हे, ईश्वर कहाँ हो तुम-देखों दुनिया कहां हो रही है गुम-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Friday, June 11, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
आज की चर्चा का आगाज एक कविता से कर रहे हैं-
आज की चर्चा का आगाज एक कविता से कर रहे हैं-
मकान के नाम पर
टूटे-झोपड़े
बदन ढ़कने के नाम पर
फटे-पुराने कपड़े
भीख मांगते इंसान
प्यासी आंखे, भूखी आंते
नजर आती है चारों तरफ
बेबसी, लाचारी, गरीबी और भूख
लगती है आज सारी दुनिया
बघिर और मूक ---------------------
(सुनील) * चल ऐ मन इस शहर से दूर चल थक चुका है तन इस शहर से दूर चल क्या कहें, किसको कहें, कैसे करें दर्द बयां महंगाई ने इस कदर मारा है मुझको अब तो रोटी का भी हमसे नाता टूट चुका है बड़े अरमां से आये थे इस
स्वामी विवेकानंद ने सलाह दी थी कि हमारी युवा पीढ़ी को गीता पढ़ने की बजाय फुटबाल खेलना चाहिए.उनका कहना था कि देश के युवा वर्ग को सबल बनना होगा,धर्म की बारी तो इसके बाद आती है. उन्होंने कहा था कि यह मेरी सलाह ...
मोहिनी माया के चंगुल मे फँसा, बिखरा, बँटा, मूल कर्तव्यों की रेखा से कभी का तू हटा, अनवरत संघर्ष का क्रम है सतत बस चल रहा, भाग्य पर सब छोड़ के तू क्यूँ स्वयं को छल रहा, तू स्वयं की सोच से भीषण कोई संग्रा...
ये तो पूरी मिट्टी हो गयी है ...दूसरी बेटी है ना तुम्हारी , ले जाओ घर " उस एक महीने की नन्ही सी बच्ची के लगभग नीले पड़ते से चेहरे को देखते हुए चिकित्सक ने पिता को कहा । फक्क चेहरा लिए सीढियां उतरते पिता...
आज के सांध्य दैनिक में इस समाचार को पढ़कर मैं सकते में आ गया अभी दो दिन पहले ही हबीब तनवीर जी की पुण्यतिथि पर साथी ब्लॉगरों नें पोस्ट लगाया और भाइयों नें टिप्पणियां भी की और ताने भी मारे कि हबीब जी की...
जिन दिनों पोस्टरों पर कविताएं लिखी जा रही थी उन दिनों कम शब्दों में सीधी बात कहने की एक परम्परा सी चल पड़ी थी। ऐसा नहीं है कि लेखकों के एक बड़े वर्ग ने या यूं कहें काफी हाउस में काली काफी पर सिगरेट की राख ...
-सहर लखनवी- कि जैसे आग का शोला सा लपक जाता है। या कि बंगाल का जादू सा कोई छाता है। कहीं पड़ जाए न इस सब्र के बंधे में दरार, तुम्हारा जिस्म मुझे गुनह को उकसाता है। अगर आपको *'हमराही'* का यह प्रयास पसंद आया...
बारिश का इंतजार वैसे तो सबको होता है पर सबसे ज्यादा उसे होता है जिसे बारिश और बारिश का मौसम दोनों ही पसंद हो । मुझे भी बारिश बेहद पसंद है बारिश में भीगना फुहारों के साथ मस्ती करना उन फुहारों से खुद को भीगा...
शरद कोकास कहते हैं- विवाह समारोहों में क्या कभी आपने इन्हे देखा है ?
यह विवाहों का मौसम है । जहाँ से गुज़रो शहनाई बजती सुनाई देती है । जिनका विवाह हो रहा है वे भी प्रसन्न हैं और साथ ही उनके माता पिता भी ,कि चलो एक ज़िम्मेदारी पूरी हो गई । पता नहीं कब तक हमारे यहाँ बच्चों के...
ब्रेकिंग न्यूज ... गुप्त ब्लागर मीट की संभावना !!!
अभी अभी गुप्त सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार ब्लागजगत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सरगर्मियां तेज हो गई हैं ... यह जानकारी मिल रही हैं कि ब्लागजगत में जूनियर एसोशियेशन के गठन को लेकर मचे घमासान तथा युवा ब्लागरों के बगावती तेवर को देखते हुये ...
अभी अभी गुप्त सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार ब्लागजगत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सरगर्मियां तेज हो गई हैं ... यह जानकारी मिल रही हैं कि ब्लागजगत में जूनियर एसोशियेशन के गठन को लेकर मचे घमासान तथा युवा ब्लागरों के बगावती तेवर को देखते हुये ...
आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे
आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे एकाकीपन की घड़ियों में, इक दूजे का ध्यान करें देंखे स्वप्न सलोने सुन्दर, नीड़ बनायें इक अनुपममधुर चांदनी में बन जाएँ, इक दूजे के हम शबनम अंतर्मन के अहसासों का, आओ हम पहचान
आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे एकाकीपन की घड़ियों में, इक दूजे का ध्यान करें देंखे स्वप्न सलोने सुन्दर, नीड़ बनायें इक अनुपममधुर चांदनी में बन जाएँ, इक दूजे के हम शबनम अंतर्मन के अहसासों का, आओ हम पहचान
2 comments:
satik shabdo ka chayan
बढ़िया चर्चा...
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