जख्म दिया करते हैं फिर थोड़ा मुसकाते हैं, फिर वो भी हर पल होंगे उदास- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Wednesday, September 8, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
आज जब चौपाल संजाने बैठे तो देखा कि कम से कम आधा दर्जन ब्लाग कवितामय हैं। ऐसे में सबसे पहले हमने उन्हीं ब्लागों को चौपाल में शरीक किया है। चलिए देखे किसके दिल की क्या कसक है....
आप गैरों की बातें करते हो ,हमने अपनों को आजमाया है ,* *लोग काँटों से बचके चलते हैं ,हमने फूलों से जख्म खाया है . * * * *2.* *मत पूछ मेरे सब्र की इन्तहा कहाँ तक है ,* *तू ...
उनको तो मिल गया किसी का सहारा हम अब तक हैं बेसहारा कैसे चलेगा जिदंगी का गुजारा सोचता है दिल हमारा बेचारा दिल सच में है बेचारा जो उनके इशारे पे गया मारा जब दिल गया उनके इशारे पे मारा तो अब कैसे हो उन...
गिरीश पंकज की ग़ज़ल/ जख्म दिया करते हैं फिर थोड़ा मुसकाते हैं
पाँच दिन बाद फिर हाज़िर हूँ. यानी फिर वही दिल लाया हूँ. पेश है बिल्कुल नई ग़ज़ल.देखे शायद इन शेरों में सच्चे लोगों का दर्द उभरा हो शायद. भले लोगों को दुर्जन हमेशा तकलीफ ही देते है. लेकिन अनुभव यही बताता है क...
पाँच दिन बाद फिर हाज़िर हूँ. यानी फिर वही दिल लाया हूँ. पेश है बिल्कुल नई ग़ज़ल.देखे शायद इन शेरों में सच्चे लोगों का दर्द उभरा हो शायद. भले लोगों को दुर्जन हमेशा तकलीफ ही देते है. लेकिन अनुभव यही बताता है क...
जोश है इस जिस्म में, जज्बात से सिहरता बदन जंग से हालात हैं, हर रात है पिघलता बदन. आरज़ू-ए-वस्ल वो, खूंखार आज बाकी नहीं साथ हो इक हमसफ़र, तन्हा पड़ा तरसता बदन. कायदा संसार का, इंसान पे लिपटता... मेरे हिंदी क...
मोहब्बत की थी हम दोनों ने इश्क की सीढियां चढ़ी थीं हम दोनों ने ज़माने से लड़ा था दोनों के लिए याद है तुम्हें प्राची के पार मिलने का वादा किया था डूबता सूरज गवाह बना था तेरी ज़ुल्फ़ से अठखेलियाँ करती पवन
तेरी लिखावटमें हर मोड़ पर मूड जाता हूँ , तेरे एहसासको खुद में बारूदकी तरह फूटता हुआ पाता हूँ , तेरी हँसीको फिजाओंमें बिखरते हुए पाता हूँ .... आयने में तेरी तस्वीर खुद की जगह देखता रहता हूँ .......
राम त्यागी कहते हैं- वो होंगे कामयाब …
जब मैंने टाइम पत्रिका में कुछ दिन पहले एक लेख पढ़ा तो मैं भय के मारे, घुटन के मारे काँप रहा था, एक सिहरन सी थी शरीर में ! देश – चिली, स्थान - एक कॉपर और सोने की एक ध्वस्त खदान
आज संगीताजी की एक पोस्ट कर्मकाण्डों को लेकर आयी। मुझे लगता है कि समाज में स्थापित कर्म-काण्ड और रीति-रिवाज पर चर्चा होनी चाहिए कि यह सामाजिकता और परिवार के लिए कितने आवश्यक हैं और कितने अनावश्यक।
महेन्द्र मिश्र कहते हैं- आज विश्व साक्षरता दिवस : आप एक एक निरक्षर को साक्षर बनाने का संकल्प लें....
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
आज 8 सितंबर को भारत सहित पूरे विश्व मे विश्वसाक्षरता दिवस मनाया जा रहा है. साक्षरता आंदोलन की देश और समाज मे महत्वपूर्ण भूमिका है . साक्षरता आन्दोलन ने जाति ,धर्म,स्थानीय और प्रांतीय भेदभाव की सीमाओ को तोड...
मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर लिखी पोस्ट पर *डॉ.दिनेश राय द्विवेदी जी* ने अनुरोध किया था कि मैं आदि देव शिव पर कुछ लिखूं -अब बनारस में रहकर अगर भोले बाबा पर कुछ नहीं लिखा तो शायद मेरा बनारस प्रवास निष्फल ही चल...
पिछले कुछ दिनों से कॉमनवेल्थ गेम्स के थीम सांग पर उंगलियाँ उठ रही हैं, पढ़ कर मन में एक नया गीत / कविता लिखने की इच्छा हुई ..... जो आपके समक्ष प्रस्तुत है आपकी प्रतिक्रया की आशा है ... धन्यवाद ... आओ ...
विश्वास क्या है और अंधविश्वास क्या है इसके झमेले में नहीं पड़ें तो अच्छा। अरे भाई जिसकी जैसी मर्जी उसे वैसे जीने दो। बड़े-बड़े संत, महात्मा, अवतार आ-आ कर चले गये। समझाते-समझाते सदियां बीत गयीं पर क्या सोच बदल...
विश्व की सबसे छोटी हस्तलिखित ”पवित्र कुरान ”आबेद रेबो को अपनी महान दादी से विरासत में मिली है । यह पवित्र कुरान का पूर्ण संस्करण है जो कि 2.4cm x 1.9cm साइज की है । इसमें कुल 604 पेज हैं जिन्हें सोने की ...
जी हाँ। गूगल महराज हिन्दी में स्वस्थय से सम्बन्धित विषयों पर लिखने के लिये पैसे दे रहे हैं। आपको करना यह है कि किसी चुने हुए स्वास्थ्य-विषयक अंग्रेजी लेख को गूगल ट्रांसलेशन किट की सहायता से हिन्दी अनुवाद क...
कल फिर मिलेंगे
4 comments:
बहुत सही सजी चौपाल.
सुन्दर चौपाल ...
बहुत सुन्दर चौपाल सजाई है।
चौपाल सजाने में किए जा रहे परिश्रम को नमन।
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