कैसे अपने दिल की बात बताऊं- कोई तो बताए साथी राग कौन सा गाऊँ !-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी ब्लाग
>> Saturday, October 9, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
कल नेट की खराबी के कारण चौपाल नहीं सजा पाए, आज हमें बाहर जाना है, लग रहा था कि आज भी चौपाल नहीं सजा पाएंगे, लेकिन समय निकाल कर सजा दी है आज की छोटी सी चौपाल....
साथी राग कौन सा गाऊँ !
साथी राग कौन सा गाऊँ ! बुझती प्रेम वर्तिका में अब कैसे जीवन ज्योति जगाऊँ ! साथी राग कौन सा गाऊँ ! चारों ओर देखती साथी अगम सिंधु दुख का लहराता, पग-पग शान्ति निरादृत होती,यह जग निष्ठुरता अपनाता, बोलो तो इस द...
साथी राग कौन सा गाऊँ ! बुझती प्रेम वर्तिका में अब कैसे जीवन ज्योति जगाऊँ ! साथी राग कौन सा गाऊँ ! चारों ओर देखती साथी अगम सिंधु दुख का लहराता, पग-पग शान्ति निरादृत होती,यह जग निष्ठुरता अपनाता, बोलो तो इस द...
बचपन मे कही से बिखर कानो मे पड़ गया था.....ये शब्द घुटन तब सोचा घुटन से मर जाता होगा इन्सान पर आज जब मे घुट रही हूँ तो क्यूँ नहीं निकलता मेरा दम घुटन घुटन मे घुटते घुटते मैं सब काम निपटा...
अयोध्या विवाद को लेकर उच्च अदालत के फैसले के बारे में न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव, दिल्ली का वक्तव्य* अयोध्या विवाद को लेकर उच्च न्यायालय के आए आदेश के सन्दर्भ में जनता के तमाम हिस्सों द्वारा दिखाए गए संयम ...
8 मार्च 1679 औरंगजेब की विशाल सेना ने जो तोपखाने और हाथी घोड़ो पर सजी थी सेनापति दाराबखां के नेतृत्व में खंडेला को घेर कर वहां के शासक राजा बहादुर सिंह को दण्डित करने के लिए कूच चुकी थी | इस सेना को औरंगजे...
नागार्जुन जन्मशती पर विशेष- बारूदी छर्रे की खुशबू
कल फिर मिलेंगे
इन दिनों लालगढ़ से लेकर छत्तीसगढ़ तक माओवादियों का भूत मंडरा रहा है। केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों तक सभी परेशान हैं कि हम क्या करें ? प्रशासन में बैठे अधिकारियों से लेकर नेताओं तक किसी को समझ में नह...
कम्प्लेन नहीं थी इसलिए नहीं पकड़ने का बहाना राजधानी में शासन-प्रशासन के नाक के नीचे एक व्यक्ति फर्जी फाईनेंस कम्पनी का कारोबार चलाकर फिर आम लोगों को करोड़ों रुपया हड़प कर निकल गया। पुलिस के आला अधिकारी की जानका...
राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का परिणाम है नक्सलियों का लगातार आगे बढ़ना
अच्छा तो हम चलते हैंनक्सली प्रशिक्षण -आंदोलन वनांचलों में नक्सली कसडोल के जंगलों में अपना नया अड्डा बना चुके हैं , यहाँ से वनांचल के यवकों को अपने साथ जोड़ने का सफ़ल प्रयास भी कर रहे हैं और 100किलोमीटर दूर बैठी सरकार कहती है...
जाओ कौन रुकता है किसी के लिए बहता पानी कब ठहरा है किसी के लिए प्रवाह कब रुके हैं किसी के लिए फिर चाहे संवेदनाओं के हों या आवेगों के भावनाओं के हों या संवेगों के हर कोई बह रहा है फिर चाहे वक्त ही क्यूँ...
आशुतोष *बीस साल* बाद भी उस अस्सी साल के बुजुर्ग का चेहरा मैं भूल नहीं पाया। झुर्रियों से अटे उस चेहरे से भरभर टपकते आंसू और खरखराती आवाज। वो आवाज आज भी मेरे कानों में गूंजती है। 'आज राजीव गांधी होते तो अ...
कामनवेल्थ के लिए जिस तरह के स्टेडियम बनाए गए हैं और वहां पर जिस तरह की ऐतिहासिक सुरक्षा व्यवस्था की गई है, उससे छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों के लिए हम प्रेरणा लेंगे। यह बातें यहां पर चर्चा करत...
मैंने तुम्हें पढ़ना छोड़ दिया है, नहीं देख सकता तुम्हें यूँ चुकते हुए। तुम्हारे वे शब्द जिनमें जीवन टहलता था, प्रसिद्धि के गलियारों में भटक गए हैं। मेरे घुटने अब दर्द करते हैं, तुम्हारे साथ नहीं चल स...
कल फिर मिलेंगे
7 comments:
वाह वाह वाह वाह
saare links bahut hi achhe hain...... achhi caupal..... abhar aur dhanywad
छोटी हो या बड़ी चौपाल तो चौपाल ही है। फिर भी बड़की का इंतजार रहेगा।
ललितजी, राजजी,
दूसरी टिप्पणी पर कुछ कहना चाहता था पर फिर ......................
बढ़िया चौपाल ..
शानदार चौपाल.
बेहतरीन जमाया माहौल!
Post a Comment