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मन का चहकना और गुलाब का महकना...- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Sunday, October 17, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
आज यहाँ रविवार है. भारत के लिए निकलने से पहले ऐसे तीन रविवार ही मिलेंगे अतः व्यस्तता चरम पर है. आज कविता पढ़िये:जब कुछ लिखने का मन नहीं होता तब खोलता हूँ नम आँखों से डायरी का ...
 
कल की बात है लॉन टेनिस के एक अंतरराष्ट्रीय कोच अख्तर अली से मिलने का मौका मिला। उनसे काफी बातें हुर्इं। वे कई देशों में घुमें हैं। उनकी उम्र इस समय 72 वर्ष है। उन्होंने एक बात कहीं कि अगर आपकी बीबी खुबसूर...
 
कविता उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़ पिछले सप्ताह प्रकृति द्वारा किए गए विध्वंस से आहत जो कविता लिखी थी, उसे प्रस्तुत किया था। यहां पढें। प्रकृति के द्वारा हुए विनाश के बावज़ूद भी जी...
 
  ज्ञान दर्पण पर इतिहास के लेखों की श्रंखला में आप अक्सर राजस्थान के राजपूत वीरों का इतिहास पढ़ते रहते है , पर इस वीर प्रसूता भूमि ने राजपूतों के अलावा अन्य जातियों में भी अनेक वीर पैदा किये है जिन्होंने धर्...
 
आस्‍ट्रेलिया के खिलाड़ी अपनी हार नहीं पचा पाए और भारतवासियों ने भ्रष्‍टाचार पर काबू पा लिया। इन्‍हीं नामुरादों के लिए सड़कों पर चलना दूभर किया था, इधर गेम्‍स लेन, उधर सड़क पर रोक। इधर जाओ तो चालान, वापिस आ...
 
विगत दिनों ब्‍लॉग संहिता निर्माण के लिए देशभर के चुनिंदा ब्‍लॉगरों नें वर्धा में एकत्रित होकर मानसिक मंथन किया जिसकी खबरें पोस्‍टों के माध्‍यम से आनी शुरू हो गई थी और हम वहां नहीं जा पाने का मलाल लिए 10 अक...
 
रावण आज मिटा जैसे, मिटें वैसे ही अंधियारे, जगमग दीपों की ज्योति, हो रोशन जीवन में आपके। चित्र गूगल छवियों से साभार ========================== विजयादशमी की आप सभी को शुभकामनायें 
 
चित्र को बड़ाकार देखने के लिए उसपर चटका लगाकर उसे एक नई खिड़की में खोलें.. ..और हां, मालूम है फिनिशिंग नहीं है, मगर वह मुझी में कौन-सी है? और अंतत: यह बेबीवर्ल्‍ड नहीं है? और यूं भी सब सोने पर सुहागा यही...
 
 
जो लोग कार्य को पहली प्राथमिकता देते हैं, वे अच्छे सम्बन्ध बनाने में पीछे रह जाते हैं.... और जो लोग सम्बन्ध बनाने को पहली प्राथमिकता देते हैं, वे कार्य पूरा करने में पिछड़ जाते हैं.... कार्य और सम्बन्...
 
कौन जाने प्रेम एक अनुभूति है ? महज़ ख्याल ? एक आकर्षण...रूहानी या कि जिस्मानी...? पर...जो भी हो , उसके ना होनें का तो सवाल ही नहीं उठता...उसका होना तय है ! फक़त मुझमें और तुममें उसकी मौज़ूदगी यक़ीनन ...
 
डॉ. सत्यनारायण सोनी सही मायने में तो मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाए जाने पर ही नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू माना जाएगा। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनि...
 
दहेज़ हत्याओं पर अभी अंकुश नहीं लगा है और न ही लगेगा जब तक कि दहेज़ देने और लेने वाले इस समाज का हिस्सा बने रहेंगे. फिर जब देने वाले को अपनी बेटी से अधिक घर और प्रतिष्ठा अधिक प्यारी होती है और समाज में... 
 
एक दूसरे को समझने की ललक मनुष्‍य में हमेशा ही रहती है, बल्कि कभी-कभी तो अन्‍दर तक झांकने की चाहत जन्‍म ले लेती है। लेखन ऐसा क्षेत्र है जहाँ हम लेखक के विचारों से आत्‍मसात होते हैं तो यह लालसा भी जन्‍म लेने...
 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे 
 
 
 
 
 
 
 
 

6 comments:

vandana gupta October 17, 2010 at 9:25 PM  

बहुत सुन्दर लिंक्स के साथ सुन्दर चौपाल सजाई है।

मनोज कुमार October 18, 2010 at 12:40 AM  

आपकी चौपाल में आकर बहुत अच्छा लगा। सुबह में पोस्ट की गई मेरी कविता को इसमें देख हैरान हूं कि आप कितनी सुबह उठकर इसे तैयार कर लेते हैं। आपकी निष्ठा को नमन। मेरी रचना को सम्मान देने के लिअ आभार!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़!
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Dr. Zakir Ali Rajnish October 18, 2010 at 2:47 AM  

राजकुमार जी, कुछ पोस्टें तो आपने वाकई गजब की पढवा दीं, आभार स्वीकारें।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून October 18, 2010 at 8:09 AM  

हम्म खूबसूरत बीवियों के पतियों के लिए ख़तरे. वाह.

उम्मतें October 18, 2010 at 10:30 PM  

बहुत सुन्दर लिंक्स

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