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मंत्री कहते हैं- छेड़छाड़ मालूमी बात-सुप्रीम कोर्ट की सरकारी सिस्टम को लताड़-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Wednesday, December 1, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
आज मेरी आँख से तू, उतर जाए तो अच्छा है इस दिल से निकल अपने घर, जाए तो अच्छा है नाज़ुक है बड़ा ख्वाब जो, मैंने छुपा रखा है छूटे वो हाथों से, बिखर जाए तो अच्छा है माना ग़ज़लगोई, पेचीदगियों का मसला है इक शेर 
 
अगर किसी मंत्री के पास इस बात की शिकायत की जाए कि किसी के साथ छेड़छाड़ हुई है और वह मंत्री यह कह दे कि यह तो मालूमी बात है, तो उस मंत्री की मानसिकता को आसानी से समझा जा सकता है कि उनकी मानसिकता क्या होगी। 
 
शहर के मुख्य मार्ग में जब बारात निकलती है तब ट्रेफिक का बड़ा बुरा हाल होता है . वैवाहिक जुलुस के कारण घंटों तक आवाजाही रूक जाती है इससे आम लोग तो परेशान होते ही हैं, कई बार एंबुलेंस, पीसीआर वैन और फा...
 
"आज अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें" की छठी पेशकश. आज मिलिए पूजा शर्मा जी से जो ख्यालों को बेहतरीन अंदाज़ मैं कलमबंद करने मैं माहिर हैं. पूजा जी की लेखनी की धार के सभी काएल हैं .मुझे यकीन है की ए...
 
माल के सौंदर्यशास्त्र की वह विशेषता है कि वह दैनिक जीवन की आत्मीयता और भावुकता को रूपायित करता है। यह कार्य फैंटेसी के माध्यम से होता है। इस तरह वह दैनंदिन जीवन की आत्मीयता का प्रमाण बन जाता है। चित्र में...
 
देश में सभी कायदे कानून ताक में रख कर मन मानी करने वाले मंत्रियों और अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ पिलाते हुए कहा हे यह सरकार हे या बिजनेस हाउस २ जी घोटाले मामले में सरकार के पक्ष की सुनवाई के बाद स...
 
हक़ किस -किस का शुक्रिया अदा करूँ किस -किस का अहसान चुकाऊं पहले ही मेरी जिन्दगी अहसानों के बोझ से लद चुकी है । तुम मुझे अपना बनाकर और ना अहसां लादो मुझपर क्योंकि मरने के बाद भी मेरी मिट्टी में 
 
एक ख्याल दिल की कील पर लटका पड़ा है तो एक ख्याल दिमाग की बालकोनी में सूख रहा है और कोई ख्याल तो किसी ख्याल की अलंगनी पर टंगा है कौन से कोने से शुरू करूँ हर कोना अपने ख्यालों की तरह ही रीता दिखाई देत...
 
वहां हम छोड़ आए थे चिकनी परतें गालों की वहीं कहीं ड्रेसिंग टेबल के आसपास एक कंघी, एक ठुड्डी, एक मां... गौर से ढूंढने पर मिल भी सकते हैं... एक कटोरी हुआ करती थी, जो कभी खत्म नहीं होती.... पीछे लिखा था ल...
 
चाँद को गुनगुनाते मैंने सुना है
हौले-हौले गुनगुनाते चाँद को देर रातों में मैंने कई बार सुना है सुरमई रातों में जब बादल गहराएँ बदली के आँचल से जब तारे छिप जाएँ कभी-कभी हो जब दीदार चाँद का तब मीठा-सा मैंने कोई गीत सुना है हौले-हौले गुनगुना...
 
 चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: ओशो, "मैं तुम्हें कोई लक्ष्य नहीं देने वाला। मैं तुम्हें केवल दिशा दे सकता हूं -जाग्रत, जीवन से स्पंदित, अज्ञात, सदा विस्मयपूर्ण, बिनाकिसी पूर्वानुमान के। मैं तुम्हें कोई नक्शा नहींद...
 
निंदक नियरे राखिये, आगन कुटी छवाए , बिन पानी साबुन बिना , निर्मल करे सुभाय । अरे भाई हम क्या ख़ाक कुटी छावायेंगे, ये तो स्वयं ही यत्र-तत्र अपनी कुटिया डाले कालोनी बसाये मिल जायेंगे। एक ढूंढो चार मिलेंगे। प...
 
प्रश्न: मैं शरीर से भिन्न हूँ - इसको देखने की क्षमता को कैसे विकसित करें?* उत्तर: जीवन का अध्ययन पूर्वक। जीवन यदि अध्ययन गम्य होता है तो जीवन और शरीर अलग-अलग हैं, यह स्पष्ट हो जाता है। अनुभव-मूलक विधि से ...
 
नौकरी के लिए मारामारी के दौर में अब चपरासी के लिए भी एमए और एमएससी पास किस्मत आजमा रहे हैं। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में इन दिनों लिपिकों और चपरासियों की नियुक्तियां की जा रह...
 
छत्तीसगढ rajya  बनने के बाद अखबारों की बाढ़ सी आ गई है। कई पत्रकार नौकरी करने की बजाय अपना अखबार निकाल रहे हैं तो राय सरकार की विज्ञापन नीति से प्रभावित होकर बड़े ग्रुप भी कूद गए हैं। अखबार क्या अच्छा खासा मनो...
 
किसी विशाल हिमखण्ड के नीचे मंथर गति से बहती सबकी नज़रों से ओझल एक गुमनाम सी जलधारा हूँ मैं ! अनंत आकाश में चहुँ ओर प्रकाशित अनगिनत तारक मंडलों में एक टिमटिमाता सा धुँधला सितारा हूँ मैं ! निर्जन वीरान सुन...
 
 
 
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

6 comments:

ASHOK BAJAJ December 1, 2010 at 6:55 PM  

"बारात लेकर सड़क पर ना निकलें वरना पुलिस बजाएगी बैंड "
का लिंक देने के लिए आभार .

vandana gupta December 1, 2010 at 10:16 PM  

बहुत ही सुन्दर चौपाल
काफ़ी लिंक्स मिले………………आभार्।

Sadhana Vaid December 2, 2010 at 2:04 AM  

सुन्दर चौपाल राजकुमारजी ! मेरी रचना को इस चौपाल में स्थान देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ! सभी लिंक्स बहुत अच्छे लगे !

अनामिका की सदायें ...... December 2, 2010 at 7:39 AM  

सुंदर चौपाल...कुछ लिंक्स पर हो आई हूँ..कुछ देखने बाकी हैं. आपका चुनाव बहुत अच्छा है.

शिक्षामित्र December 3, 2010 at 8:17 AM  

भाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग की पोस्ट लेने के लिए आभार। उससे भी ज्यादा आभार चौपाल पर बहुरंगी प्रस्तुति के लिए।

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