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यह जीवन श्रृंगार प्रभु, जीवन के रास्ते कभी कठिन तो कभी सरल-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Friday, October 29, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
सबकी है सरकार प्रभु क्या सबको अधिकार प्रभु आमलोग जीते मुश्कल से इतना अत्याचार प्रभु साफ छवि लाजिम है जिनकी करते भ्रष्टाचार प्रभु मँहगाई, आतंकी डर से दिल्ली है लाचार प्रभु रिश्ते-नाते आज बने क्यों कच्चा-स...
 
कभी कभी कुछ लोगों से मिलता हूँ तो लगता है कि मैंने क्या मेहनत करी और क्या तिकडम ! लोग कितनी काम्प्लेक्स जीवन जी रहे होते हैं, शायद चिली की खदान में ६९ दिन फँसे लोगों से भी ज्यादा ! कुछ हफ्ते पहले ए...
 
एक ठो कुत्ता रहा। उसे चैन से बैठने की बीमारी नहीं थी। एक दिन सड़क पर बैलगाड़ी जाते देखा। बहुत धूप रही सो उसके नीचे चलने लगा। बड़ी राहत मिली। अब ताड़ गया तो हमेशा ऐसे ही करने लगा। कभी ये कभी वो... कुछ दिन...
 
राज्य के सर्वोच्च खेल पुरस्कार गुंडाधूर के लिए चुने गए अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मृणाल चौबे का कहना है कि उनके खेल को आज जो ऊंचाईंयों ङ्क्षमली हंै, वह सब मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा दी गई किट की बदौलत...
 
फ़ुरसत में... भ्रष्‍टाचार पर बतिया ही लूँ ! आज फ़ुरसत में भ्रष्‍टाचार पर कुछ बतियाने का मन बन गया। जब यह विषय मेरे मन में आया और अपने एक मित्र से कहा कि इस विषय पर अपने ब्लॉग ...
 
एक ब्लॉगर के रूप में अकसर पूछे जा सकने वाले प्रश्न और उनके संभावित सहायता उत्तर 1. मैं ब्लॉगर खाता कैसे बनाऊँ? 2. मैं ब्लॉगर ब्लॉग कैसे बनाऊँ? 3. मैं ब्लॉगर कैसे पोस्ट करूँ? 4. मैं तस्वीरे...
 
आज कुछ मौका मिला तो कम्प्यूटर खोलकर आप सबके साथ आ गया। कुछ ब्लॉग पर जाकर टिप्पणी भी की और इसी दौरान दिमाग ने अपना रंग दिखाना शुरू किया। बस टिप्पणी करना बंद और आ गये कुछ लिखने के लिए। इन दिनों अपने विधा...
 
"मैं यहां इस लिये नहीं हूं कि तुम मुझे समझ सको। मैं यहां इसलिये हूं
 
अनाज सड़ाने या फेंकने के बजाय गरीबों में बांटों : सुप्रीम कोर्ट* सुप्रीम कोर्ट ने एक बार केंद्र से कहा कि अतिरिक्त अनाज फौरन देश में भूखे और गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले परिवारों को दिया जाए। कोर्ट ने कह...
 
अपनी हमउम्र टेलीविजन एंकर दोस्तों से जब भी बात होती है तो खुद अपने ही बारे में कहा करती है- मुझे पता है कि पांच-छ साल बाद हमें कौन पूछेगा? इसलिए सोचती हूं कि अभी जितना बेहतर कर सकूं( इस बेहतर में काम,पैस...
 
देविंदर शर्मा कुछ चौंकाने वाली छवियां मेरे मन में अब भी अंकित हैं. कोई 25 साल पहले मैं एक प्रमुख दैनिक में छपी खबर पढ़ रहा था, जिसमें लिखा था कि भारत में हर दिन करीब पांच हजार बच्चे मर जाते हैं. पिछले ...
 
पिछली पोस्ट में पेंटिंग का जिक्र था और कई लोगों ने सलाह दी...कि पेंटिंग को यूँ दरकिनार नहीं करना चाहिए.,उसे भी जारी रखूं. खैर मन में तो चलता ही रहता है कि 'हाँ ,पेंटिंग करनी है'. और पेंटिंग ने कई यादगार क...
 
कहते हैं कि दादा भाई नैरोजी के ड्रेन ऑफ वेल्थ सिद्धांत के प्रकाशन से पहले तक भारत के लोगों को नहीं मालूम था कि वे गुलाम हैं, जिसके कारण सालों-साल तक अंग्रेज भारत को अपना उपनिवेश बनाये रखने में कामयाब हुये...
 
सुबह सुबह बाहरी दरवाजे की हर आहट पर ध्यान रहता है , उधर घंटी बजी इधर बेटा दौड़ा , न्यूज पेपर आया होगा ? हर रोज यही सिलसिला ! आम तौर पर हेड लाइन्स देख , मज़मून भांपने की शैली में पेपर पढ़ना एक आदत निबाहने...
 
 
 
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 
 

8 comments:

ASHOK BAJAJ October 29, 2010 at 8:24 PM  

बहुत अच्छे लिंक्स है आज की चौपाल में ,बधाई !
" कोर्ट की ललकार :जागो सरकार " का लिंक्स देने के लिए आभार .

संगीता पुरी October 29, 2010 at 9:11 PM  

बढिया चौपाल .. आभार !!

vandana gupta October 30, 2010 at 12:43 AM  

अच्छे लिंक्स के साथ सुन्दर चौपाल्।

मनोज कुमार October 30, 2010 at 11:35 AM  

अच्छा लगा इस चौपाल में शामिल होकर।

डॉ. मोनिका शर्मा October 30, 2010 at 10:51 PM  

सुन्दर चौपाल्....अच्छे लिंक्स

उम्मतें October 31, 2010 at 5:33 AM  

बढ़िया लिंक दिये हैं इनमें से कुछ को अभी के अभी निपटाता हूं :)

दीपक बाबा October 31, 2010 at 5:57 AM  

चौपाल जमा दी ...
बढिया है.

“दीपक बाबा की बक बक”
क्रांति.......... हर क्षेत्र में.....
.

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