यह कैसी गुस्ताखी ...? , पोर्नोग्राफी पर महिला संगठनों की चुप्पी क्यों ?- ब्लाग चौपाल राजकुमार ग्वालानी
>> Sunday, June 20, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
बात-बात पर हल्ला मचाने वाला महिल संगठन वास्तव में एक महिला के अपने पति के खिलाफ पुलिस में जबर्दस्ती ग्रुप सेक्स की शिकायत करने के बाद चुप कैसे है यह विचारणीय सवाल है। महिला संगठनों को आगे आना चाहिए। आज की ब्लाग चर्चा में जगदीश्वर की एक पोस्ट अच्छी लगी जिस हमने अहम बनाया है। चलिए देखे कौन क्या कह रहा है-
बात-बात पर हल्ला मचाने वाला महिल संगठन वास्तव में एक महिला के अपने पति के खिलाफ पुलिस में जबर्दस्ती ग्रुप सेक्स की शिकायत करने के बाद चुप कैसे है यह विचारणीय सवाल है। महिला संगठनों को आगे आना चाहिए। आज की ब्लाग चर्चा में जगदीश्वर की एक पोस्ट अच्छी लगी जिस हमने अहम बनाया है। चलिए देखे कौन क्या कह रहा है-
हाल ही में दिल्ली में एक महिला ने अपने पति के खिलाफ पुलिस में जबर्दस्ती ग्रुप सेक्स की शिकायत की और बताया कि उसके साथ यह नारकीय काण्ड 4 साल से चल रहा था। ग्रुप सेक्स का यह पहला सार्वजनिक ...
दहाये हुए देश का दर्द-66 यह जैविक सच है कि अगर आदमी जिंदा है, तो इसका मतलब है कि उसके अंदर दिल धड़क रहा है। शायद यह सिद्धांत राजनेताओं पर लागू नहीं होता। अगर लागू होता, तो त्रासदी पर भी राजनीति करते वक्त उन...
रचना को चोरी करते तो सुना था लेकिन कोई रचना को अपने ढंग से सुधारकर यह कहे कि भाइयों वैसा नहीं ऐसा लिखा जाना चाहिए तो इसे आप क्या कहेंगे। देश के प्रसिद्ध कवि एवं ब्लागजगत के हरदिल अजीज रूपचंद शास्त्री के स...
काव्यशास्त्र-19 *आचार्य वाग्भट्ट* आचार्य परशुराम राय कुछ काल तक गुजरात का अनहिलपट्टन राच्य जैन विद्वनों का केन्द्र था। आचार्य हेमचन्द्र, रामचन्द्र, गुणचन्द्र आदि काव्यशास्त्र के अनेक आचार्यों ने ...
उन्मुक्तता बढ़ती गयी, उल्लास तो जाता रहा. बेचारगी के दौर में विश्वास तो जाता रहा. खोखलापन हो गया हावी बदन पर दोस्तों, जिन्दगी की ज़ंग का अभ्यास तो जाता रहा. दोस्ती के बोल, रिश्तेदारियों के फलसफे, ...
आज दिनांक 21 जून 2010 की दोपहरीली सुबह साढ़े नौ बजे डॉ. बीना शर्मा के आवास पर लखनऊ और दिल्ली से आए हुए ब्लॉगर जुट रहे हैं। देखिए हिन्दी ब्लॉगर कैसे जुड़ रहे हैं। जुड़ती है जैसे अच्छाई, परवान चढ़ती
घुरुवा के दिन घलो बहुरथे * ऊपर दिखत हे तउन फ़ोटू माँ दू ठन हा "घुरुवा" के आय अउ एक ठन हा बस्ती के, जेन ला "घुरुवा" च केहे जा सकथे. हमन देखे होबो अउ अनुभव घलो करे होबो के गाँव मा "घुरुवा" के का महत्त्व
हे पिता, तुम्हें शत-शत प्रणाम. तुमने मुझे इस दुनिया में मनुष्य के रूप में आने का अवसर दिया, अपने रक्त से मेरे मष्तिष्क को, ह्रदय को सींचा, इसके लिए मैं तुम्हारा जन्म-जन्मान्तर ऋणी रहूँगा. यह जीवन एक ऐसा सु..
प्रायः हिन्दी पर अंग्रेजी का अंकुश दिखाई ही देता रहता है। एक दीवार पर विज्ञापन में लिखा था "अंदर स्ट्रांग, चले सबसे लांग"। फिल्म का नाम रखा जाता है "जब वी मेट"। बच्चों को हिन्दी की गिनती नहीं आती, वे अक्सर...
कल फिर मिलेंगे
5 comments:
चर्चा अच्छी है
बहुत मेहनत कर रहे हैं आप चर्चा करने में
सराहनीय चर्चा है
बढ़िया चर्चा
मेहनत से कीं गई चर्चा। उपयोगी लिंक्स मिले।
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