मै नारी हूँ-मिलिए,जेआरएफ में चयनित नेत्रहीन इमराना से-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Wednesday, January 12, 2011
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
कल एक बार फिर से हमारे अखबार के पते पर एक पत्र आया जिसमें फर्जी आईडी वाले किसी बंदे की टिप्पणियां थीं। इन टिप्पणियों के साथ साफ लिखा था कि हमारा मकसद आपको परेशान करना और टेंशन देना है। अगर आप टिप्पणियों का...
कहते हैं, यदि आप यह नहीं जानते कि जाना कहां है, तब फिर हर रास्ता गलत होता है। किसी भी क्षेत्र के किसी भी सफल व्यक्ति का उदाहरण ले लें। आप पाएंगे कि हर सफल व्यक्ति एक विशेष दिशा पकड़ कर अपनी सारी ऊर्जा उसी ...
दिल्ली के पॉश इलाके खान मार्केट में कारों की मामूली भिड़ंत के चक्कर में मंगलवार को एक होटल के युवा मैनेजर की जान चली गई...कारों को मामूली खरोच जैसा ही नुकसान हुआ था...लेकिन कड़ाके की सर्दी में भी पारा ऐसा...

ऐसी ही स्थिति को देखते हुए अभी हाल में ५ अगस्त २०१० को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि दहेज़ हत्या के मामले में आरोप ठोस और पक्के होने चाहिए ,महज अनुमान और अंदाजों के आधार पर ये आरोप नहीं ...
ना समझ हें हम क्यूंकि हम किसी की नहीं सुनते हम तो प्यार के नशे में चूर हें बस अब सब कुछ लुटाने के बाद समझ में आया हे जिन पर लुटाते रहे हम अपनी जान वोह तो यूँ ही लोगों का दिल तोड़ने के लियें मशहूर हें देख लो आ...
मिलिए,जेआरएफ में चयनित नेत्रहीन इमराना से
यूजीसी के जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) में चयनित दृष्टिहीन छात्रा इमराना को अब दुनिया को न देख पाने का कोई खास दुख नहीं होता। अब तक मिली कामयाबी ने सब कमियां पूरी कर दी हैं। खलिश तो इस बात की रहती है कि ...

अपने अस्तित्व को ढूँढती हुई* *दूर चली जाती हूँ * *मै नारी हूँ ....* *अस्मिता को बचाते हुए * *धरती में समा जाती हूँ * *माँ- बहन इन शब्दों में * *ये कैसा कटुता * *है भर गया * *इन शब्दों में अपशब्दों के * *ब...
उडती हुई दो पतंगें आपस में उलझ पड़ी गुथम गुत्था ! दोनों ही कट कर एक छत पर जा पड़ी ! नीली नें लाल से पुछा ! क्या मिला मुझे काट कर ? लाल वाली बोली मैं कब तुमसे लड़ना चाहती थी पर मेरी डोर पर मेरा बस ही कहाँ था...
अलगाव
Share खाबों की निद्रा में सोया था प्रेम पुष्प महक में खोया था मखमली चांदनी सी चादर ओढ़े कितनी यादों से अंतस भिगोया था. वो हर पल मेरे साथ रहे ज्यूँ निशि संग तारों की बरात रहे हो... अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे

छम्मकछल्लो बहुत दिन से लिख नहीं पा रही है. क्यों के बहुत से बहाने हैं. इस बहाने को तोडने के लिए कल रात उसके सपने में शास्त्री जी आ गए. लीजिए, आप भी पूछ रहे हैं, कौन शास्त्री जी? कभी आपने पूछा, कौन गांधी जी...
कवर ड्राइव का भगवान अपने बेहतरीन झन्नाटेदार शॉट की तरह ही सीमा रेखा के पार हुआ। यह क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत और समाज में एक बड़े व निर्णायक बदलाव का पड़ाव है। अवशेष हो रहे भावनात्मक सामंती मूल्यों क...
ल के बजाय 13 महीने रहेगी। पंचायत मंत्रालय ने वैधता तिथि में संशोधन किया है, जिसका प्रकाशन राजपत्र में भी हुआ है। इस बदलाव के बाद ..
ऐ मेरे वहशत-ए-दिल, मुझको बता, तू इतना नादाँ क्यों है, एहसास-ए-जिगर गैरों को बताके ,फिर होता परेशाँ क्यों है। छुपा न अब, जमाने पर यकीं करके तूने फरेब खाया है, गर जख्म खाए नहीं, तो चहरे पे उभरते ये निशाँ क्य...
---------फेड इन------ अक्स दर अक्स स्याह होते अँधेरे में घुल जाओ...जैसे मौत के पहले वाले पहर धीमे से पलकें बंद कर रही हूँ और तुम्हारी आँखों का जीवंत भूरा रंग गहराते जा रहा है, जैसे तुमने अभी माथे को चूमा .
आख़िर कार लखनऊ में बैठकर योजनायें बनाने वाले बाबुओं की समझ में यह बात आ ही गयी कि पूरे प्रदेश में जो कुछ भी चल रहा है उससे केवल वहीं पर बैठकर पार नहीं पाया जा सकता है. इस क्रम में सरका...
कल फिर मिलेंगे
5 comments:
बढ़िया चौपाल
बहुत ही सुन्दर लिंक्स्…………आभार्।
अच्छी चर्चा ....बढ़िया लिंक्स
बहुत बढ़िया लिंक्स.....
भाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग की पोस्ट लेने के लिए पुनः आभार ग्वालनी साहब।
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