कुत्तों के सम्मेलन की एक्सक्लुसिव तस्वीरें, हम तो शेरों को कुछ नहीं समझते फिर गीदड़ों की क्या बिसात-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Sunday, June 6, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
आज हम सीधे चर्चा की तरफ चलते हैं-
बड़ा ही अफ़सोस हो रहा है लिखते हुए की क्या जमाना आ गया है कभी एक दौर था जब शेर-बाघ का नाम सुनते ही लोगों के पसीने छूट जाते थे**,**आवाज़ सुनते ही घिग्घियाँ **बँध** जाती थी**, **भले आवाज़ किसी टी. वी. या ...
ज्यादातर ब्लोग्गर्स का मानना है कि ब्लॉग जगत में गुटबाजी है...और हो भी क्यों नहीं यह मानवीय गुण है एक तरह की पसंद रखने वाले लोग एक साथ रहना पसंद करते हैं...अपने शहर में ही देखिये..हिन्दुओं का मोहल्ला
इलाहाबाद के मीरगंज इलाके में संपन्न हुए कुत्तों के सम्मेलन की रपट पढ़ने के बाद मेरे कुछ ब्लागर मित्रों ने नापंसद के जबरदस्त चटके लगाए लेकिन कुछ मित्रों ने यह भी अनुरोध किया कि मैं सम्मेलन की एक्सक्लुसिव तस...
अनवरत पर हुई इस चर्चा ने मुझे प्रेरित किया है कि मैं मनुष्य की जैवीयता पर कुछ बातों को स्पष्ट करुँ ...जन स्मृतियाँ बहुत अल्पकालिक होती हैं ..मैंने इसी ब्लॉग पर मनुष्य की जैवीय प्रवृत्तियों और सांस्कृतिक व...
अज़दक में एक सवाल- जैसा जीवन है..
शायद अपने यहां बहुत सारी कला जीने का मतलब बहुत सारे दु:ख जीने की तैयारी को न्यौता देना होता हो? जैसे मोबाइल फ़ोन के टावरों को सिर पर सजाते रहने की सुखनसाज कलावंती में रेडियेशन के हौज में बूड़ जाने की हो...
प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 77 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है Shaheed Smarak [1857 Memorial] Meerut,Uttar Pradesh और
डॉ० डंडा लखनवी मोहब्बत में बेकार अब डाकखाना। नहीं प्रेम पत्रों का अब वो जमाना ॥ जिसे देखिए वो मोबाइल लिए है । मोबाइल के जरिए मरे है, जिए है॥
सूर्यकान्त गुप्ता कहते हैं- रविवार अवकाश, काश बीता होता छुट्टी जैसे
रविवार अवकाश, काश बीता होता छुट्टी जैसे* लिख ना पाए पोस्ट एक भी, यह हो सकता था कैसे फुर्सत पाए, पर फ़ुरसतिया न कहाए बैठ गए अब बन निशाचर, झांके हैं चंद पोस्ट, ब्लॉगर मित्रों के ले दे के ये चार लाईना हमहू ...
रविवार अवकाश, काश बीता होता छुट्टी जैसे* लिख ना पाए पोस्ट एक भी, यह हो सकता था कैसे फुर्सत पाए, पर फ़ुरसतिया न कहाए बैठ गए अब बन निशाचर, झांके हैं चंद पोस्ट, ब्लॉगर मित्रों के ले दे के ये चार लाईना हमहू ...
“चढ गया ऊपर रे…अटरिया पे…अटरिया पे लौटन कबूतर रे"… “गुटर-गुटर…गुटर-गुटर"… “ओह्हो!…दुबे जी आप".. “जी तनेजा जी…मैं"… “कहिए!…कैसे याद किया?”.. “ये मैं क्या सुन रहा हूँ?”… “क्या?”.. “यह...
वामपंथ ने, लोगों को अकर्मण्यता की जो घुट्टी आज तक पिलाई है उसका असर आख़िर कब तक बनाया रखा जा सकता था. बंगाल की आर्थिक प्रगति पर जितना कम कहा जाए उतना ही अच्छा. केरल का हाल भी यही है पर यहां के ज्यादातर...
अजय-दृष्टि में अजय बता रहे हैं- वॉइस ब्लागिंग में फर्जी ब्लागर कांव-कांव नहीं कर पाएंगे (कार्टून)
छम्मकछल्लो मुदित है, 'घर-घर देखा, एक ही लेखा' की परिपाटी से. धर्म के ठेकेदारों ने धर्म की बहुत बढिया हालत बना दी है अपने समाज मे, इस सभ्यता से भरे विश्व में. कमलेश्वर ने लिखा 'कितने पाकिस्तान'. आज ज़र्रे ज़र...
बस सुना था कि वैदिक कर्मकाण्ड में मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार के प्रावधान हैं किन्तु उनमें से मात्र तीन चार के नाम ही जानता था। उत्सुकतावश नेट को खंगाला तो जो कुछ भी जानकारी मिली उसे इस
एक समाचार पढ़ता था...अब आ गई सिगरेट छुड़ाने वाली मशीन दिल्ली के दो सरकारी अस्पतालों और इनके तंबाकू से निजात दिलाने वाली क्लिनिकों में कंपनयुक्त एक्यूप्रेशर तकनीकी की जल्द ही शुरुआत हो सकती है। जर्मन निर्मित बायो-रेसोरेंस [कंपन चिकित्सा] उपकरण, शरीर के
1. मैं कौन हूँ? जो मैं 'मैं' नहीं, तो कौन हूँ मैं? गर मैं वो नहीं जो बात करता हूँ, तो कौन हूँ मैं? गर ये 'मैं' सिर्फ़ वस्त्र हूँ, तो कौन है जिसका मैं आवरण हूँ? अतिरिक्त...
ललित शर्मा बता रहे हैं- दिल्ली यात्रा-अंतिम पोस्ट- मिलने की इच्छा--जिनसे हम मिल ना सके............!
यात्रा में अब तक हमने उनकी चर्चा की है जिनसे हम मिले,लेकिन जिनसे मिलने की इच्छा थी और नहीं मिल पाए उनकी भी चर्चा होनी चाहिए। अगर यह चर्चा नहीं होगी तो हमारी यात्रा अधूरी रहेगी। यह यात्रा वृतांत अधूरा ही रहेगा क्योंकि हमने अपने 23 मई को दिल्ली पहुंचने की
यात्रा में अब तक हमने उनकी चर्चा की है जिनसे हम मिले,लेकिन जिनसे मिलने की इच्छा थी और नहीं मिल पाए उनकी भी चर्चा होनी चाहिए। अगर यह चर्चा नहीं होगी तो हमारी यात्रा अधूरी रहेगी। यह यात्रा वृतांत अधूरा ही रहेगा क्योंकि हमने अपने 23 मई को दिल्ली पहुंचने की
शादी निभाने के लिए क्या आवशयक है ... ..." प्रेम " या "समझौता" ...??
भयंकर अलर्जी की शिकायत के कारण आजकल काम कम और आराम ज्यादा हो रहा है । गृहिणियों के लिए ज्यादा आराम का मतलब ज्यादा टीवी शो देखना ...आजकल एक धारावाहिक " ससुराल गेंदा फूल " नियमित देख रही हूँ ।संयुक्त परिवार की महत्ता को कायम करता हुआ यह धारावाहिक परिवार के
भयंकर अलर्जी की शिकायत के कारण आजकल काम कम और आराम ज्यादा हो रहा है । गृहिणियों के लिए ज्यादा आराम का मतलब ज्यादा टीवी शो देखना ...आजकल एक धारावाहिक " ससुराल गेंदा फूल " नियमित देख रही हूँ ।संयुक्त परिवार की महत्ता को कायम करता हुआ यह धारावाहिक परिवार के
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
11 comments:
बढ़िया चर्चा
वाह वाह वाह वाह
बहुत बढिया लगी है चौपाल
सब चर्चा से हुए है मालामाल
बहुत सही चर्चा लगी आपकी...मेरी प्रविष्ठी को भी मौका दिया ...हृदय से आभारी हूँ...
achhi charcha ...
post shamil karne ka bahut abhaar ...!!
चर्चा का यह नया चौपाल, देखे जा सकते हैं इसमे नित नव लोगों के नये खयाल्। बधाई हो राजकुमार जी आपने तो कर दिया कमाल्।
बेहतरीन चर्चा!! जाते हैं छूटे लिंक्स पर यहीं से.
उम्दा चर्चा...
राजकुमार भाई आपका धन्यवाद. अच्छी चर्चा के लिए आभार।
आपकी तीसरी या चौथी समीक्षा है शायद, लेकिन अच्छी है। आप जल्द ही अपना मुकाम बना लेंगे और
कानपुर वालों को बता देंगे कि समीक्षा किसको कहते हैं।
नए क्लेवर में यह चर्चा भी अच्छी जम रही हैं. बधाई
बढ़िया चिट्ठाचर्चा...मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
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