है मध्धम मध्धम , सूरज भी षडजकी तरह कम तपिशसे गुजर रहा है जैसे ... रिषभने पलटकर देखा शायद किसीने पुकारा हो !!!! वो तो गां...
 
कई शहरों ने अपने ब्लॉगर ढून्ढ लिए .अब लगता है नॉएडा में ब्लोगेरो की कमी है.कुछेक नाम जो मुझे पता है उसमे सतीश सक्सेना जी और मैं यानी अना इसके अलावा और ब्लोगेरो की जानकारी हमें... visit my blog and comme...
 
के इक गुनाह सा कर गया कोई इस दिल से जो उतर गया कोई उसे बस जाने की जिद पड़ी थी क्या पता कहीं पे मर गया कोई हवा ये बहकी बहकी फिरे देखो शायद यहाँ से गुजर गया कोई चांदनी शब् भर रोती रही यहाँ इलज़ाम उसके सर ...
 
एक छत के नीचे कई घरों के मर्द रहते थे। सिर्फ मर्द। औरतें उनके गांव रहा करती थीं और चादर के भीतर से रात को अपने मजदूर पतियों को मिस कॉल दिया करती थीं। पति उन्हें वादा करते कि इस बार वापस आकर उन्हें सोने के ...
 
पोस्ट ग्रेजुएशन की सीटों के लिए अरसे से इंतजार कर रहे सिम्स को इस बार भी सिर्फ झुनझुना हाथ लगा। पहली बार एमसीआई ने यहां पीजी के लिए एडमिशन को हरी झंडी तो दे दी, लेकिन सिर्फ एक सीट के लिए। यानी यहां सिर्फ ए...
 
माउंट आबू ** (मरू भूमि रंगीलो राजस्थान ) 11 मई 1998 रात को ही हमने धुमने के लिए सब जानकारी निकाल ली थी --रात आबू की बड़ी सुहानी होती है --मालरोड की सारी दुकाने बाहर सज जाती है --कुर्सिया लग...
 
------- कितने अपनेपन से पूछा था तुमने खैरियत उस ख़त में । दर्द बढ़ गया है तुम्हें सच्चाई बताकर। ------- खुश हूँ तुम्हारे घर (ब्लॉग) अब वो आने लगे हैं नाज़ जिनके उठाते थे तुम दर-ब-दर ------- बुजुर्गियत ...
 
जब भी देखा तुम्हें तुम अनदेखी कर चली गईं कई बार यत्न किये मिलने के वे भी सम्भव ना हो पाए चूंकि हैसियत कमतर थी पैगाम शादी का भी स्वीकार ना हुआ | एक अवसर ऐसा भी आया निगाहें चार तुमसे हुईं नयनों...
 
अन्ना हजारे भले हैं और जो मन में आता है उसे बिना लाग लपेट के बोलते हैं। उनकी इस साफ़गोई पर कोई भी कुरबान हो सकता है। कल उनकी प्रेस कॉफ्रेस थी,उनकी एक तरफं अरविंद केजरीवाल थे दूसरी ओर किरन बेदी बैठ...
 
स्‍वाभिमान टाइम्‍स में आज जो प्रकाशित हुआ है। आप भी पढि़ए लेकिन टिप्‍पणी देने के लिए ब्‍लॉगस इन मीडिया में रजिस्‍ट्रेशन करिए या जिन्‍होंने पहले से किया हुआ है, वे लॉगिन करें और अपनी राय भ्रष्‍टाचार और ......
 
स्वादहीन फ़ीका बासी खाना लगती है ज़िन्दगी जब तक कि रूह के चौबारे पर ना उतरती है ज़िन्दगी ये सब्ज़ियों के पल पल बदलते स्वाद मे उतरती है ज़िन्दगी जब तक कि आत्मिक स्वाद को ना चखती है ज़िन्दगी ये देवताओं सा अच्छा ...
 
डॉल्फिन ग्रुप के स्कूलों का संचालन हाथ में लेने की होड़ शुरू हो गई है। राजनैतिक संगठन, छात्र संगठन और कई समाज सेवी इसके लिए आगे आने लगे हैं। कहीं-कहीं वर्चस्व की जंग भी छिड़ गई है। इस बीच स्कूलों में बैठको...
 
युद्ध से भागना या पीठ दिखाना कायरता की निशानी मानी जाती है। पर यदि उस दिन पराजय सामने नजर आ रही हो, हार ना टाली जा सकने वाली हो तो क्या उस समय मैदान छोड़ देना कायरता या बेवकूफी कहलाएगी या अक्लमंदी? निश्चित ...
 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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