सबसे प्यारी-भारतीय नारी-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Monday, September 6, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
हर तरफ इस तीज और गणेश जी के आगमन की तैयारी चल रही है। महिलाएं जहां तीज मनाने अपने मायके जा रही हैं, वहीं छोटे से लेकर बड़ों को इंतजार है कि कब गणपति बप्पा का उनके घर में आगमन हो। अभी तो नहीं कुछ दिनों बाद इनकी धूम अपने ब्लाग जगत में भी दिखने लगेगी....
नाम: डा. हरदीप कौर संधु*** *जन्म: बरनाल़ा (पंजाब)*** *सम्प्रति: पिछले छह-सात साल सिडनी (आस्ट्रेलिया) में प्रवास ।*** *शिक्षा:पी.एच-डी.( बनस्पति विज्ञान)*** *कार्य : अध्यापन*** *रुचि:हिन्दी-पंजाबी दोनों भा...
हमको मेहनत करनी थी ब्लॉग के निरपेक्ष्य पाठक बनाने में....
एक ब्लाग है साधवी जिस पर तीन तारीख तक तीन वर्षों में कुल चौंतीस पोस्ट शाया की गईं......लेखिका स्लो लिखतीं है पर उम्दा बान्गी देखिये ”नींव” साध्वी बाबा समीरानंद का अनुसरण करती नज़र आईं.मौत भी शायराना चाहता ह...
एक ब्लाग है साधवी जिस पर तीन तारीख तक तीन वर्षों में कुल चौंतीस पोस्ट शाया की गईं......लेखिका स्लो लिखतीं है पर उम्दा बान्गी देखिये ”नींव” साध्वी बाबा समीरानंद का अनुसरण करती नज़र आईं.मौत भी शायराना चाहता ह...
11 अग 2010 10s by padmsingh in आलेख, पद्म, पद्मसिंह, पद्मावलि, संस्मरण, सरोकार [Edit] [image: mix] जाने क्यों और कैसे … बचपन में मुझे ऊंचाइयों से गिरने और अजीब अजीब सायों के बहुत से सपने आया करते …...
ब्लॉग संसद में - मनमोहन सिंह जी का बयान न्याय को हतोत्साहित और भ्रष्टाचार को बढाने वाला है...?हमसब को इसका पुरजोड़ विरोध करना चाहिए !!!!!!!!!!!!!!!!!
इस प्रधानमंत्री ने न्याय और संवेदनशीलता को एकदम भुला दिया है प्रधानमंत्री क़ी कुर्सी के अहं में ,अब तो इसने हद ही कर दी है ...** **शाबास सर्वोच्च न्यायालय, पूरे देश क़ी जनता आपके इस न्यायपूर्ण और इंसानिय...
इतना कहकर शैफाली मुझे स्तब्ध खड़ा छोड़कर चली गयी और मैं काफी देर बुत -सा ठगा खड़ा रहा ----------- अब आगे ------------- वो तो दोस्तों ने जब मुझे काफी देर तक दूर खड़ा देखा तो आकर पूछा , "कौन थी वो जो उसके ख्य...
इन दिनों देश भर का मीडिया कामनवेल्थ खेलों पर ऑस्कर विजेता संगीतकार ए आर रहमान द्वारा तैयार थीम सॉंग पर चर्चा में उलझा हुआ है.हर किसी की अपनी ढपली अपना राग है.इसी बीच दिल्ली के पापुलर बैंड "यूफोरिया" ने दिल...
अपनी ख़ूबसूरत यादों के उजाले साथ हमरे संग रहने दो न जाने किस मोड़ पर इस जिन्दगी का काम तमाम जाए. 000 गर अबकी बिछड़े तो शायद उन्हें हम सपनों में मिलें जिस तरहा ख़ूबसूरत फूल सूख कर... किताबों में मिले
सरकार को गाली देना बहुत आसान है,बहुत क्या सबसे आसान है.कुछ भी होता है मुँह खोलो और सरकार पर गँदे-गँदे गालियोँ के गोले बरसा दो.सड्क से लेकर रेल और हवाई जहाज और नाली से लेकर नल,दवा से लेकर दारु और दारु से ले...
कैसी सरकार, कैसा न्याय डॉ. आदिले को क्यों बचा रही है सरकार... सब कुछ आईने की तरह साफ है इसके बावजूद डॉ. आदिले पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है। यह आश्चर्यजनक ही नहीं दुखद है। क्या आप लोगों ने ऐसे सरकार की क...
झारखंड में एक और राजनीतिक नाटक की पटकथा लिखी जा रही है। सत्ता खोकर, सत्ता के लिए बेकरार झामुमो और भाजपा में गलबहिया हो रही है, जिसके हमजोली सुदेश महतो भी बन गये हैं। ये तीनों मिलकर बहुमत का आंकड़ा बनाने में...
कभी चुप रहकर कभी बोल कर खूब सताती हो , फिर भी जाने के बाद तुम ही तुम याद आती हो ...... =========================== तुम्हारे ख्याल से उठती है सौंधीसी सुगंध मेरा जर्रा जर्रा महक जाता है ..... बस तुम्हारी दूरी ...
ओ बड़े दिनों में खुशी का दिन आया…. आज मुझे कोई ना रोके… बतलाऊँ कैसे कि…मैंने क्या पाया?… ओ बड़े दिनों में खुशी का दिन आया… आज मैं खुश हूँ…बहुत खुश…मेरी कहानी छोड़ो ना...कौन पूछता है को आवाज़ जो मिल गई ...
दो दिन पहले अचानक चिट्टा जगत के टॉप 40 ब्लागों की सूची पर नजरें पड़ीं तो देखा कि वहां पर छत्तीसगढ़ के पांच ब्लाग हैं। इस समय *ललित डाट काम, अमीर धरती-गरीब लोग, राजतंत्र, आरंभ और धान के देश में *टॉप 40 में...
श्यामल सुमन का- प्रश्न
यह तेरी कैसी भगवत्ता? मौज उड़ाते भ्रष्टाचारी, सच्चे दुख पाते अलबत्ता। यह तेरी कैसी भगवत्ता? धर्मवीर कैसे हो मानव, साहस नहीं जुटा पाते हैं। कर्मवीर कैसे पैदा हों, अवसर छीन लिए जाते हैं।। धन-संचय की ऐसी लिप्स...
यह तेरी कैसी भगवत्ता? मौज उड़ाते भ्रष्टाचारी, सच्चे दुख पाते अलबत्ता। यह तेरी कैसी भगवत्ता? धर्मवीर कैसे हो मानव, साहस नहीं जुटा पाते हैं। कर्मवीर कैसे पैदा हों, अवसर छीन लिए जाते हैं।। धन-संचय की ऐसी लिप्स...
कल फिर मिलेंगे
4 comments:
बहुत बढिया चौपाल .. कई अच्छे लिंक्स मिले !!
काफ़ी लिंक्स मिल गये……………सुन्दर चौपाल्।
बहुत उम्दा चौपाल ...अच्छे लिंक्स मिले
बहुत अच्छी सजी है चौपाल।
हरीश गुप्त की लघुकथा इज़्ज़त, “मनोज” पर, ... पढिए...ना!
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