जहां होंगे सुंदर वन-वहां होगा मस्त जीवन- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Friday, June 4, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
जीवन को बचाने के लिए आज वन जरूरी हो गए हैं। सभी शहरों में विकास के नाम पर पेड़ों की बलि ली जा रही है। आज पर्यावरण दिवस पर हम सब संकल्प लें कि अपने आस-पास के पेड़ों की रक्षा करेंगे। इसी संकल्प के साथ शुरू करते हैं आज की ब्लाग चौपाल-
वृक्ष हमारे** **जीवन संगी* *-**आचार्य परशुराम राय* [image: PH01239K] वृक्षों के बिन प्रकृति अधूरी, बिन वृक्षों के धरती नंगी। वृक्ष हमारी जीवन साँसें, वृक्ष हमारे जीवन संगी।। वरद हस्त हैं श...
आज, 5 जून को मेरी शेखावटी तथा Rajput World वाले नरेश सिंह राठौड़ का जनमदिन है। इनका ई-मेल nareshbagar@gmail.com तथा मोबाईल नम्बर 0-9929337282 है। बधाई व शुभकामनाएँ *आने वाले **जनमदिन आदि की जानकारी, अपने...
एक दिन चाँद मेरी खिड़की पर आया और बोला क्यूँ बैठी हो आकाश में निगाहें लगाये अब तो मैं आ गया. मैंने भी हंसकर कहा तुम तो आ गए पर क्या करूँ दिल को अभी इशारा नहीं मिला की वो भी तुझे देखने छत पर आ गया. अगर मुझे,...
अभी कुछ दिनों पहले ही हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव की एक प्रस्तुति को देखकर मैं खूब हंसा था। राजू श्रीवास्तव ने कुछ फिल्मी गानों की तीन-पांच करते हुए यह साबित करने की कोशिश की थी कि गाना लिखने वालों ने गी...
सीने में संजोई तेरी याद, कैसे मैं भुला लूंगा, तुम जितने मर्जी गम दो, मैं मुस्कुरा लूंगा, गुजारिश बस इतनी है, तेरे चेहरे की रौनक न बुझे, अपने हिस्से के आंसू मुझे दे देना, मैं बहा लूंगा !!
क्या करना है साहब लड़के को ज्यादा पढ़ा लिखाकर? आखिर करना तो उसे किसानी ही है। चिट्ठी-पत्री बाँचने लायक पढ़ ले यही बहुत है।"* यह बात हमसे गाँव के एक गरीब किसान ने कही थी जब हमने उसे अपने बच्चे को खूब पढ़ाने-ल...
जाति आधारित जनगणना अनिवार्य
राजस्थान के दौसा जिले के हिंगोटा पंचायत में स्थित 'कुंआ का वास' नामक गाँव को लगभग 23 साल पहले अपनी सवर्ण एवं सामंती मानसिकता से ग्रस्त एक लेखपाल ने रिकार्ड में बदलकर दुर्भावनावश ' चमारों का वास' गाँव कर दिया, क्योकि वहाँ अनुसूचित जाति के लोगों की बहुलता
राजस्थान के दौसा जिले के हिंगोटा पंचायत में स्थित 'कुंआ का वास' नामक गाँव को लगभग 23 साल पहले अपनी सवर्ण एवं सामंती मानसिकता से ग्रस्त एक लेखपाल ने रिकार्ड में बदलकर दुर्भावनावश ' चमारों का वास' गाँव कर दिया, क्योकि वहाँ अनुसूचित जाति के लोगों की बहुलता
प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.ताऊ पहेली अंक 77 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता
आज विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) है. क्या वाकई इस दिवस का कोई मतलब है. लम्बे-लम्बे भाषण-सेमिनार, कार्डबोर्ड पर स्लोगन लेकर चलते बच्चे, पौधारोपण के कुछ सरकारी कार्यक्रम...क्या यही पर्यावरण दिवस है ? क्या इतने मात्र से पर्यावरण शुद्ध हो जायेगा. जब हम
मानव सभ्यता के आरंभ से ही प्रकृति के आगोश में पला और पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति सचेत रहा। पर जैसे-जैसे विकास के सोपानों को मानव पार करता गया, प्रकृति का दोहन व पर्यावरण से खिलवाड़ रोजमर्रा की चीज हो गई. ऐसे में आज समग्र विश्व में पर्यावरण चर्चा व चिंता
पर्यावरणीय प्रदूषण रोकना मानव का कर्तव्य
मनुष्य अपने वातावरण की उपज है,इसलिए मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में स्वच्छ वातावरण जरूरी है। लेकिन जब प्रश्न पर्यावरण का उठता है तो यह जरुरत और भी बढ जाती है। वास्तव में जीवन और पर्यावरण का अटूट संबंध है। पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ हमारे चारों ओर छाया
मनुष्य अपने वातावरण की उपज है,इसलिए मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में स्वच्छ वातावरण जरूरी है। लेकिन जब प्रश्न पर्यावरण का उठता है तो यह जरुरत और भी बढ जाती है। वास्तव में जीवन और पर्यावरण का अटूट संबंध है। पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ हमारे चारों ओर छाया
घरेलू हिंसा में महिलाएं भी ?
दिल्ली हाई कोर्ट ने घरेलू हिंसा के एक मामले में यह निर्णय दिया है कि किसी भी स्थिति में इस से महिलाओं को अलग नहीं किया जा सकता है. इस कानून की धारा २ क्यू के तहत इसमें केवल पुरुष शब्द को ही जोड़ा गया है जिससे महिला सदस्यों के लिए अपराध में शामिल होने के
दिल्ली हाई कोर्ट ने घरेलू हिंसा के एक मामले में यह निर्णय दिया है कि किसी भी स्थिति में इस से महिलाओं को अलग नहीं किया जा सकता है. इस कानून की धारा २ क्यू के तहत इसमें केवल पुरुष शब्द को ही जोड़ा गया है जिससे महिला सदस्यों के लिए अपराध में शामिल होने के
पर्यावरण दिवस पर प्रस्तुत है हरीश नारंग की एक कविता - वृक्ष की पुकार - यह कविता पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रथम पुरुस्कार से सम्मानित है. वृक्ष की पुकार मैं सदा ही निःस्वार्थ अर्पण करता रहा अपना सर्वस्व तुम्हें और ---- पल पल बिखेरता रहा हरियाली
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
5 comments:
राजकुमार भाई बहुत उम्दा लिंक दिए
लेकिन चौपाल में हमारा ब्लाग नहीं दिखा:)
अनुपस्थिति लगा दिए क्या?
आपकी चौपाल तो लगातार निखर रही है। अच्छा यह लग रहा है कि आप सभी पक्षों को साथ लेकर चलने की कोशिश में हैं।
ईश्वर आपकी इस कोशिश को सार्थकता प्रदान करें। यही शुभकामनाएं
बढ़िया ब्लॉग चर्चा की चौपाल !
बहुत बढ़िया है ये चौपाल ..अच्छे लिंक्स
बहुत अच्छी चर्चा!
ईश्वर आपकी इस कोशिश को सार्थकता प्रदान करें।
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