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नजरों का यकीं, भूल गया था- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Wednesday, October 20, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
कमरे में खड़ा खिड़की के बाहर देख रहा हूँ एकटक. वो नहीं दिखता जो बाहर है. नजर बस टिकी है लेकिन दिख वो रहा है जो मन में है. एक उड़ान मन की. विचारों की. कुछ उधेड़बुन तो कुछ धुंधली तस्वीरें हल्के भूरे रंग की. रं...
 
यह ग्राम चौपाल का शतकीय आलेख है, इस शतक को बनाने में हमें 150 दिन लगे। इस अवधि में 100 पोस्ट, 150 दिन,37 समर्थक, 741 टिप्पणियां प्राप्त हुई। वैसे तो ब्लॉग हमारा बहुत दिनों से तैयार था लेकिन पहली पोस्ट ...
 
सुना न कवि अब करुणा गान ! वितरित करता है कण-कण में अमर सत्य, वेदना महान् कवि यह तेरा करुणा गान ! यदि संसृति के वज्र प्रहारों से तेरा उर क्षत-विक्षत है, फिर भी मन की अस्थिरता क्या नहीं तुझे कुछ भी अवगत है ? ...
 
ब्‍लॉग जगत में सबसे अधिक बहस वाला मुद्दा हमारे धर्मग्रंथ बने हुए हैं। इनके पक्ष और विपक्ष में हमेशा तर्कों का खेल चलता रहता है। ताज्‍जुब तो इस बात का है कि न तो किसी के तर्क काटने योग्‍य होते , और न ही सहज...
 
मेरी एक पोस्ट "प्लीज़ रिंग द बेल" पर काफी अच्छा विमर्श हुआ और करीब करीब हर पहलू से समस्या को देखने की कोशिश की सभी ने. जिनलोगों ने विमर्श में भाग नहीं भी लिया उनलोगों ने भी दुसरो को यह पोस्ट पढने को रेकमे...
 
छत्तीसगढ़ के तमाम समाज के लोगो ने आज छत्तीसगढ़ बुनकर संघ की जमीन पर बालकृष्ण अग्रवाल का कब्ज़ा हटाने की मांग को लेकर रैली व् आमसभा की साथ ही यंहा से शराब दुकान हटाने की मांग भी की .समाज प्रमुखों ने इस दौरान स..

श्वेत-श्याम यादें/Vintage me :)
आज फिल्म देख रही थी, 'जाने भी दो यारों'...फिल्म के बारे में कभी बाद में कहूँगी...आज एक ऐसी चीज़ के बारे में जो मुझे बेहद पसंदीदा थी...अचानक याद आई..श्वेत श्याम फोटोग्राफी/black&white photography. कॉलेज मे...
 
प्रेम दीवाने जो भए भक्तिमती सहजोबाई * प्रसिद्ध संत कवि चरणदास की शिष्या भक्तिमती सहजोबाई का जन्म 25 जुलाई 1725 ई. को दिल्ली के परीक्षितपुर नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता का नाम हरिप्रसाद और ...
 
परिणति
गोधूली की बेला में सुख दुख के पलड़े में कलुषित विचारों का गुरुत्व देख रही हूँ मैं. क्या किया रे मन तूने ... सदा अपनी उम्मीदों की पूर्णता के लिए तटस्थ रहा, प्रलाप करता रहा अपनी खुशी पाने के लिए. लेक...
 
मिली हवाओं में उड़ने की ये सज़ा यारो। कि मैं जमीं के रिश्तों से गया कट यारो। देख परफ्यूम , आई-पोड सजे मालों को, जी चमेली की गंध से गया हट यारो। मस्त रेस्त्रां के वो सिज़लर औ विदेशी डिश में, भूला चौके की वो भ...
 
"गुरू हमेशा एक मित्र होता है लेकिन उसकी मित्रता में बिलकुल अलग सी सुगंध होती है। इसमें मित्रता कम मित्रत्व अधिक होता है। करुणा इसका आंतरिक हिस्सा होती है। वह तुम्हें प्रेम करता है क्योंकि और कुछ वह कर नहीं...
 
पुलिस की बढती लापरवाही की वजह से दो लड़कियों को छोडनी पड़ी पढाई ----मामला उत्तरी दिल्ली के बुरारी थाने का है जहाँ कुछ मनचलों के छेड़ छाड़ से परेशान दो लड़कियों को अपनी पढाई ही छोडनी पड़ गयी ---कोर्ट के निर्...
 
आखिर कब सुधरेंगे हम ?
बड़े शर्म की बात है कि आए दिन सचेत करते रहने के बाद भी हम लोगों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है । इसी का प्रत्यक्ष प्रमाण बयां कर रही है आज नई दुनिया अखबार में ”आस्था का कचरा” नाम से प्रकाशित फोटो ।यूं तो...
 
दोस्तों, आप सबके द्वारा कहानी और कवितायेँ पसंद करने के लिए बहुत आभारी हूँ ...............आज उसी भाव की एक दूसरी कविता लगा रही हूँ ..........उम्मीद है ये भी आपकी कसौटी पर खरी उतरेगी ................... ल...
 
 
 
 
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 

1 comments:

अनामिका की सदायें ...... October 21, 2010 at 11:02 AM  

शानदार बोलग चौपाल.
शुक्रिया मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए.

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