अचरज , स्विस बेंक को मालामाल करने वाला भारतीय गरीब है -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Friday, November 19, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
विपत्ति सह लेने में अचरज नहीं, अचरज है वैसी हालत में भी शान्त रहने में - जुन्नुन प्रस्तुति : अलबेला खत्री
दोस्तों भारतीय गरीब हे लेकिन भारत गरीब नहीं हे स्विस बेंक के एक डायरेक्टर का कहना हे के स्विस बेंक में भारत वासियों की २८० लाख करोड़ की राशि जमा हे यह राशी स्विस में तीस वर्षों के लिय्ने कर रहित बजट के काम म...
प्रदेश के ७० उत्कृष्ट खिलाडिय़ों में घोर निराश आ गई है। इन खिलाडिय़ों को एक साल होने के बाद भी अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है। अब तो इनकी आश टूट सी गई है। खिलाड़ी जब भी अपनी फरियाद लेकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह...
(मूलम्) त्रैगुण्याद्ब्रह्मणः पूर्वं सच्चिदानन्दरूपिणः । सदसत्कर्मणः सङ्गाज्जीवत्वं न निवर्त्तते ॥३॥ (विवृत्तिः) त्रिगुणमायामृगीनर्त्तकत्वेन गुणाभिमानित्वं गतस्य पूर्वस्वरूपास्मृत्याऽत्मनो जीवत्वव्...
भारी घाटे से जूझ रही एयर इंडिया की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। अब इसकी सहयोगी सस्ती एयरलाइन एयर इंडिया एक्सप्रेस के सीओओ पवन अरोड़ा की नियुक्ति में हुई अनियमितताओं पर बोर्ड के निदेशक मंडल ने सवालिया निशान...
केसर निपजै न अठै, नह हीरा निकलन्त | सिर कटिया खग झालणा, इण धरती उपजंत || यहाँ केसर नहीं निपजती,और न ही यहाँ हीरे निकलते है | वरन यहाँ तो सिर कटने के बाद भी तलवार चलाने वाले वीर उत्पन्न होते है | धोरां घ...
शुष्क तपते रेगिस्तान के अनंत अपरिमित विस्तार में ना जाने क्यों मुझे अब भी कहीं न कहीं एक नन्हे से नखलिस्तान के मिल जाने की आस है जहां स्वर्गिक सौंदर्य से ओत प्रोत सुरभित सुवासित रंग-बिरंगे फूलों का ए...
जब भी मुझसे कोई क्रूरता की शिनाख्त करने को कहता है तो मैं अपने को बेहद उलझा हुआ महसूस करता हूं। विचार थिर होने का नाम ही नहीं लेते। समझ में नहीं आता कि किसे क्रूरता की श्रेणी में रखूं और किसे बख्श दूं। दिम...
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने एक बार फिर से देश में सही समय पर बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा देने की ज़रुरत पर बल देते हुए कहा है कि जल्दी ही सीबीएसई ८ वीं कक्षा के बाद से से ही बच्चों को ...
उस बयाबाँ के पीछे एक बगीचा था, ये नहीं पता था दरख्तों के उस झुण्ड के पीछे गुलों का गलीचा था, ये नहीं पता था डर के मुड़ जाया करती थी जंगल से घबराया करती थी, डर को भी डराने एक तरीका था ये नहीं पता था फिर छो...
चाहे शोषित करे कोई चाहे उपेक्षित भी होती हूँ मगर मन के धरातल पर डटकर खडी रहती हूँ संस्कारों की वेणी में जकड़ी मन से तो मैं आज भी वही पुरातन भारतीय नारी हूँ चाहे मानक रोज नए बनाती हूँ अपनी सत्ता का आभास...
हां मैंने देखा एक बच्चा वह किसी को खुश करने या किसी लालच में नहीं बल्कि अपनी धुन में गा रहा था। रेगिस्तान की मिट्टी न केवल जीवटता देती है बल्कि राग का भी वरदान बिना मांगे दे देती है। मैं इस बच्चे का नाम...
उनके होठों पे फिर इक नया बहाना रहता है जब भी किये वादे पे उन्हें ना आना रहता है और हम नहीं के उनपे तोहमते लगाया करें हमे तो हर लम्हा इंतज़ार में बिताना रहता है नाम कुछ भी रख लो, रांझा, मजनू या महिवा...
‘जूता’ इव्नेबतुता – बगल में जूता ....... वाला नहीं रिंग रोड मायापुरी फ्लाई ओवर से उतारते वक्त बेदर्द वाहन चालकों से सताया हुआ .. कुचला हुआ ... सड़क के बीचो-बीच पड़ा मिला ....... वही वाला. सड़क पर पड...
इस मौसम में हरदम मेरा दिल जलता रहता है। पाँव तुम्हारा चूम चूम कर धान मुँआँ पकता है छूकर तेरी कमर बाजरा लहराता फिरता है तेरे बालों से मक्का रेशम चोरी करता है तेरा अधर चूमने को, गन्ना रस से भरता है; सरपत पकड़ ...
आश्चर्य है कि हफ्तों निकल जाने के बाद भी "कौन बनेगा करोड़पति" में चली आ रही एक गल्ती पर अयोजकों, संचालकों, उपस्थित दर्शकों, प्रतिभागियों यहां तक कि अमिताभ बच्चन जी का भी ध्यान नहीं गया है। जबकि ऐसे प्रोग्रा...
बेटे के विवाह के मायने क्या हैं? किसी भी माँ से पूछकर देखिए वह यही कहेगी कि जीवन का सबसे अनमोल क्षण है। शायद पिता के लिए भी ऐसा ही होता हो, लेकिन चूंकि मैं एक माँ हूँ तो पिता की अनुभूति का मुझे मालूम नहीं...
कल फिर मिलेंगे
7 comments:
बढ़िया चौपाल सजाई है आपने ..... आभार !
ब्लॉग चौपाल में आना बहुत अच्छा लगा |आपने बहुत महनत से लिंक्स खोजे हें |बहुत बहुत बधाई |जिजीविषा कविता बहुत अच्छी लगी |आशा
Achhi choupal... Abhar
बहुत बढ़िया चौपाल ..बहुत से लिंक्स मिल गए
बहुत सारे लिंक्स मिले…………काफ़ी सुन्दर चौपाल…………आभार्।
कार्तिक पूर्णिमा एवं प्रकाश उत्सव की आपको बहुत बहुत बधाई !
देर आयाद - दुरुस्त आयाद.........
धर्मेन्द्र कुमार का रास्ता मिला...... आभार.
अच्छे लिंक मिलते हैं आपके यहाँ से..
Post a Comment