मुहब्बत का अजब चलन देख रहा हूँ , वाह.. हमारे चाहने वाले ऐसे भी हैं..-..ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Monday, November 15, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
हमें मालूम नहीं था कि ब्लाग जगत में हमारे चाहने वाले ऐसे भी हैं जो फर्जी आईडी बनाकर न सिर्फ टिप्पणी करने का काम करते हैं बल्कि हमारी एक पोस्ट से इतने ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं कि उनको हमारे खिलाफ एक पोस्...
देश में भ्रष्टाचार के आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच जिस तरह से उत्तराखंड की वर्षगाँठ पर टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने यह कहकर सभी को चौंका दिया कि उनसे विमान सेवा शुरू करने के लिए १५ करोड़ रूपये घूस के रूप...
ओंकार ध्वनि 'ॐ' को दुनिया के सभी मंत्रों का सार कहा गया है। यह उच्चारण के साथ ही शरीर पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ती है। भारतीय सभ्यता के प्रारंभ से ही ओंकार ध्वनि के महत्व से सभी परिचित रहे हैं। शास्त्रों म...
छत्तीसगढ़ में आज आयोजित भारतीय वायु सेना के भर्ती शिविर में राज्यभर के सैकड़ों युवा शामिल हुए। इसके लिए 16 से 20 वर्ष आयुवर्ग के ऐसे युवा आवेदन कर सकते थे जिन्होंने 12वीं की परीक्षा 50 प्रतिशत अंकों से उत्...
मुहब्बत का अजब चलन देख रहा हूँ आज उस चेहरे पे शिकन देख रहा हूँ ये कैसी है फिजा में खामोश लहर सी के शजर के काँधे पे थकन देख रहा हूँ वो जलना, मचलना, लहराना, बहकना चराग-ओ-शमा का बांकपन देख रहा हूँ रुत...
मेरा सवाल 146 (फ़िल्म गीत पहचानिए) अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
यह रहा प्रश्न आपके सामने आज एक चित्र आपके सामने है. यह एक फ़िल्मी गीत है. अपने समय की यह बहुत मशहूर फ़िल्म है .आपको बताना है कि यह गीत कौन सा है और किस फ़िल्म का है? मेरा सवाल 145 का सही जवाब – पं....
आज हुआ क्या ऐसा मानव, जो आँखों में आंसू है | आज हुआ क्या ऐसा मानव, जो रोने का दिल करता है | टूट गया क्या कोई सपना, या बिछड़ा है कोई अपना | माना क़ि दुःख होता है , जब कुछ ऐसा होता है |
१ होना चाहा था मैंने तुम्हारी बिंदी तुमने कहा बन जाओ उतार दिया तुमने अगली सुबह २ खुश थी तुम जब मैं ने कहा था बना लो अपनी बिंदी मुझे तुम्हारी हाँ से खुश हुआ था मैं भी कितना आज जब मिल नहीं ...
सोमालिया -* सोमालिया पिछले तीन साल से सबसे नाकाम देशो कि सूचि में सबसे ऊपर है | यहाँ कई दशको से सामाजिक और राजनैतिक कि अंतद्वन्द लड़ाई चल रही है | यहाँ समुद्री लुटेरो का बोल बाला है | ये सभी लोग यहाँ...
प्रभावशाली समीर लाल जी के बहुआयामी सरल व्यक्तित्व से मिलकर ब्लागिंग करना सार्थक महसूस हुआ ! समीर लाल जी को मैंने उनके द्वारा शुरुआत के दिनों में लगातार प्रोत्साहित के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित की ! -समी...
इन बारिश की बूंदों को तन से लिपटने दो प्यासे इस चातक का अंतर्मन तरने दो बरसो की चाहत है बादल में ढल जाऊं पर आब-ओ-हवा... visit my blog and comment
कल फिर मिलेंगे
4 comments:
अच्छे लिंक्स प्रदान करने के लिये आभार
छोटी लेकिन अच्छी चौपाल
सुन्दर चौपाल …………बढिया लिंक्स्।
बढिया लिंक्स्
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