शामें उल्फत भरी है, कोई तन्हा न रहे !, फिर वही एहसास है- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Tuesday, September 7, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
रात को पीपली लाइव देखने बैठ गए थे, अभी आधी फिल्म ही देखी है, फिल्म देखने की वजह से देर से उठे हैं तो चलिए समय खराब किए बिना चलते हैं चौपाल की तरफ....
सालों बाद पिछले कुछ दिनों से फिर वही एहसास ..... बरसों पहले छू गया था वो कुछ दिनों से पास से गुजरता.... फिर वही एहसास..... कैसे शब्दों में उलझाउं निशब्द उलझा हूं.... मेरी नज़रों के पास.. फिर वही एहसास ...
काफी दिनों बाद आज लिखने का मूड हुआ था, बारिश की बौछारों संग ! मगर अचानक से एक काम आ गया, खैर, आपसे भी यही गुजारिश है कि इन चंदपंक्तियों का भी लुफ्त उठा सको तो ; हैं बादल घने , तो है बहुत तेज बारिश भी, है ...
मामून जहाँ रह जाऊँ मैं, वो हाजत नहीं रही हर ज़ख्म सबको दिखाऊँ मैं, आदत नहीं रही ग़ैरों के जिस्मों में भी, अब लोग रहने लगे हैं मुझको तो अब ख़ुद से भी, निस्बत नहीं रही गुजरेंगे चार दिन 'अदा', अब पूरे अज़ाब ...
एक दिन चला था जिंदगी के सफ़र, पर कुछ रिश्तो को लेकर ...... कुछ को कांधे बैठाया कुछ को पलकों पर .......... चला कुछ को गोद लिए, कुछ दिल मे दबा कर........ चलता रहा एक पहर.........., दो पहर .........
बात अधिक पुरानी नहीं है.. इसकी शुरुवात सन 2004 के कुछ साल बाद हुई, जब दीदी कि बड़ी बिटिया को यह समझ आने लगा कि डरना क्या होता है.. फिर शुरू हुई यह दास्तान.. मेरी आवाज गूंजने लगी घर में, "अरे, मेरा मोटा वाला...
तुम्हारे दिल की अब धड़कन, हमारे साथ क्यों ना है कभी होती थी जो लब पे, वो अब बात क्यों ना है नहीं लगता साथ होकर भी, अब तुम साथ हो मेरे मिरे हाथों में होता था जो, वो अब हाथ क्यों ना है नहीं चंदा कहीं दिखता,...
लिखना मुझे कब आता है बस आपके दर्द आपकी नज़र करती हूँ दर्द की चादर ओढकर जब तुम सोते हो मै चुपके से आ जाती हूँ तुम्हारे दर्द के कुछ क्षणों को तुमसे चुरा ले जाती हूँ फिर उन अहसासों को जीती हूँ तुम्हारे
पिछली पोस्ट में पूरी बात तो हो नहीं पायी , आज उसी प्रसंग को आगे बढाती हूं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखनेवाले और विज्ञान की मोटी मोटी पुस्तके पडनेवाले मेरे पापाजी और अन्य भाइयों के कारण हमलोगों ने बचपन से ही ...
अनिल धारकर* पाकिस्तान हर लिहाज से विफल राज्य है और विफल राज्यों को हमेशा किसी न किसी हौए की दरकार होती है। भारत हमेशा से पाकिस्तान का हौआ रहा है। जब भी पाकिस्तान में कोई न कोई गड़बड़ होती है तो भारत का ...
बच्चा मर गया एक माँ कि कोख उजड़ गई पर इस साहब को अभी लिखित शिकायत का इन्तजार हैं
अच्छा तो हम चलते हैंदिल्ली में सरकारी अस्पताल की एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया हैं ..जिसमें अस्पताल पर आरोप हें की उसने एक पांच दिन के बच्चे का इलाज करने से करने से मना कर दिया बल्कि ये कहकर भगा दिया गया की उनमें स...
*अरविंद शेष * said: राजू जी, अच्छा यह है कि आपके इस मूल्यवान “सलाह” से बहुत पहले मैं अपना, अपनी समझ का और अपनी (औंधी) खोपड़ी का मूल्यांकन करना शुरू कर चुका था। शायद तभी मुझे अपनी खोपड़ी को औंधा करने की ज...
बिचारे डॉक्टर वैसे भी बहुत लेट शादी करते है पर ये कैसे पता चले की कोई डॉक्टर की शादी हो रही है ???? कुछ नुस्खे : = बारात एम्ब्युलंसमें आये .... = शादी ओपरेशन थियेटरमें हो .... =रिसेप्शन ओ पी डी वोर्ड में हो...
कल फिर मिलेंगे
7 comments:
सार्थक लेखन के लिए बधाई
पोला तिहार के गाड़ा गाड़ा बधई
भुला गेस का रबड़ी मलाई
साधुवाद
लोहे की भैंस-नया अविष्कार
भूले नहीं हैं ललित भाई
जब भी मन हो आ जाए
तैयार है तय की गई रबड़ी मलाई
पोला तिहार के गाड़ा गाड़ा बधई, ललित भाई
पोला तिहार के गाड़ा गाड़ा बधई...
आज तो काफ़ी बढिया चर्चा लगाई है काफ़ी लिंक्स मिल गये।
आपका लेख अच्छा लगा .धन्यवाद
* पोला त्योहार की बधाई .*
आभार !!
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