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ब्लॉगिंग अगर इंडस्ट्री है तो गलत आ गये यार!!!, मठाधीशों के इशारों पर चलता है चिट्ठा जगत-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Wednesday, November 10, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज

 
 
[image: screaming-at-computer] ब्लॉगिंग अगर इंडस्ट्री है तो मैने गलत चुन ली. अफसोस होता है कभी कभी. कभी कभी कहना बहुत मर्यादित वक्तव्य है सिर्फ इसलिए क्यूँकि मैं इसका हिस्सा हूँ. न होता तो कहता ‘हमेशा’...
 
अब हमें इस बात का पूरा भरोसा हो गया है कि अपना चिट्ठा जगत स्वचलित सिस्टम से नहीं बल्कि मठाधीशों के इशारों पर चलता है। हमें वैसे तो इस बात का पहले से ही यकीन था, लेकिन अब पक्का भरोसा हो गया। वरना कैसे कर चर...
 
उनके तो मिलने ना आने के बहाने हज़ार हैं कभी धूप, कभी बारिश, कभी पापा बीमार हैं और हम हैं के मान जाते हैं, हर बात उनकी क्या करें कमबख्त इश्क के हाथों लाचार हैं उन्होंने सहेली के हाथ से संदेसा है भिजवा...
 
समीक्षा *आँच-43 *उसका दिनकर तो हमेशा के लिए अस्त हो गया* हरीश प्रकाश गुप्त कभी इंतज़ार किया करती थी रात चाँद की थाली में सितारों की कटोरियों में सजाकर दिल के टुकड़ों को इक सुबह की आस में कि वो आएगा और...
 
* *मध्यवर्ग के लोग आमतौर पर किसानों के प्रति रौमैंटिक भाव से सोचते हैं अथवा अनालोचनात्मक ढ़ंग से सोचते हुए किसान का महिमामंडन करते रहते हैं। किसान के मनोविज्ञान की कभी हमने आलोचनात्मक समीक्षा ही नहीं ...
 
शब-ए-रोज यह वाकया घटता है मेरे साथ, तेरे घर के सामने लगे नियोन ब्लब की नीली रोशनी दूर से ही दिखाई देती है,जब तेरे घर से सामने से गुजरता हूँ तो वह खींचता है मुझे। कदम ठिठकते हैं एकाएक गाड़ी के ब्रेक पर पैर ट...
 
ये तब की बात है जब मैं दिल्ली में रहती थी ...sidhhartha extesion , pocket -c, हम नए-नए दिल्ली आए थे, आस-पड़ोस बहुत अच्छा, सबसे मिलना जुलना होता ही रहता था...अब भी कहते हैं लोग, तुम जब थी तो बात ही कुछ और ...
 
पाकिस्तान सरकार ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत को अमेरिका द्वारा समर्थन दिए जाने की निंदा की है. इतना ही नहीं राष्ट्रीय कैबिनेट के स्तर पर प्रस्ताव पास कर उसे समझ के बाहर बताया है. पाकिस्तानी ...
 
मैं जाऊँ ढूँढने कहाँ-कहाँ ? रजनी की काली अलकों में, तारों की झिलमिल ज्योती में, तुम छिपे हुए हो जीवन धन इस ओस के सुन्दर मोती में ! निशिपति की मृदु मुस्काहट में आकर के तुम मुस्का जाते, घिर करके श्याम बादलों...
 
तुमने ही पुकारा था तब सौ बार हमें, जब प्यार नहीं था तो जताया क्यों था ! रहने को ठिकाने थे बहुत मेरे लिये, आँखों में बसा कर के गिराया क्यों था ! हमसे तो वफ़ा की बहुत तकरीरें कीं, जो खुद नहीं सीखे वो सिखाया ...
 
Surrogacy एक वैकल्पिक उपाय हैं उन दम्पतियों के लिए , जो किन्हीं कारणोंवश माता-पिता नहीं बन सकते। एक स्त्री जो surrogate मदर बनती है , वो गर्भाधान से लेकर पूरे गर्भकाल तथा प्रसव होने तक की स्वीकृति देती है।...
 
तुम्हारे पत्र दिन में नहीं पढ़ता उजाले में आँखें चौंधियाती हैं और सूरजमुखी ऐंठने लगते हैं। तुम्हारे पत्र रात में नहीं पढ़ता रजनीगन्धा सी महक उठती है यादों के साँप बाहर आने लगते हैं। सच कहूँ तो आज तक उन...
 
ब्लैक होल
मेरी आँखें मेरी साँसें मेरे होंठ मेरी बाँहें मेरा रोम-रोम शायद एक अंधा कुआँ है या है शायद एक कृष्ण विवर जो तुम्हें हरपल हर लम्हा देखकर छूकर पीकर समेटकर जी-जीकर भी भरता ही नहीं 
 
मेरा परिचय इतने सुंदर ढंग से करवाने के लिए...... हार्दिक आभार नरेशजी..... सचमुच शेखावाटी के लोगों का यूं आपस में परिचय करवाकर आप बहुत उम्दा कार्य कर रहे हैं..... धन्यवाद 
 
एक खुबसुरत लम्हा क्या गुजर गया तेरे साथ में जिंदगी कम पढ़ गयी हे आज उसी के बारे में सोचने के लियें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 
 
इन तस्वीरों पर इन डॉट कॉम का लोगो चिपका है। जाहिर इसे इसी साइट ने जारी किया होगा। यूट्यूब पर बालिका वधू में अभिषेक बच्चन की एपीसोड खोजने के दौरान इस पर नजर चली गयी। यूट्यूब पर मुन्नी बदनाम हुई गाने के साथ ...
 
आज जब हर जगह *ओबामा की ही चर्चा* है और ऐसे में हमारे यहाँ भी एक हिंदी फ़िल्म बनी है *''**फंस गया रे ओबामा**''* नाम से. जिसका है यह गाना *''**सारा प्यार है बेकार पैसा अगर न पल्ले**, **बड्डी दे दे पैसे तेरी...
 
हमारे समाज मे एक अविवाहित , सिंगल , तलाकशुदा स्त्री को हमेशा "हेय" द्रष्टि से देखा जाता है । उनके बारे मे कहा जाता हैं कि ये दूसरो का घर बिगाड़ती हैं । इनको हमेशा दूसरो के पति ही अच्छे लगते हैं । क्यो ऐसा ...
 
प्रिय ब्लॉगर मित्रो प्रणाम ! मेरा नाम *रुद्राक्ष पाठक* है मैं आज से *ब्लॉग ४ वार्ता* के वार्ता दल का नया सदस्य बन गया हूँ| मुझे हिंदी ब्लॉगिंग मैं बढावा बड़े भाई *शिवम् मिश्र जी* ने दिया है| आशा करता हू...
 
आदमी खुद के लिए अपने स्तर की दुनिया अपने हाथों खुद रचता बुनता है . जिस घोसलें में वह रहता है अपनी जिंदगी बिताता है उसकी निजी जिंदगी में किसी अन्य दूसरे का हस्तक्षेप नहीं रहता है . मनुष्य के जीवन में दुनिय...
 
 
 
 
 
 
 
 
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

7 comments:

Arvind Mishra November 10, 2010 at 6:59 PM  

मठाधीशों के नाम बताये :)

Anonymous,  November 10, 2010 at 7:37 PM  

सुंदर चौपाल

सदा November 10, 2010 at 11:51 PM  

बेहतरीन प्रस्‍तुति‍ ।

vandana gupta November 11, 2010 at 4:13 AM  

बहुत सुन्दर चौपाल्।

Sadhana Vaid November 11, 2010 at 8:50 AM  

बहुत बढ़िया चौपाल सजाई है आपने ! बधाई एवं शुभकामनाएं !

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