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पांच सौ का नोट--काला कोट और दो छक्के -देश भर के वकील जुटेंगे राजधानी में-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Monday, December 20, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
छत्तीसगढ़ की जमीं पर २२ दिसंबर से होने वाली वकील क्रिकेटरों की जंग में खेलने के लिए लंकाई चिते भी आएंगे। स्पर्धा में लंकाई वकीलों की टीम मुख्य आकर्षण होगी। यह टीम २१ दिसंबर की रात को राजधानी पहुंच जाएगी। 
 
आख़िर कार यू पी के खेल मंत्री अयोध्या प्रसाद ने अपनी गलती मानते हुए माफ़ी मांग कर खिलाड़ी सुधा सिंह को फिर से प्रदेश की तरफ से खेलने के लिए राज़ी कर ही लिया है. शनिवार को लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में इस ...
 
सत्येन्द्र झा उसकी हत्या की सनसनी खबर पूरे शहर में फैल गयी थी। पुलिस हत्यारे की तलाश में जुटी हुई थी लेकिन चार महीने तक सघन खोज-बीन के बावजूद अपराधी पकड़ में नहीं आ सका। आक्रोशित लोगों ने शहर में चक्का...
 
नई कलम- उभरते हस्ताक्षर ब्लॉग मंच की कवियत्री शिखा वर्मा "परी" ने अपना ग़म साझा किया हमारे साथ, वो ग़म मैं अपने पाठकों के साथसाझा कर रहा हूँ- "धूप सी जमी है मेरी साँसों में, कोई चाँद को बुलाये तो रात हों" ...
 
शाम से ही तैयारी होने लगी, दुल्हा सजने लगा, साथ में बाराती भी, हम भी सज लिए, लेकिन हमारा सजना भी क्या सजना, जब आएगें सजना तो होगा सजना। फ़िर भी सज ही लिए पद्मसिंग के साथ,रात शादी और फ़ेरे थे, बारात निकली बै...
 
धार्मिक नेताओं को सजा देने या सुनाने का अधिकार कितना खतरनाक हो सकता है इसका ताजा उदहारण बंगला देश की इस घटना से मिल सकता है . बांग्लादेश के मुस्लिम धार्मिक नेता ने एक महिला को बेंत मारने की सजा दी जिसम...
 
बहुत कविता कर ली, पर चैन नहीं आया..... ख़बरें और आ रही है..... दिल को झंझ्कोर कर रख रही है..... वास्तविकता है ...... चुटकियाँ है.... अरे नहीं आपके लिए नहीं .......... पर दौलतमंद दलालों के लिए तो मात्र चुट...
 
बस्‍तर लोक के चितेरे हरिहर-खेम वैष्‍णव को हर वो शख्‍श जानता है जो छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर से प्रेम करता है। बस्‍तर संस्‍कृति, भाषा व परम्‍पराओं के दस्‍तावेजीकरण एवं संरक्षण-सर्वधन में वैष्‍णव परिवार के योगदान...
 
एक कफस में कैद बुलबुल ने बताया कान में एक आज़ादी के बदले मिल गया क्या -क्या नहीं । अब रहा डर भी नहीं सैयाद का शायर मुझे घोसले के वास्ते चुनना मुझे तिनका नहीं । व्यर्थ था वन वन भटकना , गुनगुनाना शाख शाख आदमी क...
 
दोस्तों यह मेरा देश हे यहाँ आलू प्याज के दाम पर पहले सरकारें बदल जाया करती थीं लेकिन अब रोज़ प्याज के आंसू बहाने के बाद भी गरीबों को न्याय नहीं मिल पा रहा हे , हमारे देश में कहावत थी के गरीब दो रोटी पर प्य...
 
रचना (9 एपिसोड हिन्दी पाडकास्ट) धारावाहिक रचना प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य, मातृत्व कल्याण एवं पोषण पर आधारित 9 एपिसोड की एक धारावाहिक श्रृंखला है।जिसके लेखक डा.आर.के.टंडन हैं। इसका निर्माण केयर इंडिया द्वार...
 
हां पूछने वाला पहला सवाल तो यही करेगा कि ब्लॉगवाणी के नाम लव लेटर ..क्यों भाई ..आखिर लव लेटर ही क्यों और वो भी किस हैसियत से । कमाल है अब ये भी आपको बताना पडेगा क्या ..कमाल है ब्लॉगर हैं तो खुद बखुद समझि...
 
चीन के इशारे पर नाचता नेपाल
(प्रायोजित काररवाई: तिब्बती *शरणार्थी* पर जुल्म ढाती नेपाली पुलिस ) मुझे याद है कि पिछले साल जब मैं बदलते नेपाल के राजनीतिक-सामाजिक हालात पर रिपोर्टिंग करने के क्रम में नेपाल के लोगों से चीन के बारे में पू...
 
'जान'...तुम जब यूँ बुलाते हो तो जैसे जिस्म के आँगन में धूप दबे पाँव उतरती है और अंगड़ाइयां लेकर इश्क जागता है, धूप बस रौशनी और गर्मी नहीं रहती, खुशबू भी घुल जाती है जो पोर पोर को सुलगाती और महकाती है. तुम्...
 
उम्र की कच्ची सड़कों पर जब, हम-तुम अल्हड़ मस्त चाल में; सब कुछ पीछे छोड़ बढ़े थे... तुमको भी सब याद ही होगा... नर्म ज़ुबां में भोली नज़्में, मैं गढ़ता था, तुम सुनती थीं.. एक नज़्म जो अटक गई थी, नटखट थोड़ी, ...
 
विधि स्नातकों को अदालत में उपस्थित होने और पक्ष रखने की पात्रता प्रदान करने के उद्देश्य से बार काउंसिल ऑफ इंडिया छह मार्च 2011 को पहली पात्रता परीक्षा आयोजित कर रही है। इस परीक्षा का उद्देश्य विधि स्नातकों...
 
मै मौन का वो शब्द हूं जो तुम्हारे लिये लिखा गया जिसे पढने की समझ सिर्फ़ तुम जानते हो जिसकी भाषा का हर शब्द तुम्हारी अंतरआत्मा की अभिव्यक्ति है मगर कहती मै हूँ गुनते तुम हो एक भाषा जो शब्दो की मोहताज़ नही होती..

हम लोगों को यह याद रखना चाहिए, वे लोग भी प्रसंशा पूर्वक आपको पढ़ रहे हैं जो आपके ब्लॉग पर टिप्पणिया नहीं करते !* *लेख लिखते समय,सोच समझ कर लिखने के कारण, हम अपने गुणों का भरपूर परिचय देने में सफल हो सकते...
 
तेरे बगैर.....
तन्हा तन्हा सा हुआ हर मंजर तेरे बगैर वीरान सा दिखता है अब ये घर तेरे बगैर जर्द जर्द सा है मौसम, घटाएं सीली सीली धुंआ धुंआ सी लगे है शामो सहर तेरे बगैर फलक पे चाँद तारों का निशाँ नहीं मिलता सब खाली खाल...
 
 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

3 comments:

दीपक बाबा December 20, 2010 at 7:13 PM  

ब्लॉगवाणी तो बहुत ही नखरे वाली महबूबा हो गहि है.

vandana gupta December 20, 2010 at 9:45 PM  

बहुत ही सुन्दर चौपाल्……………आभार्।

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