माफी नहीं, सर चाहिये , हर शहर में एक बदनाम औरत होती है-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Tuesday, June 15, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
कहने को कुछ खास नहीं है, ऐसे में सोचतो हैं कि क्यों कर समय खराब किया जाए, सीधे चर्चा पर ही चला जाए.....
पी एम् कार्यालय में पढ़ी जाने वालीं पत्रिकाओं और समाचार पत्रों की स्थिति के बारे में आज एक ब्लॉग में देखा साथ में हिन्दी भाषा की पत्र पत्रिकाओं की हालत( संख्या के आधार पर) देखी तो सोचा कि आपके साथ इस स्थिति
अंग्रेजी के शब्द और उच्चारण * मैं आज बैठे बैठे सोच रहा था विदेशी भाषा अंग्रेजी, जो आज हमारी मातृभाषा से भी ज्यादा लोकप्रिय और प्रतिष्ठा कि वस्तु बन गई है, उसका उच्चारण हम किस तरह से करते हैं. जिव्हा सही
रविवार का दिन था ! और हम लोगों का उस दिन अचानक ही सांता क्रूज बीच पर जाने का प्रोग्राम बन गया ! प्रशांत महासागर का एक बहुत ही प्रसिद्धऔर रंगीन बीच जहां गुज़ारा हर लम्हा न केवल मन मस्तिष्क में मधुर यादों की ...
गाय... कहने को मनुष्येतर जीव है. लेकिन देखा जाये तो वह अपनी माँ से बढ़कर है. माँ का दूध हम दो साल तक पीते हैं लेकिन गाय कादूध जीवन भर. गाय से बनी चीज़ें भी हमारे साथ जीबव भी चलती है,. दही, मठा, छाछ, खीर, म...
दिलीप कहते हैं-आसमान से टूटा तारा...आँख से टूटी पलक....और इंसान की फितरत...
अक्सर सोचता हूँ जब भी तारा टूटता है या पलक का बाल टूट कर गिरता है...तो हम कुछ मांगते क्यूँ है...उसी सवाल का जवाब जो सोच पाया वही है ये रचना...पुरानी है...थोड़े संपादन के साथ... नभ के दामन से कल इक सिता...
नहीं, इस बार माफी से काम नहीं चलेगा. दोषी चाहे कोई भी हो, गिरफ्तारी हो, समयबद्ध मुक़दमा चले और सज़ा होनी चाहिये . हम चाहते हैं कि न केवल दोषियों को सज़ा मिले बल्कि पीड़ित परिवारों को प्रति पीड़ित व्यक्ति द...
विष्णु खरे- कोई ठीक-ठीक नहीं बता पाता उसके बारे में वह कुँआरी ही रही आई है या उसका ब्याह कब और किससे हुआ था और उसके तथाकथित पति ने उसे या उसने उसको कब क्यों और कहाँ छोड़ा और अब वह जिसके साथ रह रही है या न...
मेरे पापा - कुछ कहूं तो अतिश्योक्ति लगेगी , लेकिन वे थे ऐसे ही साधू प्रकृति के व्यक्ति. किसका भला किस तरह से हो सकता है सबका समाधान उनके पास रहता था. अगर उनके पास जेब में पैसे ह...
स्वप्निल बता रही हैं- सोनू भी हो गया पास
अपना सोनू बाबा भी पास हो गया है। उसको अपनी शरारत के कारण पूरक परीक्षा देनी पड़ी थी। परीक्षा के समय मस्ती करते हुए उसने झूले से कूद कर अपना हाथ तोड़ लिया था। ऐसे में उसे पूरक परीक्षा देनी पड़ी। पूरक परीक्षा
ग्वालियर में रहने वाले हमारे कबाड़ी मित्र अशोक कुमार पाण्डेय ने अपनी यह लम्बी कविता मुझे कुछ दिन पूर्व भेजी थी. एक बड़े फलक पर फैली यह कविता हमारी इस इक्कीसवीं सदी पर काफ़ी धारदार और ज़रूरी टिप्पणी है. कविता लम्बी है और ध्यान से पढ़े जाने की दरकार रखती
जब तक नया कुछ लिख नही पाती तब तक अपनी पुस्तक मे से कहानियां ही पोस्ट कर रही हूँ। ये कहानी मेरी पुस्तक वीर्बहुटी मे से है और दैनिक जागरण समाचार पत्र मे भी छप चुकी है।कर्ज़दार--कहानी"माँ मैने तुम्हारे साम्राज्य पर किसी का भी अधिकार नही होने दिया
देश में भ्रष्टाचार ने किस तरह से अपने पाँव पसार रखे हैं और किसी भी अच्छे काम को किस तरह से पलीता लगाया जाना है इसका ताज़ा उदाहरण सीतापुर जनपद मुख्यालय पर स्थापित महिला थाने में देखने को मिला. जनवरी माह में लहरपुर में पढ़ने गयी एक लड़की अगवा की जाती है और
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
6 comments:
sabhi post behtreen
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
अच्छी चर्चा के लिए साधुवाद |
आशा
उम्दा चर्चा
अच्छी पोस्टों के संकलन के िए धन्यवाद.
विविधताओं से भरी चर्चा रही ये तो ....जारी रखें प्रयास ग्वालानी जी.
मेरी पोस्ट आपने इस चर्चा के लिये उपयुक्त पायी. आभारी हूं.
वैसे इस ब्लोग पर यह मेरी पहली आमद है.
इस् प्रकार का चयन मेरे जैसे उन लोगों के लिये उपयोगी है जो ब्लोग पर यदा कदा आते हैं एवं कम समय में ज्यादा से ज्यादा पढ़ना चाहते हैं.
Post a Comment