देखते हैं कब तलक तुम हमको झेले जाओगे-अब कोई मोड़ तेरी राह तक नहीं मुड़ता-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Thursday, October 21, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
देखते हैं कब तलक तुम हमको झेले जाओगे मना करते रहेंगे फिर भी अपनी पेले जाओगे चीर उतरा द्रोपदी का कान्हा तो आया नहीं हार सब बैठे हो फिर भी खेल खेले
शिव स्वरोदय - शरीर में स्थित नाडियां आचार्य परशुरामराय प्रस्तुत अंक में शरीर में स्थित नाडियों के विषय में शिवस्वरोदय में वर्णित तथ्य दिए जा रहे हैं। *देहमध्ये ****स्थिता ****नाड्यो बहुरूपाः सुविस्तरात्...
कुछ भक्तजनों द्वारा आसमान में हमको अनगिनत संदेश भेजे गये. और बताया गया कि आजकल ब्लागाव्रत मे घोर अव्यस्था फ़ैली हुई है. एक अखण्ड ब्लागाव्रत की अवधारणा को कुछ तुच्छ मानसिकता वाले स्वयं भू क्षत्रपों ने खंडित...
दुनिया की जन्मदाता हैं औरत हजारो वर्ष पुराने इतिहास की गाथा हैं औरत जिस पर खड़े है हम ,वो धरती माता हैं औरत अबला कहा जाता हैं ,वही चंडिका हैं औरत इस जग में दुखिया का नाम है औरत चारो धामो का धाम है औरत भारत क...
इस अस्पष्ट वीडियो में जो आज राजधानी दिल्ली में बनाया गया है, आपने किन्हीं दो ब्लॉगरों को पहचानना है
याद करूँ बचपन को जब जब बेड़ी लगती पाँव में। जो कुछ मैंने शहर में देखा वो दिखते हैं गाँव में।। घूँघट में सिमटी दुल्हन अब बीते दिन की बात है। जीन्स पेंट, मोबाइल, टी०वी०, गाड़ी भी सौगात है। मन की बातें, अपना स...
कॉमन वेल्थ खेल ख़त्म..पुलिस ओर अपराधियों का खेल शुरू...रोहिणी सेक्टर 18 में दिन दहाड़े में रोड के एक फ्लेट को चोरों ने बनाया निशाना...दरवाजे का लोक तोड़कर करीब 7 लाख की चोरी...एयर होस्टेस, मंत्रालय ओर ...
साहब....'शार्टकट' में ''साब जी'' भी. हमारे यहाँ ये शब्द व्यंग्य में भी कहा जाता है. बहुत पहले एक फ़िल्मी गीत लोकप्रिय हुआ था-''साला मैं तो साहब बन गया, साहब बनके कैसा तन गया''. साहब बन कर अक्सर लोग तन जाते...
अब चुप रहना कायरता मानी जाती है,* *क्रोधित स्वर की शक्ति पहचानी जाती है।" इस लिंक पर जरुर जाए *
बस स्टैंड में एक बस काफी देर से खड़ी थी तो झल्लाकर एक यात्री ने ड्राईवर से पूछ लिया - अरे भाई यह खटारा कब रवाना होगी ? ड्राईवर ने यात्री को उत्तर दिया - जब इस खटारा में कचरा पूरी तरह से भर जायेगा .
पिछले सप्ताह एक के बाद एक तीन निकट सम्बन्धियों के मृत्यु समाचार से मन बेहद व्यथित है. कभी घर कभी बाहर की दौड़-भाग के बीच दिन-रात कैसे गुजर रहे हैं, कुछ पता नहीं चलता. मन में दुनिया भर की बातें घर करने लगत...
अब मंजिलों ने रास्ते बदल लिए हैं तुम्हारे मोड़ पर कभी मिलेंगे ही नहीं जो राह में बिखरे पड़े थे निशाँ सफ़र के वो भी अब दिखेंगे नहीं मोहब्बत के ज़ख्मो को सुखाना सीख लिया अब रोज आँच पर धीमे धीमे पकाती...
कल फिर मिलेंगे
3 comments:
अच्छे लिनक्स के साथ बढ़िया ब्लॉग चौपाल सजी है
अच्छे अच्छे लिंक्सों के साथ सजी सुंदर चौपाल !!
अच्छे लिंक्स के साथ सुन्दर चौपाल सजाई है।
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