लिखे कागद कोरे-अखबार में लेखकों के पते होने पर प्रतिक्रिया आती है-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Wednesday, December 8, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
मौन ही रहे हम तुम, कहना औपचारिकता है बता देती हैं साँसों का स्पर्श कर आती हवाएँ। समाज कहता है परिणय कैसा जिस पर हमारी मुहर नहीं साँसों में बसे खुले उड़ते कपूर, जलने जलाने वाले क्या जानें? दूरियाँ जमीन की,...
हमारी एक पोस्ट एक पोस्ट के 10 लाख से ज्यादा पाठक में एक ब्लागर मित्र ने सवाल उठाया कि अखबार में प्रकाशित लेखों पर प्रतिक्रिया नहीं आती है, जबकि ब्लाग में तुरंत प्रतिक्रिया सामने आती है। लेकिन ऐसा नहीं है।

भाई साहब मैं मर जाऊंगा मेरी धड़कनें रुक जायेंगी सांस लेना मुश्किल हो जाएगा मेरी बीवी घर से निकाल देगी शान-सौकत सब चली जायेगी किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहूँगा मुझे करने दो, थोड़ा-बहुत ही सही पर मुझे भ्...
सरकारी घर मिला हुआ था पिता जी को, पहाड़ के उपर बनी कॉलोनी में- अधिकारियों की कॉलोनी थी- ओहदे की मर्यादा को चिन्हित करती, वरना कितने ही अधिकारी उसमें ऐसे थे कि कर्मों से झोपड़ी में रखने के काबिल भी नहीं, रह...
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निरंतर बढ़ रहे खतरे में अब चलते फिरते मानव बमों का स्वरूप बदलने की कोशिशें कामयाब हो गयी हें इससे अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आंतकवाद का और खतरा बन गया हे । अल कायदा के एक चिकित्सक का ...
काफी समय से देखने में आ रहा है की ''हिन्दुस्तान का दर्द''पर प्रकाशित पोस्टों पर पाठक एवं सदस्य की जो पैनी नजर हुआ करती थी वो कही खो गयी है,क्योंकि जिस तरह की विषय सामग्री पर हम बहस करते थे एक नतीजे पर पहु...
अमरीका की बौद्धिक ताक़त का प्रतीक माना जाने वाला " इंटरनेट " अब अमरीका के गले की हड्डी बन गया है ? इन दिनों विकीलीक्स ने इंटरनेट पर लाखों गुप्त दस्तावेज़ प्रकाशित करके अमरीका को हिला कर रख दिया है. इ...
प्यारा सा एक एहसास हु मै हर दम तुम्हारे साथ हु मै .......... मुझसे दूर कहाँ...
आ गयी फिर बृहस्पतिवार की चर्चा अपने रंग मे और ज्यादा वक्त बर्बाद नही करती और ले चलती हूँ सीधे चर्चा की ओर्……………… फिर न वापस आऊंगा. गुजरा हुआ ज़माना आता नही दोबारा हादसों के शहर में ---संजय भास्कर ज़रा बच...
मैंने छल व बेईमानी से इतनी धन-दौलत संग्रहित कर ली है कि चिंता के कारण रात में नींद नहीं आती, वहीं दूसरी ओर मेरे सारे परिजन बेईमान निकल गए हैं अब सोच रहा हूँ कि मुझे छल व बेईमानी करने की जरुरत क्या थी !" आ...
[image: https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXJ-XX1Z4j6gQ6jFNxsf4MjE5lcBbZ63fwB8Rf7usUMMNhBazUCoZ1Sk82K432c05JIiYnTXuuxtgKKn5hn-tf6NUcHFqkFATk-KZoEdpZi3L2fZI_sElhoJFq-wKl5Ti2_cuP22gzvV4/s1600/25pf-1.JPG]बकौल ललित तथा कल प्रकाशित यात्रा विवरण अनुसार इन्दु जी के बेटे की शादी में ऐसेईच्च कई सारे फ़ोटू बने थे ...
आँच-47 मवाद.. हरीश प्रकाश गुप्त कितनी ही अनकही बातों का घना जंगल और कंटीली झाडियाँ हैं भीतर वजूद में जिनमें घुसने में खुद को भी भय लगता है. मानो ... रक्त-रंजित कर देंगी मुझे इस जंगल के भीतर के जहरीले
केवल राम जी चलते-चलते पर लिख रहे हैं :-एक दिन जिन्दगी हमसे यूँ ही रूठ जाएगी सवालात होंगे सब खत्म, सिर्फ बातें ही रह जाएगी. हम वाकई केवल बैसाखियों पर चलने के आदी न रहें यदि एग्रीगेटर न हो भी आप को कोई समस्या...
बीएड सत्र 2010-11 में निर्धारित शुल्क से अधिक फीस वसूलना 22 संस्थानों को महंगा पड़ गया है। मंगलवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में हुई कार्य परिषद की बैठक में इन संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध मे...
कल फिर मिलेंगे
9 comments:
चर्चा बढ़िया है .. समीर लाल जी ने ब्लागिंग छोड़ी ... यह पोस्ट पढ़ी मगर देखिये आज ही उनकी नई पोस्ट .... क्या लिखते हैं वगैर सोचे समझे ... ? आभार
बढ़िया चौपाल ...
आजकल तो काफ़ी लिंक्स आपकी चौपाल मे मिल रहे हैं……………आभार्।
बहुत अच्छी रही ब्लॉग चौपाल | आभार
आशा
सुन्दर चौपाल और बेहतरीन लिंक्स.
अच्छी चौपाल सजी है। इस चौपाल में हमारे ब्लॉग को शामिल करने के लिए आभार।
अच्छा है चर्चाएं बताती है कि मेरे गायब रहने के दौरान कया हुआ. धन्यवाद.
सुन्दर चौपाल और बेहतरीन लिंक्स.धन्यवाद.
भाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग आपका आभारी है।
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