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इक चतुर नार…बड़ी होशियार-राज्य ओलंपिक संघ समाप्त होंगे! -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Saturday, December 4, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
भारतीय ओलंपिक संघ ने देश के सभी राज्यों के ओलंपिक संघ को समाप्त करने की कवायद प्रारंभ कर दी है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ से मार्गदर्शन लेने के बाद संघ ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर उनके मत मांगे हैं कि क्या...
 
पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की नवीं पेशकश …अंजना जी (गुडिया) [image: gudia] "अमन का पैगाम एक ऐसा मंच है जहाँ पर लोग अपने फर्क भुला कर एक खूबसूरत मकसद के लिए जुड़ते हैं... 


कार्टून सौजन्य- इरफ़ान “हद हो गई यार ये तो….हम अभी अंधे हुए नहीं और इन स्सालों के हाथ बटेर भी लग गई…इस सुसरे लोकराज में जो हो जाए…थोड़ा है”मैं गुस्से से अपने पैर पटकता हुआ बोला… ...
 
देव और शक्तिस्थल हमारी संस्कृतियों के अभिन्न अंग रहे हैं ! अपने आपको सुरक्षित रखने की मानव चाह, हमें इन पूजाग्रहों की तरफ खींचती रही हैं और इन दर्शनों के लिए उठी व्यग्रता जब पूरी होती है तो अक्सर एक नया शक्त...
 
*एक** **अधूरा** **खवाब** **है** **मेरा** ,* *पूरा** **कर** **दो** **तुम** **आ** **कर ।* *आँचल** **मेरा** **खाली** **कबसे ,* *खुशियाँ** **भर** **दो** **तुम** **आ** **कर**......* * * *सावन** **की**...
 
आज मनुष्ये के जीवन संरचना मै इतनी तेज़ी से बदलाव आ रहा है की वो अपने जीवन मै होने वाले उथल पुथल की तरफ भी ध्यान ही नहीं दे पा रहा है ! वह तो बस एक रेस मै दोड़ते हुए घोड़े की तरह खुले मैदान मै बस भागता ह..

गारमेंट्स इंडस्ट्री में पश्चिमी परिधानों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है लेकिन देश की पारंपरिक वेशभूषाओं के बाजार में कमी नहीं आई है। पारंपरिक वेशभूषाओं का बाजार घरों से निकलकर कारपोरेट सेक्टरों तक पहुंच गया...
 
हे गांधी जी , आज हर कोई आपको अपने कलेजे से लगा कर रखता है । शायद आपने कभी सपने भी नहीं सोचा होगा कि आप के जाने के बाद एक छोटे से कागज के टुकड़े पर छपा आपका चित्र यहां जन जन को प्यारा होगा - सर्वाधिक न्या...
 
सम्पूर्ण विश्व में महिला सशक्तिकरण व् महिला सम्बंधित नीतियों का मुख्य लक्ष्य आज ''महिलाओं को राजनैतिक रूप से सशक्त '' करने का है .भारत ,जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक राष्ट्र है ,में स्वतंत्रता के ६३ व...
 
एंकर - देश कि राजधानी दिल्ली में bledmen का आतंक .. वो शख्श पागल हैं या सनकी..या कोई रंजिस .... या कोई दूसरी कहानी.. एक शख्श शाम के टाइम बाइक पर सवार होकर बना रहा हैं लडकियों को निशाना ...वो भी तेजधारदा...
 
कभी कभी कुछ अजीब बातें होती हैं. दरवाज़ों पर दीवारें बन जाती हैं और दीवारों पर दरवाज़े. कुछ ऐसा ही हुआ *मारिशियस* में रह रही जानीमानी कलमकारा *मधु गुजधर* के मामले में. उन्होंने पंजाब स्क्रीन में एक पोस्...
 
हाँ , मैंने गुनाह किया जो चाहे सजा दे देना जिस्म की बदिशों से रूह को आज़ाद कर देना हँसकर सह जाऊँगा गिला ना कोई लब पर लाऊंगा नहीं चाहता कोई छुडाये उस हथकड़ी से नहीं कोई चाहत बाकी अब सिवाय इस एक चाह के बार-...
 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 
 
 

4 comments:

अजय कुमार झा December 4, 2010 at 7:55 PM  

बहुत सुंदर लिंक्स सहेजे आपने राज भाई । आभार स्वीकारें

vandana gupta December 4, 2010 at 11:13 PM  

बहुत ही सुन्दर लिंक्स सजाये हैं………………सुन्दर चौपाल्।

संगीता स्वरुप ( गीत ) December 5, 2010 at 1:52 AM  

बहुत अच्छी चौपाल ..अच्छे लिंक्स मिले

शिक्षामित्र December 5, 2010 at 4:25 AM  

भाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग की पोस्ट लेने के लिए आभार। कुछ अन्य महत्वपूर्ण पोस्टों पर जाना रह गया था। आपने ध्यान दिलाया।

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