ये है ब्लाग चौपाल जो खोल रही है ब्लागों का राज: ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Thursday, June 3, 2010
ब्लाग-चौपाल का करने से पहले आगाज
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
तो मित्रों अब वह वक्त आ गया है जब ब्लाग बिरादरी के मित्रों को मिलकर साथ चलना चाहिए। हमारा ऐसा मानना है कि आपसी मतभेदों को किनारे कर देना चाहिए। वैसे हम एक बात बता दें कि मतभेद तो होते ही हैं, लेकिन मनभेद नहीं होने चाहिए। लेकिन हम देख रहे हैं कि ब्लाग जगत में मतभेद के साथ मनभेद ज्यादा हो गया है। तो इसी मनभेद को मिटाने का हमारा एक प्रयास है और इस प्रयास में हम आप सभी का साथ चाहते हैं।
तो चलिए आज ब्लाग-चौपाल की पहली चर्चा सजाते हैं
और देखते हैं कौन जनाब क्या फरमाते हैं
तो चलिए आज ब्लाग-चौपाल की पहली चर्चा सजाते हैं
और देखते हैं कौन जनाब क्या फरमाते हैं
युग क्रांति में यशवंत मेहता बता रहे हैं- भिखारीपन मुआ......ब्लॉग्गिंग की दुनियाँ में
उस दिन में यूँ ही.. एक कवी सम्मलेन सुनने चला गया, सुनने को तो वहाँ कुछ ख़ास था नहीं, पर वहाँ का नज़ारा देख बस मजा आ गया कुछ मत पूछिए ! बस यूँ जानिये की मजा आ गया......! कवी सम्मलेन तो वो कम था.. एक-दुसरे क...
उस दिन में यूँ ही.. एक कवी सम्मलेन सुनने चला गया, सुनने को तो वहाँ कुछ ख़ास था नहीं, पर वहाँ का नज़ारा देख बस मजा आ गया कुछ मत पूछिए ! बस यूँ जानिये की मजा आ गया......! कवी सम्मलेन तो वो कम था.. एक-दुसरे क...
अब इस घर में अजब उदासी है ख़ुशी तो है पर बहुत ज़रा सी है जाने कितने राह भटक रहे हैं ये और कुछ नहीं बदहवासी है कहना है उनसे न करो तार-तार कल ही तो रिश्तों की क़बा सी है अहमकी के हक़ पर हो रहा यलग़ार
दिल्ली यात्रा के दिनों में अखबार पढने का भी समय नहीं मिला। अभी घर पर सभी पुराने अखबारों को पढ रहा था तो पता चला कि मंगलुर में भयानक प्लेन दुर्घटना हुई। जिसमें लगभग 150से उपर लोग मारे गए। बहुत ही बुरा हादसा...
दोस्तों! * *चर्चा मंच पर आप सब को मेरा नमस्कार, सलाम, सतश्रीअकाल और गुड मार्निंग जी :) * *सबसे पहले तो आप सब का, * *जिनकी चिट्ठी खुली है या नहीं खुली है ..... * *तहे दिल से स्वागत है और गुज़ारिश है कि *
अजित गुप्ता बता रहे हैं- लॉस वेगास Las Vegas में प्ले - पाप की नगरी में कला और तकनीक का अद्भुत संगम
KÀ Show Video at The MGM Grand Hotel in Las Vegas हम अपनी सीट पर बैठ चुके थे, एकदम पहली कतार में। लेकिन बैठने के बाद लगा कि सिनेमा हॉल की तरह यहाँ सामने एक ऊँची सी दीवार है और मंच कहीं दिखायी नहीं दे रहा ...
KÀ Show Video at The MGM Grand Hotel in Las Vegas हम अपनी सीट पर बैठ चुके थे, एकदम पहली कतार में। लेकिन बैठने के बाद लगा कि सिनेमा हॉल की तरह यहाँ सामने एक ऊँची सी दीवार है और मंच कहीं दिखायी नहीं दे रहा ...
मेरी छोटी सी दुनिया में पीडी कहते हैं- ब्लाह..ब्लाह..ब्लाह..
मैं बहुत कम बोलती हूं ना, सो कभी-कभी बहुत दिक्कत हो जाती है.." पिछले दस मिनट से लगातार बोलते रहने के बाद एक लम्बा पॉज देते हुये वो बोली.. कुछ दिनों से लग रहा है कि हिंदीभाषी अब धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं ...
मैं बहुत कम बोलती हूं ना, सो कभी-कभी बहुत दिक्कत हो जाती है.." पिछले दस मिनट से लगातार बोलते रहने के बाद एक लम्बा पॉज देते हुये वो बोली.. कुछ दिनों से लग रहा है कि हिंदीभाषी अब धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं ...
डॉ. वर्तिका नन्दा अपने को मीडिया ट्रेवेलर लिखती हैं। दो साल पहले उन्होंने ब्लॉगिंग शुरू की। अभी तक कुल १०७ पोस्टें लिख चुकी हैं। मतलब प्रति वर्ष लगभग ५३। अपनी पहली पोस्ट की शुरूआत करते हुये उन्होंने अपने ...
रवीन्द्र कुमार राजेश * आ सको आना, भला यह भी बुलाना क्या हुआ। फ़र्ज़ आखि़र, यह बुलाने का निभाना क्या हुआ।। आए कुछ बोले न बैठे, क्या हुआ जो चल दिए, इस तरह आना भला, आने मे.
ये बहुत हो गया ड्रामा, अब ये सब नहीं चलेगा। हाँ जी, सही कह रहे हैं, जिसे देखो वो ब्लॉग के नाम पर तमाम तरह की एसोसिएशन बनाने निकल पड़ा है। अब ऐसा ज्यादा नहीं चलेगा। कोई वरिष्ठ के नाम पर तो कोई जूनियर के न..
अपनी, उनकी, सबकी बातें में रशीम रवीजा बता रही हैं- इंदिरा गाँधी की इस छोटी सी बात ने सोनिया गाँधी का दिल हमेशा के लिए जीत लिया
छोटी छोटी बातें क्या महत्व रखती हैं??...हर कोई कहता है..ये तो छोटी बात है,ध्यान मत दो...इतनी छोटी बातें दिल पे लोगे तो कैसे चलेगा...छोटी बातें इग्नोर करनी चाहिए...ये तो बहुत छोटी बात थी...पर क्या ऐसा सच...
बीबीसी हिंदी ने अपने पत्रकार साथियों को अपने मन की बात अपने तरीके से कहने के लिए ,के लिए बीबीसी ब्लोग्स मंच प्रदान कर रखा है । इस मंच पर प्रतिदिन अलग अलग पत्रकार जो देश विदेश के अलग अलग कोने में अ...
पुलकित हूं मैं में पलक कहती हैं- नाम बड़े और दर्शन छोटे : छोटे नहीं खोटे हैं महाशक्ति : नीशू तिवारी के रट्टू तोते हैं
महाशक्ति नाम से महा नाम बड़े और दर्शन खोटे और तन से छोटे हैं पंगे लेते मोटे हैं तीनों ही हैं बालिश्त भर के इनसे मिलकर पता नहीं मजा आएगा भी या नहीं किसी का मुझको भाएगा या नहीं, जो दिखता है चेहरा पता नहीं वो...
उमड़त घुमड़त विचार में सूर्यकान्त गुप्ता कहते हैं- "आचार्य जी" का प्राकट्य
गीता के महात्म्य से कौन अनभिज्ञ होगा. हमने देखा आज कल ब्लॉग जगत में *"**आचार्य जी**" का प्राकट्य* यत्र तत्र सर्वत्र हो रहा है . स्वलिखित ग्रन्थ में सद्विचार की धारा प्रवाहित कर रहे हैं. आचार्य शब्द का
गीता के महात्म्य से कौन अनभिज्ञ होगा. हमने देखा आज कल ब्लॉग जगत में *"**आचार्य जी**" का प्राकट्य* यत्र तत्र सर्वत्र हो रहा है . स्वलिखित ग्रन्थ में सद्विचार की धारा प्रवाहित कर रहे हैं. आचार्य शब्द का
गिरीश पंकज कहते हैं- गीत/ पापी है वह गौपालक तो, जिसकी गैया हुई हलाल.
कल रात नाली में गिरकर एक गर्भवती गाय की जान चली गयी. मै अपने आँसूं नहीं दिखा सकता लेकिन इस घटना ने मुझे कितना दुःख दिया, वह मेरी आहत-भावना को देख कर समझ सकते है. अब तक उबर नहीं पाया हूँ इससे. कल बेटे साहि...
कल रात नाली में गिरकर एक गर्भवती गाय की जान चली गयी. मै अपने आँसूं नहीं दिखा सकता लेकिन इस घटना ने मुझे कितना दुःख दिया, वह मेरी आहत-भावना को देख कर समझ सकते है. अब तक उबर नहीं पाया हूँ इससे. कल बेटे साहि...
बिगुल में राजकुमार सोनी बता रहे हैं- ब्लागरों के कुत्तों ने बनाया संगठन
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जी हां... यह सच है। अब यह जूनियर ब्लागर है या सीनियर यह तो मुझे नहीं मालूम लेकिन आज सुबह जैसे ही मैंने अपने घर में मौजूद बुद्धु बक्से के कान को उमेंठा तो अपने टकले के दो चार बालों को छिपाते हुए लोगों को
क्या ज़माना आ गया कि आईने में उभरते अपने ही अक्श का संज्ञान नंगे नहीं लेते, सरे राह किसी को एक रूपये का सिक्का भीख में देना चाहो,तो भिखमंगे नहीं लेते ! गली से गुजरती इक मस्त-बयार कह रही थी कि ये दुनिया सचम...
क्यों चलना यदि पथ है केवल मेरे अन्धकार से सब के अन्धकार तक? - अज्ञेय पानी की थरथराती हुयी बूँदें खिड़की पर गिर रही हैं. उसे उन बूंदों का थरथराना महसूस होता है. उसे लगता है वो
22 मई 2010 को उत्तरप्रदेश से साप्ताहिक गजरौला टाईम्स में नुक्कड़ पर उपदेश सक्सेना
*--आचार्य परशुराम राय * श्री रावेन्द्रकुमार रवि के नवगीत *"बौराए हैं बाज फिरंगी"* पर *आँच के पिछले अंक *पर आयी प्रतिक्रिया ने इस अंक को लिखने के लिए प्रेरित किया। वैसे इस अंक के विचारों पर लम्बे समय से ...
गत्यात्मक ज्योतिष में संगीता पुरी बता रही हैं- पूरे महीने दिलो दिमाग में दुर्घटनाओं का खौफ छाया रहा !!
पिछले आलेख में मैने बताया कि इस बार की दिल्ली यात्रा मेरे लिए बहुत ही सुखद रही, पर पूरे महीने दिलो दिमाग में दुर्घटनाओं का खौफ छाया रहा। 5 मई को बोकारो से प्रस्थान की तैयारी में व्यस्त 4 मई को मिली एक
मसि-कागद में दीपक 'मशाल' कहते हैं- असली बुद्धिजीवी- नकली बुद्धिजीवी (ज़रा सी मसखरी)------------------>>>दीपक 'मशाल'
बुद्धिजीवी!!! एक ऐसा शब्द जिससे मेरा तब पाला पड़ा जब उसका मतलब समझ में आने लगा था.. *असल में है क्या कि मैंने ये महसूसयाया है कि शब्दों का भी ज़िंदगी के सफ़र में पहिचान होने के आधार पर वर्गीकरण कर सकते
हिन्दुस्तान का दर्द में सुमन बता रहे हैं- लो क सं घ र्ष !: नये मनुष्य, नये समाज के निर्माण की कार्यशाला: क्यूबा -
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हालात और खराब हुए। बटिस्टा ने क्यूबा को अमेरिका से निकाले गए अपराधियों की पनाहगाह बना दिया। बदले में अमेरिकी माफिया ने बटिस्टा को अपने मुनाफों में हिस्सेदारी और भरपूर ऐय्याशियाँ मुह...
अलग सा में गगन शर्मा बता रहे हैं- लटकाना हमारी आदत में शूमार हो गया है.
मेरी और किसी बात से सहमत हों ना हों पर इस बात से तो सहमत होंगे ही कि हमें किसी भी चीज को लटकाने की आदत सी पड़ गयी है। मैं कंधे पर शाल या गले में टाई या खूंटी पर कपड़े लटकाने की बात नहीं कर रहा हूं
हमराही में ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ कहते हैं- मेरे दु:ख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा, मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए।
-गोपालदास 'नीरज'- अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए। जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए। जिसकी ख़ुशबू से महक जाए पड़ोसी का भी घर, फूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए। आग बहती है यहाँ गंगा में झेलम में...
ऑफिस प्रोग्राम के माइक्रोसोफ्ट ऑफिस का मुफ्त और उपयोगी विकल्प नया OpenOffice.org 3.2.1 Final । ज्यादा तेज भरोसेमंद और सबसे ख़ास बात मुफ्त । माइक्रोसोफ्ट ऑफिस के डोक्युमेंट के प्रयोग में भी सक्षम एक बेहतर...
डॉ.सत्यजीत साहू - बता रहे हैं- "अच्छा, अमिताभ की तरह भगवान के पास जाकर बोल भी आया "
रित्तु ने कहा "मेरा पूरा उत्साह ठंडा पड़ गया है .मै आखिर काम करू तो किसके लिए .डाक्टर साहब सबकी प्रेरणा होती है .जादातर लोग परिवार के लिए करते है .मेरी तो शादी होने का कोई ठिकाना दिख नहीं रहा है " दर अ...
ढोकला!सुनते ही मुंह मे पानी आ जाता है।नर्म और ताज़े ढोकले हो और दोस्तो का साथ हो तो फ़िर कहना ही क्या है!ढोकला अब गुजरात की डिश नही रह गया है और इसकी डिमांड हर जगह होने लगी है।ढोकले की दावत उड़ाने मे कोई पीछे...
आप तो जानते ही हैं कि आजकल विज्ञापन का जमाना है और आप विज्ञापन के महत्व को भी अच्छी तरह से समझते हैं। ये विज्ञापन चीज ही ऐसी है कि किसी उत्पाद को बाजार में आने के पहले ही सुपरहिट बना देती है। अच्छे से अच्छ...
मेरी कमज़ोरी मेरा दामन जला गयी, मेरी खुदी मुझे कातिल बना गयी| मेरी मोहब्बत शायद काफी ना थी, मेरी फितरत मुझे नाकाबिल बना गयी| मेरी खुदी मुझे कातिल बना गयी… तुम मेरे नुस्क ना संभाल पाये, मेरी आवारगी मुझे साहिल बना गयी| मेरी खुदी मुझे
तीसरा खंबा की पोस्ट क्या दूसरी पत्नी को पति की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार है? में श्री गणेश पाटिल की समस्या पर कानूनी स्थिति का विवेचन प्रस्तुत किया गया था। गणेश जी ने तीसरा खंबा का धन्यवाद करते हुए अपने कुछ प्रश्न और रखे हैं-सर,मेरे प्रश्न का
अशरफ नवाब के पास जितने मल्ल थे उससे कुछ कम आशिक अली के चमचे| एक फर्क था अशरफ अली के मल्ल खुलेआम हवेली में आते थे पर आशिक अली के चमचे अशरफ नवाब की गैर मौजूदगी में। रामबाबू ने छत से दोनों भाइयों को उतरते देखा, अशरफ नवाब के निकलने का इंतजार किया और तेजी से
अब बड़े-बड़े जलसा अउ सभा समारोह ले देवई संदेश ह अनभरोसी कस होवत जात हे, अउ एकर असल कारन हे अपात्र मनखे मनला वो आयोजन के अतिथि बना के वोकर मन के माध्यम ले संदेश देना। राजनीतिक मंच मन म तो एहर पहिली ले चले आवत हे, फेर अब एला साहित्यिक सांस्कृतिक मंच मन म
कविता और यात्रा संस्मरण के अलावा जब भी कुछ लिखने बैठता हूँ तो एक बड़ी मुश्किल से गुज़रना पड़ता है. वह है ईमानदारी और सद्भाव के बीच की जंग. लेखन का गुण मुझमें शायद प्राकृतिक नहीं होगा इसलिए मेरी कहानियों में गूढ़ भावपक्ष प्रधान नहीं होता है. सोचता हूँ कि यदि
हिन्दी में ग़ज़ल कहने का है स्वाद ही कुछ और्
हिन्दी में ग़ज़ल कहने का है स्वाद ही कुछ और्।रचनाओं में होता है यहाँ नाद ही कुछ और्॥आशीष दिया करती है माँ सुख से रहूँ मैं,पर मुझसे समय करता है संवाद ही कुछ और्।सीताओं की होती है यहाँ अग्नि परीक्षा,राधाओं के है प्यार की मर्याद ही कुछ और्।वह आँखें हैं
हिन्दी में ग़ज़ल कहने का है स्वाद ही कुछ और्।रचनाओं में होता है यहाँ नाद ही कुछ और्॥आशीष दिया करती है माँ सुख से रहूँ मैं,पर मुझसे समय करता है संवाद ही कुछ और्।सीताओं की होती है यहाँ अग्नि परीक्षा,राधाओं के है प्यार की मर्याद ही कुछ और्।वह आँखें हैं
बोर्ड और पैसा
बीसीसीआई ने पहली बार एशियाई खेलों में शामिल होने वाले टी २० क्रिकेट के लिए भारत की टीम भेजने में अपनी मजबूरी बता दी है जिससे इस प्रतिष्ठा पूर्ण समारोह में भारत की उपस्थिति ही नहीं हो पायेगी. इसी आयोजन के लिए पाक और श्रीलंका ने अपनी टीम भेजने के बारे में
बीसीसीआई ने पहली बार एशियाई खेलों में शामिल होने वाले टी २० क्रिकेट के लिए भारत की टीम भेजने में अपनी मजबूरी बता दी है जिससे इस प्रतिष्ठा पूर्ण समारोह में भारत की उपस्थिति ही नहीं हो पायेगी. इसी आयोजन के लिए पाक और श्रीलंका ने अपनी टीम भेजने के बारे में
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
14 comments:
bahut khub
shan dar rahi aaj ki aap ki blog chopal
badhai aap ko is pahli post ke liye
mujhe visawas he ki aage bhi aap asse hi jankari dete rahenge
जय हो...
आपने बहुत मेहनत की.. बधाई..
इतने सारे लिंक्स को अपने आप में समेटे हुए इस विस्तृत चर्चा के लिये धन्यवाद!
कृपया वर्ड व्हेरीफिकेशन हटा दें।
बहुत बढ़िया चौपाल...
बहुत बढ़िया, बधाई!
बहुत बढिया प्रशंसनीय चर्चा चौपाल की
शुभकामनाएं प्रथम चर्चा पर
बेहतरीन और विस्तृत चौपाल चर्चा!
बधाई।
पुत्र
यहां भी चमचागिरि की बू आ रही है
तेरा पोरा जीवन चमचागिर्रि मे कट जायेगा
ये इतनी बडी महाभारत जैसी चर्चा करेगा तो कौन तेरा गुणगान करेगा
पापा जी
पापा
तुम्हारे जैसे घटिया विचार रखने वालों के कारण ही यह ब्लाग जगत खराब हो रहा है। न जाने तुम जैसों कों गंदगी फैलाने में क्या मजा आता है। सामने आने की तो औकात है नहीं बातें बड़ी-बड़ी करते हैं।
राजकुमार जी आपने अच्छी चर्चा की है।
आप पूरी तल्लीनता से इस काम में लगे रहिए। आपको मेरी शुभकामनाएं
कभी हम पर भी नज़रें इनायत करिएगा
लाल साडी वाला कार्टून बहुत ही मजेदार लगा....
हमारी भी चर्चा चौपाल में करने का आभार.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
सब कर ले आगे...
जोहार...!!
मोर छापा के छापेकले सुपट धनबाद देवथों...
आईज एगो पोस्ट पढ़क मोका मिललाक येहे चौपाल से...छतीसगढ़िया भाखा तो बोलेक निही पारोन...नागपुरिया गोठियायेक पारोन...तनी-मनी....
नाझोयं....
हा हा हा हा...
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