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दिल है बच्चा-तभी तो खा जाता है गच्चा- ब्लाग चौपाल राजकुमार ग्वालानी

>> Wednesday, June 9, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज

ब्लाग जगत में दिल लगाने वाले मित्र दिल पर बहुत कुछ लिखते हैं। किसी ब्लाग में कविता रची नजर आती है तो किस ब्लाग में किसी फिल्म के बारे में तो किसी ब्लाग में संगीत की बात होती है। दिल टूटने से दर्द होता है तो कहीं दर्द की दुकान भी खुल जाती है। किस ब्लागर ने किस तरह के पकवानों से अपने ब्लाग की दुकान सजायी है चलिए देखते हैं। 
-क़तील शिफ़ाई- अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ। आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ ।। कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर, बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ । थक गया मैं करते-करते याद तुझको, अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ।
क्या आपको हिज मास्टर्स व्हायस के रेकॉर्ड्स याद हैं जिसमें संगीत का आनन्द लेते हुए श्वान महाशय का चित्र हुआ करता था? अवश्य ही याद होगा क्योंकि आप इन एसपी और एलपी रेकार्ड्स को अपने रेकॉर्ड प्लेयर पर सुना करत...
नई ग़ज़ल..* *ग़ज़ल के हर शेर अपनी बात खुद बयाँ कर देते है. इसलिए उनके लिए कुछ लिखना ठीक नहीं, इसलिए बिना किसी लम्बी व्याख्या के, पेश है मेरी नई ग़ज़ल...* *जितना मुझको मिला सच कहूँ जी भरकर उपहार मिला* *भूल गया...
अय सितमगर तुने दिल तोडा कुछ ऐसे वजूद मेरा कतरा कतरा बन बिखर गया , फिर भी हर कतरेमें जान अभी बाकी है , पूछ रहा है मुझे क्यों जिन्दा हूँ मैं ...
  
हम प्यार में जलनेवालों को चैन कहाँ, हाय, आराम कहाँ
* Movie: Jailor* Singer(s): Lata Mangeshkar* Music Director: Madan Mohan* Lyricist: Rajinder Krishan* Actors/Actresses: Geeta Bali, Sorabh Modi* Year/Decade: 1958, 1950sहम प्यार में जलनेवालों कोचैन कहाँ, हाय, आराम कहाँहम प्यार में जलनेवालों को ...बहलाये
मेरे इश्क का जुनूँ, रक्स करता है फिजाओं में, तेरे फ़रेब मसलते हैं मुझे मेरे ही ग़म की छाँव में, हर साँस से उलझती है हर लम्हा ज़िन्दगी की, लिपटती जाती है देखो उम्र की ज़ंजीर पाँव में, ये पागलपन मेरा, ...
 अनिल पुसदकर कहते हैं- रक्तदान की इच्छा हो तो……………………………………
एक छोटी सी पोस्ट बहुत कुछ कहती हुई।सुबह-सुबह एक एसएमएस मिला अंजान नम्बर से।सीधे डीलिट कर रहा था कि उस छोटे से एसएमएस को पढे बिना रहा नही गया।एसएमएस भी बहुत ही छोटा सा था। अगर आपको रक्तदान की इच्छा हो तो, य...
क्या आप जानते हैं कि एक हिन्दी फिल्म की कहानी कुल सौ संवादों के आसपास ही घूमती है। आज मैं जिन संवादों का जिक्र करने जा रहा हूं उन संवादों को आपने सैकड़ो बार सुना होगा। हालांकि अब वैसी फिल्में नहीं बन रही ...
झंझटों की पोटली मोल ली मैंने, ब्लोगिंग जीवन में घोल ली मैंने, गम खरीदता हूँ, खुशियाँ बेचता हूँ, दर्द की इक दुकाँ खोल ली मैंने ! सुबह-शाम कंप्यूटर पर जमे रहकर, वक्त कट जाता है,खुद में रमे रहकर, फुर्सत के हिस...
महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘लावारिस’ का एक गाना “मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है” अस्सी के दशक में काफी लोकप्रिय हुआ था. इस गाने की लाइन कुछ इस तरह थी कि ‘जिसकी बीबी छोटी उसका भी बड़ा नाम है,गोद में ...
आइये जानते हैं *गगनांचल *क्‍या है भीतर क्‍या है बाहर तो दिखला दिया है आवरण *मनीष वर्मा* का रचा है प्रवासी साहित्‍य के पक्ष-विपक्ष पर पेश है प्रस्‍तुति *लालित्‍य ललित* की, आंक रहे हैं कितना है प्रवासी और कि...
अजीत गुप्ता पूछ रही हैं- बताओ भारतीयों ( Indians) तुम्हारे पास क्या है? मेरे पास ----- है।
अमेरिका में प्रत्येक भारतीय की जुबान पर एक ही बात रहती है कि भारत में क्या है? यहाँ कितना चुस्त प्रशासन है, पुलिस कितनी रौबदार है, सड़कों का जाल बिछा है, साफ-सफाई इतनी कि चेहरे पर कभी गर्द जमे ही नहीं। भारत...
कहावत है तवा गरम है सेंक लो रोटी. मतलब समय अनुकूल है, परिस्थितियाँ ऐसी निर्मित हो गई हैं कि आप अपना काम बनवा सकते हैं, अपना उल्लू सीधा कर सकते हैं. रोटी कैसी बनती है, कैसी सिकती है, कैसा स्वाद रहता ...
आज, 10 जून को लहरें, Ehsaas, I dream... वाली पूजा उपाध्याय का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएँ *आने वाले **जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें**।* *अपने मोबाईल फोन पर *..
एक छोटा सा बिजली से चलने बाला चलित द्रश्यों का डिब्बा जिसे हम सब टेलीविजन या टी व्ही या दूरदर्शन और बुद्धूबक्से के नाम से जानते हैं ! वह बुद्धुबक्सा जिसमे पूरा ब्रह्माण्ड समाया हुआ है ! एक खटका दबाते ही दुनिया भर की जानकारी और सब कुछ जिसे हम सब पल भर मैं
  
बहुत मीठापन है वाणी में ...... पर सुना है मिठास ...... अंत में छल कर जाती है ...... क्यों होता है ऎसा ...... मीठी चीजें क्यों देती हैं पीडा ...... पता नहीं ये जीवन है ...... यादें हैं कुछ मीठी ...... तो कुछ कडवी हैं ...... मीठा मुंह को भाता है ......
पं0 नेहरू से मिलने एक व्यक्ति आये। बातचीत के दौरान उन्होंने पूछा-’’पंडित जी आप 70 साल के हो गये हैं लेकिन फिर भी हमेशा गुलाब की तरह तरोताजा दिखते हैं। जबकि मैं उम्र में आपसे छोटा होते हुए भी बूढ़ा दिखता हूँ।’’ इस पर हँसते हुए नेहरू जी ने कहा-’’इसके पीछे
  
टेक ढींगरा ‘चँद’गाँव में साक्षरता आंदोलन बड़े जोर-शोर से चल रहा था। गाँव की पंचायत ने इस संबंधी व्यापक प्रबंध किए हुए थे। गाँव में से एक जुलूस निकाला जा रहा था। जुलूस में नारे लग रहे थे।“हाली-पाली करे कमाई, साथ-साथ वह करे पढ़ाई।”“आप पढ़ो, दूजों को पढ़ाओ,
  
बचपन में गर्मियों में छत पर सोया करते थे. देर रात तक चाँद देखते. उसमें दिखती कभी बुढ़िया की तस्वीर, कभी रुई के फाहे, कभी बर्फ के पहाड़, कभी छोटा होता चाँद और न जाने क्या क्या? एक कल्पना की उड़ान ही तो होती थी बालमन की. मेरे लिए एक खिलौना ही तो था बचपन का
अजय सक्सेना बता रहे हैं- पद की गरिमा घटी बढ़ा काम वासना रोग...!!! (कार्टून)
हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौड़ का मामला * * अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ है कि प्रदेश के एक * * और पूर्व सीनियर पुलिस ऑफिसर के खिलाफ छेड़छाड़ * * का म...
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे 
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3 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" June 9, 2010 at 10:35 PM  

बेहतरीन चौपाल चर्चा, राजकुमार जी !

स्वप्न मञ्जूषा June 12, 2010 at 3:32 PM  

aapki chaupaal charcha mujhe bahut pasand hai...iski vividhtata gaur karne waali hai...
aabhaar...

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