आओ उतारे दीपावली की खुमारी-कर ले जरा ब्लागों से यारी -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Friday, November 5, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
दीपावली के दिन कुछ ब्लागों के फालोअर बनने का फायदा मिला है, आज की चौपाल में कई नए लिंक हैं.....
दीपावली के दिन कल हमने ब्लाग जगत में एक अलग तरह से दीपावली का आनंद लिया। हमने इस दिन दो बार में दो-दो घंटे का समय निकाला और 100 से ज्यादा ब्लाग में जाकर टिप्पणी की और कम से कम 50 ब्लागों के फालोअर बने। हम...
राम राम भाइयो, आज देर से आँख खुली होगी ताऊ कि जो पहेली देर से दी , भाई दीवाली जो मनाई होगी रात भर ...... लीजिये ताऊ पहेली का जवाब --- जैसलमेर कि कोई पुराणी हवेली है, नाम तो नहीं पता .... गूगल पर सर्च कर...
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा आज दोपहर में भारत पहुँच रहे हैं । यहां उनका भव्य स्वागत होगा। हम खुश हैं कि वे हमारे देश आ रहे हैं । मेरे मन में सवाल उठ रहा है कि वे इतने तामझाम के साथ क्यों आ रहे ह...
मुम्बई महाराष्ट्र में आदर्श सोसाइटी में फ्लेट का घोटाला देश का बढा घोटाला बनता जा रहा हे , हालत यह हें के इस घोटाले में पहले तो फोज के अधिकारीयों के शामिल होने की पोल खुली फिर नेता जो कोंग्रेस,भाजपा,शिवसेन...
यदि आप विदेश में पढ़ाई करने जा रहे हैं तो आपको कई बातों का ध्यान रखना पड़ेगा। जैसे ही आप एयरपोर्ट पर अपने परिवार को अलविदा कहते हैं, तबसे ही मान लीजिए कि अब आपकी जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। क्या आप अपने इस न...
सभी जीवों के पाप-पुण्य का लेखा जोखा रखने के लिए , ब्रम्हा जी की काया से भगवान् चित्रगुप्त उत्पन्न हुए । उत्पत्ति के समय इनके हाथ में कलम-दवात थी । ब्रम्हा जी की काया से उत्पन्न होने ...
मैं तकरीबन 6 या 7 साल की रही हूंगी जब खेल-खेल में एक चीटा मर गया था और हम दोस्तों ने उसे एक गढ्ढा खोद दफना दिया था और कई दिन तक सबकी नजर बचा मै उस स्थान पर पानी और फूल चडा आती थी।फिर धीरे-धीरे मैं सब कुछ भ...
दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं--यह पर्व आपके जीवन में सुख समृद्धि एव शांति लेकर आए आप प्रगति के नए सोपानों पर पहुंचे। ब्लॉग4वार्ता परिवार की तरफ़ से सभी ब्लॉग जगत वासियों का दीप पर्व पर हार्दिक अभिन...
तुम्हें क्या फर्क पड़ता है मैं रहूँ ना रहूँ तुम्हारी ज़िन्दगी में मैं हंसूं ना हंसूं तुम्हें अब फर्क नहीं पड़ता ना बस तुम तो अपने मन की अँधेरी गुमनाम गलियों में गुम हो क्या फर्क पड़ता है अब तुम...
हरीश प्रकाश गुप्त*** ** उस दिन छुट्टी से पहले झमाझम बारिस शुरू हो गई। लगा कि थमने का नाम ही नहीं लेगी और घर पहुँचते-पहुँचते तरबतर करके ही दम लेगी। हालाकि, मन के एक कोने में राहत की साँस भी अपना आसन जम...
जी हां आज दिन में पहुंचूंगा और वापसी कल दोपहर को होगी।
कुछ लोग कहते हैं कि शिकागो की राजनीती इतनी काम्प्लेक्स है जिसमें साधारण आदमी का डेमोक्रटिक या रिपब्लिक पार्टी में आगे बढ़ना बहुत ही दुष्कर है, इसलिए भी इसको विंडी शहर कहा जाता है ! ओबामा भी इस राजनीति...
दीवाली के कुछ पुराने ग्रीटिंग कार्ड आज इत्तफाक से हमारे हाथ लग गए , इन कार्डों को देख कर हम अतीत में खो गए . 1991 से लेकर अब तक के सभी ग्रीटिंग कार्ड अगर मिल गए होते क्या कहने .चलो जो मिले उसे हम आज...
फिलहाल मैं घर के अंदर दुबक गया हूं ! बच्चों ने घर से बाहर दिये जला दिए हैं पर बस्ती में पटाखे यूं फूट रहे हैं गोया ये शाम फिर ना आयेगी , एक शोर युद्ध भूमि में होने जैसा ! खिड़कियों के शीशे हर धमाके के स...
मन खिन्न हुआ, दिल टूट गया , थी अपेक्षा जो, उस पर खरे, न उतर पाए , जाने कितने, अहसान किये , पर जताना , कभी नहीं भूले , संख्या इतनी बढी , कि भार सहन, ना हो पाया , बेरंग जिंदगी का , एक और रूप, नजर आया , कहने को...
मुंशी प्रेमचंद हिन्दी साहित्य के ही नहीं भारतीय साहित्य के बहुत बडे लेखक है. इनका जन्म ३१ जुलाई १८८० में वाराणसी जिले के लमही नामक ग्राम में हुआ. इनका वास्तविक नाम धनपतराय था. शिक्षा काल में इन्होंने उर...
शरारती चुटकुले भाग १
1. संता - अरे तुम्हारी कलाई पर यह लेडीज वॉच कैसे ?' बंता -' हुआ यह कि कल एक लड़की कपड़े उतार कर नदी में नहा रही थी कि एकाएक डूबने लगी। बचाओ , बचाओ की आवाज सुनकर मैंने दरिया में छलांग लगी दी और उसे बच...
रश्मि, नभ-नील-पार, सतत शत रूप धर, विश्व-छवि में उतर, लघु-कर करो चयन! प्रतनु, शरदिंदु- वर, पद्म-जल-विंदु पर, स्वप्न-जागृति सुघर, दुख-निशि करो शयन _निराला भावयति से गुजरने वाले दोस्तों को दिवाली की हार्दि...
- जिंदगी का रौशन हर दिन है , हर सुबह कुछ खास ,हर शाम भी हसीं है , तुम हो जब साथ तो हर दिन दशहरा है तुम हो जब साथ तो हर रात दीवाली है , बस दीपकसे जलते रहे ,खुद को कुर्बान करते रहे , इस दुनिया को जरूरत है उजाले...
- हे माँ अबके उस घर जाना, कुछ तेरी किरने बरसना पूरा पेट नहीं भर पाए चूल्हा भी क्या खाक जलाएं दूध बूंद की नहीं निहारी नन्हा कैसे ले किलकारी मिला नहीं जब कोइ धंदा अपने गल लटकाया फन्दा दुःख के पर्वत चारो...तुम्हे शिकवा है कि हमको इश्क करना नहीं आता | हमें ग़म है कि हमको आज बस इतना नहीं आता | तुम्हारी हर शिकायत का जवाब भी है हमारे पास, मगर हर बात को जुबाँ से हमें कहना नहीं आता | हमें गम है कि...... अरमाँ लाख...मैं देखता हूँ तुम्हारी आवाज़ को तुम्हारे होंठ खुलते हैं, फड़फड़ाते हैं चौड़े होते हैं, सिकुड़ते हैं मिलते हैं, खिलते हैं आगे को आते हैं, पीछे जाते हैं दाँतों से टकराते हैं जुबाँ के उपर-नीचे हिचकोले खाते हैं ..."कभी-कभी कुछ मूर्ख लोग मेरे पास आते हैं और पूछते हैं: ´आपकी देशना क्या है? आपकी कौनसी ऐसी पुस्तक है जिसमें आपकी पूरी देशना का सार-सूत्र हो?´ मेरी कोई देशना नहीं है! तभी मेरी इतनी पुस्तकें उपलब्ध हैं। न...बात कुछ यूं शुरू ही थी कि सितंबर के महीने में हम कानपुर घूमने निकले थे और अचानक अंताक्षरी के बीच कुछ दिलचस्प गानों का ज़िक्र होने लगा जिनका हुलिया आम हिंदुस्तानी गानों से थोड़ा अलग होता है.....इन्हें ‘झंडू...
कल फिर मिलेंगे
7 comments:
बहुत बढ़िया चौपाल .
अन्नकूट की बधाई !
चौपाल की रौनक दिन बा दिन बढ़ती ही जा रही है ! बढ़िया लिंक्स !
दीवाली की बधाई
बढ़िया चौपाल
बहुत सुन्दर लिंक्स दिये हैं……………आभार्।
सुंदर चर्चा। अच्छे लिंक्स।
चौपाल बहुत ही बढीया लगा.
Post a Comment