आते-जाते कहीं उसे कोई ठोकर न लग जाए , प्यार - देह से देह तक की कहानी -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Sunday, June 27, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
तबीयत कुछ खराब है पहले सोचा आज की चर्चा नहीं करते हैं, फिर सोचा कि यार ऐसा करना ठीक नहीं रहेगा। जो सिलसिला चल रहा है, उसे कायम रखना है।
चलिए सीधे चर्चा की तरफ चलते हैं
और ब्लागर मित्रों की पोस्ट से मिलते हैं.
चंदन सा बदन, चंचल चितवन, धीरे से तेरा ये मुस्काना, मुझे दोष न देना जग वालो, हो जाऊँ अगर मैं दीवाना। इस गाने में प्यार का इजहार हो रहा है, लड़की के रूप रंग की बातें हैं परन्तु कहीं भी लडकी के गुणों की ...
एक कली आशा की इस बगिया में खिल जाए मन आँगन में प्रीत का पंछी जाने क्या क्या गाये यादों की बयार चली और यादें झूमतीं जाय इक साया सा नयनों में क्यों आये और लहराए लिखते-लिखते क्यों रूकती हूँ कोई तो बतलाये ...
मैं यादों के ख़ूबसूरत महल में तेरी तस्वीर सुंदर लगाऊंगा. इस दिल में मोहब्बत में सुंदर ख्वाव मै दिल से सजाऊंगा. तू अजमा कर एक बार मुझे तेरे दिल में बस जाऊंगा . प्रेम का प्याला हूँ तेरे प्यार का याद में तेरी त...
कहते हैं कि जिस किसी भी ब्लागर की 100 पोस्ट पूरी हो जाती है वह ढक्कन खोल लेता है। आज से तीन साल पहले जब लगातार ढक्कन खोलने की स्थिति कायम थी तब यदि 10 पोस्ट भी पूरी हो जाती तो शायद मैं जश्न मना लेता लेकिन ...
भगवान ने जब हवा बनाई होगी तब सोचा होगा की इस हवा का इस्तेमाल लोग सही दिशा में करेंगे. पर आजकल हवा का इस्तेमाल कुछ और हो रहा है. अब मुफ्त की शराबखोरी ने हैदराबाद से जुड़े एक रीजनल चैनल के ब्यूरो को मुश्किल म...
काव्यशास्त्र-२० :: आचार्य अरिसिंह और आचार्य अमरचन्द्र - आचार्य परशुराम राय [image: J0148757] आचार्य राम चन्द्र गुणचन्द्र की भाँति आचार्य युगल अरिसिंह - अमरचन्द्र का नाम प्रमुख है। ये दोनों एक ही ...
तुम मनको पढ़कर देखो तो! * *कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! * * * *चन्दा है और चकोरी भी, * *रेशम की सुन्दर डोरी भी, * *सपनों में चढ़कर देखो तो- * *कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! * * * *कुछ छन्द अधूरे से होंगे, * *अनुबन्ध...
व्यंग्य-पद * *कल कबीर जयन्ती थी. मुझे कल ही यह सामग्री दे देनी थी. लेकिन कबीर गोष्ठी में चला गया. एक दिनविलम्ब से हाज़िर हूँ. महीनो पहले मैंने ''साधो यह हिजड़ों का गाँव'' नामक श्रंखला शुरू की थी. रोज..
"भाव शून्य" वो बहुत खुश थी. बरसों से प्रतीक्षारत थी, जिस ख़ुशी के लिए वो उसे मिल जो गयी थी. जीवन में एक पूर्णता, एक सम्पूर्ण नारीत्व, एक अजीब सी हलचल, उत्साह और.. पूरी देह में सिहरन प..
पुलिसवाला - तुमने पपीते बेचने वाली को किस क्यूं किया सरदारजी - वो चिल्ला रही सी पपी ते लै लो, पपी ते लै लो -------------------------------------------------------------------------------- मुन्ना - अबे सर्कि...
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
8 comments:
बहुत बढ़िया रहा ...चर्चा जारी रहे !!
बहुत सुन्दर चर्चा!
बहुत ही शानदार रही चर्चा। अच्छी लिंक्स है।
उम्दा चर्चा ..
शानदार,उम्दा चर्चा रही...। अच्छ लिंक्स....
bahut sunder vividhta se bhari blog chaupal acchhi lagi.
अच्छी चर्चा!
आपकी चर्चा वास्तव में बहुत अच्छी होती है...
हर तरह की पोस्ट का आनंद लिया जा सकता है..
आपका बहुत बहुत धन्यवाद...!
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