गुजरात में एक क्रांतिकारी कदम, हमारी बेटिओं को ‘सेनेटरी नेपकिन’ नहीं, स्कूल-अस्पताल चाहिए - ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Thursday, June 17, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
स्कूल खुल गए हैं, तो ब्लाग जगत में भी इसकी गूंज मालूम हो रही हैं। स्कूल पर कौन क्या कह रहा है, यह भी पढ़ने को मिल रहा है। एक तरफ स्कूल की गूंज तो दूसरी तरफ गुजरात में एक क्रांतिकारी कदम की बात पढ़ने को मिली है। देखें हमारे ब्लागर मित्र हमें किस दुनिया में ले जा रहे हैं-
गिरिजेश राव बता रहे हैं- गुजरात में एक क्रांतिकारी कदम
गुजरात में इस वर्ष निगम के 6 वार्डों के चुनावों में ई-मतदान का देश में पहली बार प्रयोग होगा। GSWAN (गुजरात राज्य वाइड एरिया नेटवर्क) के द्वारा यह सम्पन्न की जाएगी। लोग घर बैठे अपने कम्प्यूटर और अंतर्जाल के...
गुजरात में इस वर्ष निगम के 6 वार्डों के चुनावों में ई-मतदान का देश में पहली बार प्रयोग होगा। GSWAN (गुजरात राज्य वाइड एरिया नेटवर्क) के द्वारा यह सम्पन्न की जाएगी। लोग घर बैठे अपने कम्प्यूटर और अंतर्जाल के...
भारत में आरएसएस सबसे बड़ा फासीवादी संगठन है। कहने को यह संगठन अपने को सांस्कृतिक संगठन कहता है लेकिन इसका बुनियादी लक्ष्य है भारत को हिन्दू राष्ट्र में तब्दील करना। कांग्रेस पार्टी समय-समय पर संघ प...
कल्पना करें * *करें कल्पना * *पर बंद करें * *कलपना* *और शुरू करें * *हंसना और * *तिलमिलाना। * जी हां, इसकी पूरी गारंटी दी जा रही है कि प्रेम जनमेजय विरचित सीता अपहरण कांड की विनय वर्मा द्वारा निर्देश...
बिगुल फूंका गया, "मुडा-तुडा नोट " की महिमा बखान का मेरा दिमाग भी कुलबुलाया, सोचा कर दूं बयां लफ्ज़ "नोट" की आन बान और शान का. "नोट" वोट की है चिंगारी "नोट" की जरूरत है सभी को चाहे वह अमीर हो या भिख...
उसे पता था कि मेरा फोन रोमिंग पर है, मगर फिर भी हम फोन पर लगे हुये थे.. चलो, इस सरकार में चावल दाल की कीमते भले ही आसमान छू रही हों, मगर कम से कम मोबाईल बिल रोमिंग पर भी कम ही आता है.. शायद सरकार बातों से ...
कभी कोई आया था ज़िंदगी मे... तो चिढन सी थी की मेरे हिस्से का प्यार कम हो गया.... माँ की गोद मुझसे छिन किसी और को मिल गयी.... पिताजी की नज़रो मे कोई और चेहरा चढ़ गया.... नाराज़ था मैं उससे क्यूँ आई वो... छ...
एक मशहूर चुटकुला है:एक बार एक व्यक्ति कपड़े की दुकान पर पहुंचा और बढ़िया सी टाई दिखाने को कहा.दुकानदार ने कई टाईयां दिखाई.ग्राहक को एक टाई पसंद आ गई.कीमत पूछने पर दुकानदार ने कहा-५४० रूपए,तो वह व्यक्ति बोला ...
हरीश प्रकाश गुप्त के हाइकु * -- करण समस्तीपुरी हाइकु हिंदी साहित्य में अभिनव आयातित पद्य विधा है। यह जापान से बरास्ते अंग्रेजी भारत आयी है। हाइकु का उद्गम स्थल जापान है। जापान में सतरहवी शताब्दी मे...
उपदेश सक्सेना कहते हैं- दुर्गा-काली से लेडी डान बनती महिलायें
एक हल्का-फुल्का जोक है- पत्नि की परिभाषा, पत्नि वह जो पति के पतन में सहायक हो, अब सच का आवरण ओढता जा रहा है. ...
स्कुल की छड़ी तब ऐसी थी पड़ी अब की घडी आये याद वो सुहानी घडी , चलो आज अकेले में बच्चे की बेग उठाकर देखे , उसकी किताबों में अपने बचपन को ढूंढकर देख
हमारे ब्लाग राजतंत्र के साथ खेलगढ़ को मिलाकर हमारी पोस्ट का आंकड़ा कब का 1400 पार कर गया है। इसी के साथ खेलगढ़ का आंकड़ा 900 के पार हो गया है। बहुत दिनों से सोच रहे थे कि इस पर लिखे लेकिन दूसरे विषयों के कारण इस पर लिखना ही नहीं हो रहा था। वैसे अब
'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटता रावेन्द्र कुमार रवि जी का एक प्रेम-गीत 'ओ मेरे मनमीत'. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा... सोच रहा-तुम पर ही रच दूँ मैं कोई नवगीत! शब्द-शब्द में यौवन भर दूँ, पंक्ति-पंक्ति में प्रीत! हर पद
बच्चो, रसगुल्ले का नाम सुनकर सभी के मुँह में पानी भर आता है। रसगुल्ले को मिठाइयों का राजा कहा जा सकता है। यह तो आप जानते ही होवोगे कि रसगुल्ला एक बंगाली मिठाई है। आज आपको इस के जन्म की रोचक कथा सुनाती हूँ।बात सन् 1858 ई. की है। कोलकाता (उन दिनों-कलकत्ता)
सर्वोच्च न्यायालय भारत का अंतिम और उच्चतम न्यायिक निकाय है। यही कारण है कि उसे संविधान के अनुच्छेद 136 के अंतर्गत विशेष अनुमति से अपील सुनने का प्राधिकार दिया गया है। इस अनुच्छेद के उपबंधों के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय भारत के राज्यक्षेत्र में किसी भी
जा री प्यारी हवा तू जा बादल से तू पूछ के आना धरती पर कब बरसेगा वो जल्दी से आ के बतलाना। धीरे धीरे मत जाना तुम सर्र सर्र करती उड़ जाना इधर उधर मत राह भटकना बात बता के जल्दी आना। प्यार से कहना बादल भइया प्यासी धरती तड़प रही सूरज भी है आग उगलता कब तक है
काले मेघा आओ नागर्मी दूर भगाओ ना।गगरी खाली गांव पियासानदिया से ना कोई आशा।सूख गये सब ताल तलैयाकैसे गायें छम्मक छैयां।धरती को सरसाओ नाकाले मेघा आओ ना॥सुबह सुबह ही सूरज दादागुस्सा जाते इतना ज्यादा।कष्टों की ना कोई गिनतीसुनते नहीं हमारी विनती।कुछ उनको समझाओ
वित्तीय लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें - वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करने से कुछ नहीं होता, उन्हें प्राप्त करना भी एक चुनौती है। सबसे बड़ा प्रश्न है कि वित्तीय लक्ष्य कैसे प्राप्त करें ? इसके लिये हमें विभिन्न वित्तीय
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
3 comments:
आज की चर्चा भी जोरदार है
बहुत उम्दा चर्चा..अच्छी लगी!
चर्चा करने के लिए धन्यवाद..
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