ब्लॉग पर भटकते विकृत मानसिकता वाले भाई -विक्षिप्त मानसिकता वाले होते हैं काड़ीबाज- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Wednesday, January 5, 2011
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
अपने ब्लाग जगत के लिए यह एक गंभीर बात है कि यहां पर फर्जी आईडी बनाकर काड़ी करने वाले काड़ीबाजों की कमी नहीं है। अगर किसी की आपसे किसी बात पर नहीं बनती है तो मानकर चलिए कि वह बंदा आपको जरूर परेशान करेगा। ले...
भाइयों अदालत सहित अनवरत सहित किया महत्वपर्ण ब्लोगों के जनक जनाब एडवोकेट और मेरे बढ़े भाये दिनेश राय जी द्विवेदी जी ने कहा चलो चाय पियेंगे हमारे साथ रामस्वरूप जी शर्मा सहित और कई वकील भी थे जिनमें एक महिला ...
एक बार एक बोईंग यात्री जहाज जब हवाई पट्टी से टेक ऑफ कर गया तब उसका मुख्य पायलट जोर से ठहाका लगाकर हंसा । को-पायलट ने जब उसके एकाएक हंसने की वजह जाननी चाही तो मुख्य पायलट ने कहा कि जब पागलखान...
समाज में एक प्रतिशत पुरुष ऐसे भी हैं जो सोचते हैं की किसी स्त्री को बहन कहकर certificate पा लेंगे शराफत का या फिर वो अन्य पुरुषों से बेहतर बन जायेंगे। उन्हें लगता है की उनकी विकृत मानसिकता छुप जायेगी 'बहन...
पहले जब देखा उन्हें , वे मेरे निकट आने लगे , मन में भी समाने लगे , जब तब सपनों मै आकर , उन्हें भी रंगीन करने लगे , आने से उनके , जो फैल थी सुरभि , स्वप्न मै ही सही , सारी बगिया महक उठती थी , बहुत बार विचार क...
आतंक के मुद्दे पर भारत के राजदूत हरदीप सिंह पुरी को जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र में आतंक निरोधी महत्वपूर्ण समिति का अध्यक्ष चुना गया है उससे भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंक से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात क...
जिन पेड़ों ने फल नहीं दिए, उन्हें भी सींचा गया था सलीके से भरपूर खाद-पानी और देखभाल के साथ.. हवा भी उतनी ही मिली थी उन्हें, जितनी बाक़ी पेड़ों के नसीब में थी.... उम्मीद के लंबे अंतराल ने दिया माली को ...
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ताबड़तोड़ सुधार कर रहे हैं। अब उन्होंने घोषणा की है कि कॉरपोरेट जगत भी तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा संस्थान चला सकेंगे। केवल उसी कंपनी को ऐसे शिक...
बेबसी
लोग रूठ जाते हैं मुझसे , और मुझे मनाना नहीं आता ! मैं चाहती हूँ क्या ? मुझे जताना नहीं आता ! आँसुओं को पीना पुरानी आदत है , .मुझे आंसू बहाना नहीं...

भर-भर गागर देना ।
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ *दो बूँद भी* *प्यार मिला है* *मुझको जिनसे* *उनको* *भर-भर गागर देना ।* *सुख-दु:ख में* *जो साथ रहे* *परछाई बन* *सुख के* *सातों सागर देना ।* *बोते रहे* *हरदम काँटे* *प्यार-भरे दिल* ... अच्छा तो हम </a> चलते हैं
कल फिर मिलेंगे

बोर्ड की वार्षिक परीक्षा की समयसारिणी ने पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की परेशानियों को बढ़ा दिया है। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने न केवल रविवि का अनुरोध ठुकरा दिया है बल्कि आधे घंटे का समय और बढ़ा दिया है। इ...
मैं तुम्हें पसंद करती हूँ इसलिए नहीं कि तुम आर्दशवादी हो या कि व्यक्तित्ववान हो या हर चीज को परखते हो तुम अपने नजरिए से बल्कि इसलिए कि तुम एकदम जुदा हो आम आदर्शवादियों से तुम्हारे पास है न गंभीर चेहरा न भार...
'देश की अखंडता की रक्षा करने वाले मुसलमानों के साथ अनवर जमाल श्रीनगर में' 'कोई गाली ऐसी नहीं है जो इन सभ्य और हिन्दू कहे जाने वाले ब्लागर्स ने मुझे न दी हो। पढ़े लिखे लोगों ने, जवान प्रोफ़ैसर्स ने और बूढ़े इं...
एक दिन भाई भाई को ही, दुश्मन बनते देखा है... हमने आँगन बच्चों का भी, उस दिन बँटते देखा है... जबसे माँ ने इस बाजू पर, बाँधी इक काली डोरी... हमने हर तूफान को थमते, और तड़पते देखा है.... जबसे ये महंगाई बनके, ...
आंकड़ें भरमा रहे हैं* *यूं छले हम जा रहे हैं* * पी रहे हैं ग़म बेचारे वायदों को खा रहे हैं * * हमने केवल सच कहा था आप क्यों चिल्ला रहे हैं * * सत्य कितना है अपाहिज झूठ को दौड़ा रहे हैं* *जिनपे करते थे य...
ब्लॉगिंग से तो कुछ कमाई नहीं हो पा रही है तो आईये आज मैं आपको एक साइट का नाम बताती हूं । जहां आपको सिर्फ इतना करना है कि इस साइट पर अपना एकाउंट बनाना है और फिर प्रतिदिन इस साइट को खोलना है । इतना करने के ...
आज ५ जनवरी है तडके लगभग ४ बजे वापसी हुई पानीपत आ गया १ जनवरी से सांपला , भुसावल, रतलाम के कवि सम्मेलनों को निबटाते हुए थकान के मारे सोकर अब उठा हूँ और देखता हूँ कि इस बीच और क्या-क्या हुआ... कुछ विशेष...
मोदी नहीं समझ सकते रूपम को
पूर्णिया के विधायक राजकिशोर केसरी मामले पर बिहार में राजनीति शुरू हो गयी है। बिहार भाजपा के क्षत्रप सुशील मोदी तो अपने विधायक के बचाव में खुलकर सामने आ गये हैं। मोदी ने आरोपी महिला रूपम पाठक को हत्यारिन, ब...

image: Posted by Picasa] दो नितांत अजनबी व्यक्तियों के दिलों के तार गिनी चुनी फोन कॉल्स और चंद दिनों की यदा कदा चैटिंग के बाद स्नेह के सुदृढ़ सूत्र में कैसे बँध जाते हैं और कैसे मात्र एक ही मुलाकात युग...
कवि सम्मेलन कार्यक्रम का शुभारम्भ तय समय पर ठीक शाम 7:00 बजे आरम्भ हो गया था। श्रोताओं के बैठने लिये 400-425 कुर्सियां लगाई गई थी। एक घंटे में करीबन 8:00-8:15 तक सभी सीटे फुल हो चुकी थी। उसके बाद जो श्रोता...
कल फिर मिलेंगे
4 comments:
अच्छी लिंक्स बधाई |राज जी मेरा लेखन पसंद करने के लिए और
ब्लॉग पर आने के लिए आभार ,
आशा
काफ़ी बढिया लिंक्स लगाये हैं……………आभार्।
बहुत सुंदर चौपाल राजकुमार जी ! मेरे आलेख को आपने इसमें स्थान दिया इसके लिये आपकी आभारी हूँ ! बाकी लिंक्स भी बहुत अच्छे हैं ! धन्यवाद !
बहुत सुन्दर चौपाल सजाई है राजकुमार जी ! मेरे आलेख को आपने इसमें स्थान दिया इसके लिये आभारी हूँ ! बाकी सभी लिंक्स भी बहुत अच्छे हैं ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
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