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एक अकेली सौदाई है-तुम्हारे होठों में दिखती प्यास है-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Friday, April 22, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज  
तुझे देख कर ही दिल बहक जाता है पूरी बोतल का नशा चढ़ जाता है शराब में भी कहा वो बात है तुम्हारे होठों में दिखती प्यास है फिर क्यों तुम्हारा मन उदास है आज तो हम तुम्हारे ही पास हंै करो लो आज मन की मुराद ...
जनजीवन ही सस्ता है बस केवल इस संसार में , एक अकेली सौदाई है मौत भरे बाज़ार में ! निकल पड़ी है चौराहों पर नंगे भूखों की टोली , धू-धू कर जल रही हाट में अरे अभावों की होली , घूम रहे सब दिशाहीन से पाने को दो कौर ...
मौन की भाषा अश्रुओं की वेदना और मिलन ? कैसे विपरीत ध्रुव कौन से क्षितिज पर मिलेंगे ध्रुव हमेशा अलग ही रहे हैं अपने अपने व्योम और पाताल में सिमटे सकुचाये मगर मिलन की आस ये तो मिलन का ध्रुवीकरण हो जा...
मैं तुम्हारी माँ हूँ
तुम्हारा उतरा हुआ चेहरा तुम्हारे कुछ भी कहने से पहले मुझसे बहुत कुछ कह जाता है , ऑफिस में तुम्हारी ज़द्दोजहद और दिन भर खटते रहने की कहानी तुम्हारी फीकी मुस्कुराहट की ज़बानी बखूबी कह जा...
कभी आकर तेरा मुझको तडपता छोड़कर जाना , मुझे है याद अबतक वो तेरा मुह मोड़कर जाना । मेरे आंसू मेरी आहों का मतलब क्या निकलता है ? बड़ा आसान था तेरे लिए दिल तोड़कर जाना । बुझा दो फूँक से अपनी हमारी जिन्दगी का लौ , ...
'तुम्हें देख कर पहली बार महसूस हुआ है कि लोग काफ़िर कैसे हो जाते होंगे. मेरे दिन की शुरुआत इस नाम से, मेरी रात का गुज़ारना इसी नाम से. मेरा मज़हब बुतपरस्ती की इजाजत नहीं देता पर आजकल तुम्हारा ख्याल ही मेरा...
शब्द और दिल दोनों धड़कते हैं दिल धड़कता है तो जिंदगी चलती है शब्द धडकते हैं तो समाज धड़कता है शब्द ही हैं जो समाज को जिंदगी का अहसास कराते हैं दिल है जो शरीर को ज़िंदा साबित करता है लेकिन दोस्तो...
तुम्हें सच में नहीं दिखते? दायें हाथ की उँगलियों के पोर...नीले हैं अब तक ना ना, सियाही नहीं है...माना की लिखती हूँ पर अब तो बस कीपैड पर ही तुम भूल भी गए फिर से तुम्ही ने तो मेरी पेन का निब तोड़ा था मुझसे...
जब निकलता है कोई दिल से दिल में बस जाने के बाद दर्द असहनीय होता है इनसे बिछड़ जाने के बाद जब कोई पास होता है उसकी क़दर नहीं होती कमी महसूस होती है बस इन जनाब के दूर चले जाने के बाद 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे 
 

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