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प्रणय निवेदन -...डार्लिंग 786 -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Sunday, January 9, 2011

सभी को नमस्कार करता है आपका राज a>
 
दोस्तों राजस्थान में एक सरपंच के पति अपनी सरपंच पत्नी की उदारता के कारण कुछ दिनों में ही लखपति बन सकते हें इसका उदाहरण सिरोही जिले में शिवगंज ग्राम पंचायत के ग्राम जेतपुरा में देखने को मिला हे यहाँ सरपंच प...
दोस्तों यह मेरा महान देश त्योहारों ,जाती,धर्मों का संगम देश यहाँ सभी लोग हजारो जुबानें बोल कर भी एक जुबां भारत मामता की जय बोलते हें मेरे इस त्योहारों के देश में आगामी १३ जनवरी को मेरे सिन्धी भाइयों का पर्व ...
वर्ष २०१० में एक ब्लोगर युवक मोहन [परिवर्तित नाम ] से परिचय हुआ। उसने अपनी उम्र २८ बतायी थी। इतनी कम उम्र में उसने घर में बहुत कलह-क्लेश देखे , जिसने उसके व्यक्तित्व को बहुत कमज़ोर बना दिया। उसके अन्दर एक आ...
पाठकों के दिल में अक्सर अपने मन पसंदीदा लेखक की एक इमेज बन जाती है ! उस इमेज से हटकर लिखना, अपने व्यक्तित्व के प्रति खासा जोखिम लेना होता है ! पिछली पोस्ट पर यह देखा गया कि कुछ खास मित्रों ने भी आकर कमेन्...
आज प्रस्तुत है, ‘टी सीरीज’ म्यूजिक कंपनी द्वारा सन् 1993 में रिलीज रेखादेवी जलक्षत्री द्वारा प्रस्तुत भरथरी गायन श्रृंखला का तीसरा प्रसंग… 1. राजा का जोगी वेष में आना 2. चम्पा दासी का जोगी को भिक्षा देना 3...
नमस्कार, सर्दी बढ गयी है, मौसम कहर बरपा रहा है, और इसी समय में सब तरफ़ कुछ न कुछ आयोजन हो रहे हैं। इन आयोजनों में उपस्थित होना पड़ता है। घर पहुंचते रात हो जाती हो जाती है, फ़िर सर्द माहौल में कम्प्युटर पर बैठ...
लालगढ़ में स्वजनहाराओं का क्रंदन और बर्बरता चरम पर पहुँच गए हैं। राज्य में स्वजनहाराओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। लगता है इसबार का चुनाव स्वजनहाराओं के क्रंदन के प्रतिवाद में लड़ा जाएगा। खबर...
चिट्ठाचर्चा के सातवें साल की शुरुआत हम नये प्लेटफ़ार्म से कर रहे हैं। चर्चा देखने के लिये क्लिक करिये इस पोस्ट पर: चिट्ठाचर्चा के सातवें साल की शुरुआत- *चर्चा पढने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करे * 
पहचानो .... अपनी लहुलुहान होती आत्मा की आवाज़ ....…हरकीरत ' हीर' पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें" की बत्तीसवीं वी पेशकश …हरकीरत ' हीर' जी. अमन के पैगाम' को मेरा सलाम ...... इस पैग...
यहां जमीन पर मीलों दूर तक फैले हरे भरे दरख्तों और उनके दरम्यान से गुज़रती कच्ची पक्की सड़कों... बलखाती पगडंडियों और छुटपुट बसी हुई इंसानी बस्तियों में रच बस चुकी बारूद की गंध ...वहां ऊपर आकाश में मंडराते ह...
हूँ मैं सूखी सी डाली, खिज़ां ने भी सताया है जाने क्यूँ फिर भी तुमने, नज़रों में बसाया है हैं आँखें मेरी बेनूरी, चेहरा भी है सादा सा पर ठोढ़ी पे मेरी तुमने, काला तिल लगाया है ख़ुदा ने मुझको तो अपना, इ...
संवाद से सत्य की प्राप्ति अभीष्ट है* आप सार्थक साहित्य का सृजन कर सकें इसी कामना से यह संवाद आपके लिए क्रिएट किया गया है। जो ग़लती ग़ालिब कर चुके हैं उसे दोहराना नहीं है बल्कि उसे सुधारना है। अपने और मान...
राजकुमार साहू, जांजगीर, छत्तीसगढ़ अधिकतर यह बातें सामने आती रहती हैं कि भारत में पाश्चात्य संस्कृति हावी होती जा रही है और हम पश्चिमी देशों की संस्कृति को आधुनिकता के नाम पर अपना रहे हैं। साथ ही यह भी कहा ज...
आजकल जबरदस्त सर्दी का मौसम चल रहा है, कुछ नेता जिन्हें अपनी राजनीति चमकानी होती है वो शहर के आसपास की झुग्गियों में कम्बल बाँटते हैं. उनका यह कदम बेहद सराहनीय है. वास्तव में सच भी है इस ठण्ड में अगर कम्बल ...
न बदले अधिकार में प्यार मेरा बस तुम्हें देखता, सुनता, महसूसता रहूँ कभी न सोचूँ तुम देखो, सुनो, महसूसो मुझे चाहता मन देना ही आता रहे मुझे कभी न सोचूँ मुझे मिला नहीं क्यों बसी रहे समर्पण की चाह मन में बनी र...
 अच्छा तो हम > चलते हैं
कल फिर मिलेंगे

1 comments:

Asha Lata Saxena January 10, 2011 at 2:55 AM  

छोटी पर अच्छी चर्चा चौपाल |बधाई
आशा

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