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आप भले चंगे हैं- पर इस समाज में सब नंगे हैं-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Tuesday, November 2, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
प्रकाश पर्व के पावन अवसर पर आज बात एक ऐसी परंपरा की जिसमें स्नेह, सद्भाव और सदाचार से जीने का संदेश समाहित है। इस रिवाज़ को दीपदान कहा जाता है। राजस्थान के कई हिस्सों दीपदान की परंपरा दीवाली के त्योंहार...
 
पुरानी कड़ियाँ * केंकड़ा : लंठ महाचर्चा, · हवा, बड़ा और लेंठड़ा -1: लण्ठ महाचर्चा, · लेंठड़े का भोर का सपना : लण्ठ महाचर्चा, · लंठ महाचर्चा: अलविदा शब्द, साहित्य और ब्लॉगरी तुम ..., · दूसरा भाग: अलवि...
 
सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पर इस देश को अमीर बनाने का जुनून सवार हो गया है। वे येन-केन प्रकारेण देश को अमीर बनाने पर तुले हैं। लेकिन अमीर बनाने के चक्कर में गरीबों की मुसीबतें बढ़ गयी हैं। वे म...
 
क्‍या आप सबको पहचानते हैं ? पहले सिर्फ हमाम में हुआ करते थे अब हमाम नहीं हैं इसलिए समाज में चले आए हैं। 
 
कभी इंतज़ार किया करती थी रात चाँद की थाली में सितारों की कटोरियों में सजाकर दिल के टुकड़ों को इक सुबह की आस में कि वो आएगा और ले जायेगा सारी रात के बिखरे ,बेतरतीब अहसासों की किरचों को समेटकर मगर वो...
 
नमस्कार, रंगाई, लिपाई, पोताई के बाद अब आ गयी है दीवाली, खुशियों की झोली भरकर। बस दीवाली पर हर एक का मन करता है कि सारे घर के बदल डालुं--बल्ब। दशहरे के बाद के 20 दिन दीवाली की तैयारी में ही निकल जाते हैं।...
 
हाय एवरी वन...सभी दर्शकों को ब्लागर्स बिग बास के होस्ट राज भाटिया का सलाम नमस्ते! जैसा कि आप जानते हैं कि बिग बास ने मुझे यहां होस्ट बना रखा है और कुछ ब्लागर्स को अंदर हाऊस में बंद कर रखा है. वो कौन कौन है...
 
अचानक से दो दिन से २०-३० मील प्रति घंटे के हिसाब से ठंडी तेज हवाओं ने परेशान कर रखा है ! रात में ऐसा लगता है कि जैसे ये आँधी कहीं खिडकी और छत को उड़ा ही न ले जाए ! गमले भी घर से दूर पीछे बैकयार्ड में...
 
जीवन के चढ़ते उतरते ग्राफ * जीवन में लक्ष्य निर्धारण और उस लक्ष्य को पाने के लिए किया गया प्रयास मायने रखता है वरना रोजमर्रे की जिंदगी तो सब जी रहे हैं. चाहे विद्वजन हों, विद्यार्थी हों, साधारण मनुष्य हो 
 
अपनी छत पर एंटीना लगाए कोई ऐसी कार आपके घर के आसपास से गुजरे जिस पर गूगल लिखा हो तो आपको सावधान हो जाना चाहिए. यह कार आपके कंप्यूटर में रखा डाटा, आपके ईमेल के पते और यहां तक कि आपके पासवर्ड्स भी छू मंतर ...
 
मेरे हालात पर क्यों हँसता ज़माना है मेरा कातिल मेरा मुनसिब ज़माना हैं हर गम-औ-ख़ुशी को बेबस अपनाना है हाय! क्या बेदर्द यह दस्तूर-ए-ज़माना है तन्हा सबको अपनी सलीबें खुद ही ढोना है यूँ तो कहने को सबका हमदर्...
जीते - जागते स्टैचू.........
ना ... ना.... ना...ये कोई सरेआम कत्लेआम नहीं हो रहा है बल्कि ये सिर्फ स्टैचू है इसे कह सकते हैं बनाने वाले की कला का कमाल ।क्यों है ना आप भी चौंक गए........ और ये साहब ना तो यहां बैठकर किसी का इंतजार क...
 
छम्मकछल्लो को इस देश की परम्परा पर नाज़ है. सारी परम्पराओं में एक परम्परा है, हम स्त्रियों के तन मन पर आपका अधिकार. हमारे द्वारा घर और पति और ससुराल की हर बात को शिरोधार्य करना. हम क्या खाएंगी, पहनेंगी, पढे... 
 
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे 
 
 
 
 
 
 

8 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen November 2, 2010 at 7:59 PM  

baddhiya charcha...kuchh link abhi padhne jaa raha hoon.

डॉ. मोनिका शर्मा November 2, 2010 at 8:11 PM  

सुंदर चौपाल..... 'परवाज़' को शामिल करने के लिए आभार

ब्लॉ.ललित शर्मा November 2, 2010 at 8:32 PM  

सुंदर ब्लाग चौपाल सजाई
धनतेरस की ढेरों बधाई।

राम राम सांई

ASHOK BAJAJ November 2, 2010 at 8:38 PM  

अच्छा शीर्षक , बधाई !

धन तेरस की असीम शुभकामनाएं !

राजकुमार ग्वालानी November 2, 2010 at 8:39 PM  

ललित जी
आपको भी धनतेरस की ढेरों बधाई।

vandana gupta November 2, 2010 at 11:33 PM  

बहुत सुन्दर चौपाल्……………।सुन्दर लिंक्स्।
दीपावली की हार्दिक बधाई।

राम त्यागी November 3, 2010 at 5:54 PM  

धन्यवाद मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए और बाकी उपयोगी लिंक के लिए ...

दीपावली की हार्दिक बधाई।

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