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हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन, उफ़ ब्लागिरी.कॉम ने तो पसीना छुडवा दिया.- ब्लाग चौपाल राजकुमार ग्वालानी

>> Wednesday, June 30, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज


हमने सोचा था कि अपनी ब्लाग चौपाल को कभी विराम नहीं देंगे, लेकिन क्या करें कंप्यूटर की खराबी के कारण एक दिन का इसमें विराम लग गया। इसके बाद हुआ यह कि सीधे हिन्दी में लिखने वाला की-बोर्ड गायब हो गया है। ऐसे में परेशानी बढ़ गई, फिर भी आज की चर्चा कर रहे हैं। चलिए देखे कौन क्या हता रहा है-


स्वप्निल संसार में- आज मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी का जन्म दिन है

आज मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी का जन्म दिन है। मैंने जहां सुबह उठते साथ उनको बधाई दी, वहीं मैंने तो उनको दो दिन पहले ही गिफ्ट दे दिया था। क्या करती गिफ्ट लाने के बाद रहा नहीं गया तो मैंने ऐसा किया। आप भी ..
 
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पता नहीं किस सर्वर से चलती है ये साईट ...डायल अप दिनों की याद ताज़ा कर दी इसने, इससे धीमी साईट पर गए ज़माना हो गया था मुझे. पहले तो ये ही नहीं पता चला की url कैसे जमा कराएं. माथा पच्ची करने दे बाद तुक्का लगा...
 
आज 1 जुलाई को - अनहद नाद वाले प्रियंकर, - राजतन्त्र व खेलगढ़ वाले राजकुमार ग्वालानी, - राजेश त्रिपाठी - नया घर वाले विनोद पाराशर का जनमदिन है बधाई व शुभकामनाएँ आने वाले जनमदिन आदि की जानकार...
नारीवादी-बहस में प्राचीन भारत में नारी
प्राचीन भारत में स्त्रियों की दशा के विषय में इतिहासकारों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. स्थूल रूप में इन ऐतिहासिक दृष्टिकोणों को चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है - 1. राष्ट्रवादी दृष्टिकोण 2. व...
सूर्यकान्त गुप्ता बता रहे- सब्र का इम्तिहान न लो,
(1) हे नक्सली, असली है या नकली! साक्षात तू नर पिशाच है कौन है तेरा उपासक "कायराना हरकत" कह करते इति श्री, तुम्हे देते सह, तभी तंदूरी बना रहा तू मानव की बेशक (2) क्या उसूल है, क्यों करता तू यह सब, इस...
 
*पिछले भागों 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 से जारी * दिन के दस से उपर हो चुके हैं। दु:खद यादें बीत चुके कई सालों की शहरी औपचारिकता सी होली की टीसों से जुड़ कर और भारी हो चली हैं। बैठा नहीं जाता। कनखी से संजय को दे...
America में रहते हुए दो माह बीत चले हैं और अब दो दिन बाद वापसी है। मन बहुत चंचल हो रहा है, अपने देश की जमीन को छूने के लिए। उस हवा को अपने अन्दर भर लेने को, जिस हवा से मेरा निर्माण हुआ था। आपका जन्मनस्थ‍ल...
( लहू- लुहान घटना स्थल पर जवानों के रक्त और जूते..) ( घटना -स्थल से ट्रैक्टर और बाद में सेना के विमान से भेजे गये शव) ( इसी रास्ते के उपयोग से जवानों को मदद मिली) ...
दिल्ली की कुतुबमीनार तो खैर दिल्ली की पहचान ही बन गयी है। परन्तु इसको भी पीछे छोड़ने की कोशिश की गयी थी बीते जमाने मे। जहां कुतुबमीनार खड़ी हो आकाश से बातें कर रही है उसी प्रांगण मे और भी बहुत से बने-अधबने 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे 

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) June 30, 2010 at 10:37 PM  

उम्दा चर्चा...कई अच्छे लिंक्स मिले.

डॉ टी एस दराल July 1, 2010 at 7:05 AM  

जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें ।

सूर्यकान्त गुप्ता July 2, 2010 at 9:58 AM  

अरे अरे माफ करेंगे। इस ओर हम देर से आ पाये। आपके जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई। और चौपाल मे हम भी थे शामिल इसके लिये शुक्रिया। सुन्दर चर्चा।

राम त्यागी July 2, 2010 at 4:35 PM  

जन्म दिन की देर से ही सही पर बहुत बहुत शुभकामनायें
थोडा व्यस्त होने को वजह से देर से आ पाया दरबार में :)

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