कडुवा सच-आदिवासी' अवधारणा की तलाश में-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Friday, December 3, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
"सच कहने में कोई बुराई नहीं है किन्तु कडुवा सच तो स्वाभाविक तौर पर कडुवा लगेगा लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं कि हम सच बोलना ही बंद कर दें।" आचार्य उदय
भारत में जनजातियों की दुनिया वैविध्यपूर्ण है। उसके बारे में इकसारभाव से सोचने से सही नीति नहीं बायी जा सकती है। विभिन्न इलाकों में जनजातियों की समस्या,मूल बाशिंदों की अवस्था, स्थानान्तरित जनजातियों...
प्रिय ब्लॉगर मित्रो, प्रणाम ! क्या आप भी अपना अधिकांश समय इंटरनेट के सर्च इंजन बेवसाइट पर बिताते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जो इंटरनेट पर नियमित तौर पर सर्च इंजन का प्रयोग करते हैं उनके कंप्यूटर जल्द वायरस ग...
पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की आठवीं पेशकश ब्लॉगजगत की शान एक सुलझा हुआ इंसान ..शाहनवाज़ सिद्दीकीक्या मंदिर-मस्जिद किसी इंसान की जान से बढ़कर हो सकते है?

मैं हर वक्त देखना चाहता हूँ तुम्हें जैसे तुम पर छाया रहने वाला आसमान देखता है तुम्हें जैसे तुम्हारे पैरों तले बिछी जमीन देखती है तुम्हें जैसे तुम्हारे चारों ओर तनी हुई दिशाएँ देखती है तुम्हें मेरी आँखे देखना...
आभास ही सही क्षितीज पर धरा और अम्बर का मिलन तो दिखता है ..... पर तुम को क्या हुआ तुम तो मेरे अपने थे ना, फिर तुमने अपना रुख क्यों मोड़ लिया हर आहट पर लगता है तुम आये हो , पर क्यों रखु मैं अपने ह्रदय द्...
एक लेखक होने के नाते मुझे लगता है कि मैं समाज के लिये अधिकाधिक उपयोगी बन सकूं. इसलिये साहित्य-सृजन के साथ-सथान्य सामाजिक सरोकारों से जुड़ने की कोशिशे करता हूँ. फिर वह शराबबंदी का आन्दोलन हो, गोरक्षा की बा...
’घनआनँद’ प्यारे कहा जिय जारत, छैल ह्वै फीकिऐ खौरन सों । करि प्रीति पतंग कौ रंग दिना दस, दीसि परै सब ठौरन सों ॥ ये औसर फागु कौ नीकौ फब्यौ, गिरधारीहिं लै कहूँ टौरन सों । मन चाहत है मिलि खेलन कों, तुम खेलत हौ म...
यह रहा प्रश्न आपके सामने हिन्दी फ़िल्मी हीरों दिलीप कुमार का नाम “दिलीप कुमार” किस हिन्दी कवि ने दिया था? मेरा सवाल 153 का सही जवाब – (ऑक्सफोर्ड) 0xford सबसे पहले जवाब दिया श्री पं. अनिल शर्मा जी सहर...
भाई राजीव दीक्षित के अंतिम दर्शन करने और अंत्येष्टि क्रिया में शामिल होने उसी दिन (३० नव. को) हम चले गए। कल ही वापस पहुंचे हैं। दुःख की क्या बात करें उसका कोई पारावार नहीं। मुझे तो स्वामीजी के वो वचन याद आ...
बहुत दिनों बाद ब्लॉग खोला तो सतीश जी का कमेन्ट आया हुआ था कि कहाँ गायब हो गये हो! प्रश्न गंभीर हैं, मुझे खुद समझ नही आता कहाँ गायब हो गया हूँ! मुंबई की भीड़ में या बैंक के काम में!!! लिखने का मन तो बहुत दि...
आज विश्व विकलांग दिवस है. आज मेरा नमन उन विकलांग भाई और बहनों तथा बच्चों को , जिन्होंने अपने विकलांग होने के बाद भी अपने हौसले से अपने अस्तित्व को सबसे ऊंचा रखा. अपनी इस कमजोरी को ल...
बिना पूरी तैयारी के आनन-फानन में शुरू किया गया रायपुर का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) फ्लाइंग प्रोफेसरों के भरोसे है। यहां सबसे बड़ी परेशानी पढ़ाने वाले प्रोफेसरों की कमी है। नया सत्र शुरू हो...
ॠतु वर्णन के इस क्रम में आज माँ की दूसरी कविता 'वसन्त' प्रस्तुत है ! वसन्त निरख प्राण प्रियतम हुई आत्म विस्मृत पुलक कम्प उर में नया रंग लाया, चुने फूल सरसों के केसर मिलाई उबटना नया अंग पर तब लगाया ! न...
अपनी इस रचना में मैंने अपने आस पास के जीवन से उद्धृत दो विभिन्न प्रकार के दृश्यों को चित्रित करने का प्रयास किया है ! ये दृश्य हम प्रतिदिन देखते हैं और शायद इतना अधिक देखते हैं कि इनके प्रति हमारी संवेदनाए...
अगर आप अकेलापन महसूस करते हैं तो एक कुत्ता पाल लें यकीन मानिये (बशर्ते गिरिजेश राव जी से ना पूंछे ;-) ) आपको अकेलापन नहीं खलेगा ! आदिकाल से मानव के साथ साथ रहने वाला यह परम मित्र , घर की सुरक्षा के साथ साथ,...
दिल्ली में एक नवविवाहित जोड़ा अपने परिवार वालों से डरकर छुपता फिर रहा है। उन्हें डर है उनके घर वाले कहीं उन्हें मरवा ना डालें। उस दम्पति का जुर्म सिर्फ इतना है की उन्होंने प्रेम-विवाह किया है । २८ साल का यु...
कल फिर मिलेंगे
5 comments:
Achhe links ko samete hai varta.....Dhanywad
pathaneey links mile. mehanat ko salam...sundar kaam..
चुनिन्दा पोस्टओं का संकलन ...
मैंने कल टिप्पणी भेजी थी,मगर कहीं दिख नहीं रही।
बहुत अच्छे लिंक्स और बहुत बढ़िया चौपाल ! आप मेरी रचनाओं को इस चौपाल में सम्मिलित करने योग्य समझते हैं ! आभारी हूँ ! सभी चुनिन्दा लिंक्स के लिये धन्यवाद !
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