खुद बढ़ी जाती हूँ मैं, तुम्हें सच बोलना भी नहीं आता।- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Thursday, September 2, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
कुछ लिखने का मन नहीं है इसलिए सीधे चलते हैं चौपाल की तरफ....
ना कोई आवाज़, ना आहट, ना कदमों के निशाँ साथ अपने साये के गुमसुम चली जाती हूँ मैं ! राह में मुश्किल बहुत सी हैं खड़ी यह है पता, तुम न दोगे साथ मेरा बात यह भी है पता, मैं अकेली ही बहुत हूँ मुश्किलों के वास्त...
आज भीतर बाहर जूझते वह सुबहें याद आई हैं - जब पृथ्वी पर होते थे बस मैं और तुम जीवित। सब कुछ सिमटा था बस दो साँसों के बीच होठों पर नहीं, नथुनों में थे चन्द शब्द उनके उच्चारण एक ही थे - प्रेम। आसक्त मन कितना ...
बचपन मे जब खेल मेरा हाथ थाम चला ही होता था.. जब लगता था की बस तुम्हे छूने ही वाला हूँ... तू जाने कहाँ छिप जाती थी... तेरा घर निहारता था, तो बरामदे मे तुम्हारी माँ बैठी मिलती थी... जवानी मे जब एक हाथ से कु..
आप सब को अनामिका का नमस्कार...आज शुक्रवार फिर चर्चा मंच पर हाज़िर हूँ आपके बीच कुछ नयी नयी चिट्ठियाँ लेकर ....कल सभी साथी जन्माष्टमी के अवसर पर कान्हां के रंग में रंगे हुए थे और कान्हा पर ही बहुत सी पोस्...
इंटरनेट बादशाह बनने की राह पर भारत * * भारत* जल्द ही इंटरनेट की दुनिया का बड़ा खिलाड़ी बनने वाला है. 2015 तक भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़कर ...
अपनी नियमित दिनचर्या के चलते शाम को मेल देखने बैठे तो एक मेल देखकर मजा आ गया। अपना नाम भी बैशाखनंदन के विजेताओं की श्रेणी में आ गया। व्यंग्य के इस पुरस्कार के विजेताओं में अपने नाम के साथ-साथ जिन महारथ...
दो* बड़े ही अजीब इंसिडेंट हुए मेरे साथ....अभी कुछ दिन पहले की ही बात है..... पहले इंसिडेंट में हुआ यह कि मैं टी. वी. देख रहा था शाम की चाय के साथ... तो सोचा कि चैनल चेंज कर लूं... तो रिमोट उठा कर
आपने यह खबर तो अब तक सुन/ पढ़ ही ली होगी कि पाकिस्तानी खिलाडियों पर लगे स्पाट फिक्सिंग के आरोपों से नाराज पाकिस्तानियों ने सोमवार को लाहौर में गधों का जुलूस निकाला और जूते , चप्पल और सडे हुए टमाटरों ...
गगन शर्मा बता रहे हैं- प्रेम प्रसंग, फिल्मी दुनिया के
आजकल फिल्मी दुनिया में इश्क भी एक जरिया या माध्यम हो गया है। अपनी सहूलियत, अपने मतलब, अपने फायदे के लिये इसका उपयोग होने लगा है। इश्क में से प्रेम की गहराई गायब हो गयी है। मौजूदा पीढी की वफादारी एक शुक्रवा...
आजकल फिल्मी दुनिया में इश्क भी एक जरिया या माध्यम हो गया है। अपनी सहूलियत, अपने मतलब, अपने फायदे के लिये इसका उपयोग होने लगा है। इश्क में से प्रेम की गहराई गायब हो गयी है। मौजूदा पीढी की वफादारी एक शुक्रवा...
मिलिए सुपरस्टार आइन्स्टाइन से.. ------>>>दीपक मशाल
सबसे पहले तो दुनिया के पहले दार्शनिक(श्री कृष्ण) के जन्मदिवस पर आप सबको शुभकामनाएं.. यहाँ मिलिए सुपरस्टार आइन्स्टाइन से.. पक्का आप दीवाने हो जायेंगे इनके.. और अब देखिये इन्हें टेलीविजन पर.. साथ में...
जब कान्हा सौ साल बाद कुरुक्षेत्र के मैदान में राधा से मिलते हैं. राधे राधे तुम बिन कैसे बीते दिवस हमारे तन मथुरा था मन बृज में था निस दिन रोवत नयन हमारे राधे राधे तुम बिन कैसे बीते दिवस हमारे संस...
कल भी *जन्माष्टमी* और आज भी है ... भाई लोग भगवान के भी दो दो दिन जन्मदिन मनाने लगे हैं ... मतलब साफ़ है कल भी कन्हैया जी पैदा हुए थे और आज भी पैदा होंगे... दो दो दिन त्यौहार रहने का सबसे ज्यादा फायदा महाराज...
कुल मिलाकर सांसदों ने अपनी तनख्वाह तीन-चार गुणा बढ़ा ही ली, अब कई राज्यों के विधायक भी अपनी तनख्वाह बढ़ाने की कवायद में लग गये हैं। मिलबांटकर अपने लिए सब कुछ पा लेने की रणनीति से आम आदमी के बारे में सोचने ...
गोंड जनजाति की 56 शाखाओं मे से एक दोरला जनजाति भारत मे सिर्फ़ बस्तर और खासकर दक्षिण बस्तर मे ही रहती है।द्रविड़ संस्कृति के बेहद करीब है दोरला जनजाति की संस्कृति।दोरला तेलगु से संबंधित दोरली भाषा बोलते हैं...
छ्म्मकछल्लो को अपने देश के रीति रिवाज़ पर बडा नाज है. जब अपने लोगों को इस रीति नीति के पालन में तत्परता से जुटे देखती है तब उसका दिल बाग-बाग होने लगता है. आजकल बाग-बाग बोलने में खतरा है, क्योंकि बाग में हरि...
5 comments:
बहुत बढ़िया चर्चा ...पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आभार...
बहुत बढ़िया चौपाल
पढ़ा। अनिल पुसदकर की पोस्ट ने अत्यधिक प्रभावित किया।
bahut sunder chaupal sajayi he.
बहुत अच्छी लगी यह चौपाल भी ! मेरी रचना को सम्मिलित करने ले लिए आपकी आभारी हूँ ! धन्यवाद !
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