तुम मुझे जानते हो ?, इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है?- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Saturday, September 25, 2010
कल सेहत ने साथ देने से जवाब दे दिय , इसलिए चौपाल नहीं सजा पाए। वैसे तो सेहत आज भी कुछ नासाद है, पर फिर भी सोचा चलो छुट्टी का दिन है चौपाल सजा ही लेते हैं....
मुझे पढने के बाद भी मैं समझ आने वाली नही इसलिए कभी मत सोचना कि तुम मुझे जानते हो ? कुछ दायरे सोच से भी उपर होते हैं बहुत दूर हूँ तुम्हारी सोच से तुम्हारी सोच सिर्फ मेरे अस्तित्व तक ही पहुंचेगी मगर...
शहरयार- * सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है? इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है? दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढे़, पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान सा क्यूँ है? तन्हाई की ये कौन सी मन्ज़...
बिल्हा स्टेशन में रेल्वे प्लेटफ़ार्म पर ट्रेन का इंतजार कर रहा था, तभी मेरी निगाह बच्चों पर पड़ी। पास ही उनके माँ बाप किसी बात पर तू तू - मैं मैं कर रहे थे। शायद बच्चों की माँ रुमाल में बंधे कुछ रुपए कहीं गि...
सुबह सुबह कविता पर टिप्पणी की...अब रात के बारह बजे जाग रहा हूं , बाहर ज्यादातर बत्तियां गुल हुई हैं लिहाज़ा वहां , बागीचे में अंधेरा बिखर सा गया है , गोया उसकी हालत भी मेरे अंतर्मन सी हो चुकी हो ! स्त्रि...
बातों-बातों मे कभी कोई बात निकल आती है जो निर्मल हास्य का खज़ाना खोल देती है।ऐसी ही एक बात कल रात बेहोशी वालों डाक्टरों की बैठक मे भी निकली।बैठक आफ़िशीयल नही थी बस यूं ही मिल बईठे थे दिवाने दो,दो नही तीन और ...
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव ने मैच फिक्सिंग पर कहा कि खिलाडिय़ों को देश को शर्मसार नहीं करना चाहिए। गलत काम का नतीजा हमेशा गलत होता है, इससे बचने का प्रयास करें। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टे...
नकारात्मक ख़बरों के लिए कुछ बिके हुए भारतीय मीडिया की तो मैं नहीं जानता, मगर मुझे भी मेरे कुछ दोस्त यह सलाह देते है कि मैं बहुत ज्यादा नकारात्मक लिखता हूँ। मैं उनकी बात को सिरे से नकारता भी नहीं, क्योंकि मै...
कहते हैं तस्वीरें बोलती हैं। लो कर लो बातआप तो आनंद लीजिए इन बेंगलुरू तस्वीरों का। समझ में आए तो समझाने का कष्ट करें :-) आज इतनी ही पचाईये कल कुछ और गरीष्ट का इंतजाम करता हूँ।
हाल ही में मैं अपने मित्र की बहिन की शादी में शरीक हुआ | सभी रस्मो रिवाज़ के साथ विवाह संपन्न हुआ | फिर दौर चला पीने पिलाने का | इन लोगों ने जिद की तो मैंने एक सोफ्ट ड्रिंक कंप...
ट्रिंग-ट्रिंग…ट्रिंग-ट्रिंग… “हैलो".. “इज इट फ़ादर डिकोस्टा स्पीकिंग?"… “यैस…माय सन..मे आई नो हूज ऑन दा लाइन?”.. “सर!…मैं राजीव…दिल वालों की नगरी दिल्ली से"… “व्हाट कैन आई डू फॉर यू…...
वैसे तो सरकारी विज्ञापन से ही नहीं सेटिंग करके जमीन से लेकर खदान लेने वाले अखबार मालिक अपने पत्रकारों व दूसरे मीडिया कर्मियों को फूटी कौड़ी देना पसंद नहीं करते लेकिन जब भी नए ग्रुप की आमद होती है वे भीतर तक ड...
श्री गौहर रजा साहब अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर, शिक्षाविद, वैज्ञानिक, जहांगीराबाद मीडिया इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर भी हैं तथा डाक्युमेन्टी फिल्मो के निर्माता हैं इनकी कुछ प्रमुख डाक्युमेन्टी फिल्में T...
कितने दीप जलाये मैंने कितने दीप जलाये ! मेरे स्नेह भरे दीपक थे, सूनी कुटिया के सम्बल थे, मैंने उनकी क्षीण प्रभा में अगणित स्वप्न सजाये ! मैंने कितने दीप जलाए ! आँचल से उनको दुलराया, तूफानों से उन्हें बचाय...
कल फिर मिलेंगे
10 comments:
वाह वाह वाह
बढिया चर्चा सजाई
राम राम
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
कहानी ऐसे बनी– 5, छोड़ झार मुझे डूबन दे !, राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
काव्यशास्त्र (भाग-3)-काव्य-लक्षण (काव्य की परिभाषा), आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
वाह ……………बहुत ही सुन्दर चौपाल सजाई है।
बहुत बढ़िया चौपाल ...
बहुत सुन्दर चौपाल है राजकुमारजी ! और सभी लिंक्स बेहतरीन हैं ! आभार !
अति सुंदर चर्चा.
रामराम.
सभी लिंक्स बेहतरीन हैं. ब्लॉग चौपाल की चमक दिन पे दिन बढती जा रही है...इस बात की खुशी है.
सुन्दर चर्चा ! बढ़िया लिंक्स !
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