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अपने लिए जीए तो क्या जिए-चलिए दूसरों के लिए ही जिए -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Sunday, November 21, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज  

पिछले कुछ समय में हमारे साथ और कई ब्लागर मित्रों को इस बात की शिकायत है कि ब्लाग चौपाल में उनकी पोस्ट की चर्चा होने के बाद भी चिट्ठा जगत उनके हवाले में प्रविष्ठियों को शामिल नहीं करता है। हम भी पिछले काफी समय से देख रहे हैं कि ऐसा लगातार हो रहा है। पहले लगा था कि महज हमारे साथ तो कोई खेल नहीं हो रहा है, लेकिन ऐसा खेल न जाने कितनों के साथ हो रहा है। एक बार सोचा कि क्या मतलब यार बिनावजह मेहनत करने का, इस ब्लाग चौपाल पर विराम ही लगा दिया जाए। फिर हमने सोचा कि यह तो स्वार्थ वाली बात होगी। हमने सोचा कि अपने लिए जीए तो क्या जिए, चलिए दूसरों के लिए जिए। यही सोचकर हमने इस ब्लाग चौपाल को जारी रखने का फैसला किया है। भले चिट्ठा जगत हमारे साथ और कुछ लोगों के साथ खेल खेले लेकिन कुछ लोगों का भला तो हो रहा है। अब जबकि किसी का भला हो रहा है तो हम उनके भले को कैसे रोक सकते हैं।
देश में सभी थनों का क्राइम रिकोर्ड ओन लाइन होने जा रहा हे इस मामले में देश में सभी थानों को कम्प्युत्राइज़ कर ओन लाइन करने के लियें दो हजार करोड़ का बजट स्वीक्रत हुआ हे , देश के सभी थानों के ओन लाइन क्राइम ...
"ग्राम पंचायतें, नगर पंचायतें, नगर पालिकाएं, नगर पालिका निगम व एन.जी.ओ. संस्थाओं के तनिक तनिक प्रयास से पर्यावरण का स्वच्छ व स्वस्थ्य रहना संभव है किन्तु इन संस्थाओं को क्रियाशील रहना आवश्यक है।" आचार्य उदय 
 
कप्तान रोहित ध्रुव के साथ सलामी बल्लेबाज एम. हसन के अर्धशतकों की मदद से छत्तीसगढ़ ने विश्व कप में खेलने वाली कनाडा की टीम को पहले अभ्यास मैच में ४ विकेट से परास्त कर दिया। कनाडा के लिए शतक बनाने वाले रवीन...
 
देश की सबसे प्रतिष्ठित संस्था आजकल एक अजीब सी समस्या जूझ रही है. पिछले ५ वर्षों में आईआईटी कानपुर के ८ छात्र आत्महत्या कर चुके हैं. अभी तक इसकी कोई खास वजह तो दिखाई नहीं देती पर जिस तरह से प्रबंधन ने इस प...
 
कहते हैं, मुसीबत कैसी भी हो, जब आनी होती है-आती है और टल जाती है-लेकिन जाते जाते अपने निशान छोड़ जाती है. इन निशानियों को बचपन से देखता आ रहा हूँ और खास तौर पर तब से-जब से गेस्ट हाऊसेस(विश्राम गॄहों और...
 
आज बी.बी. सी. हिन्दी के वेबसाईट पर हाथी और मगरमच्छ की एक अदभूत , रोमांचक और जीवंत फोटो देख कर बचपन में सुनी एक बन्दर और मगरमच्छ की कहानी की याद ताजा हो गई . पहले तो हम आपको वह रोमांचक तस्वीर दिखाते है...
 
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(1) समझना वस्तु है, शब्द नहीं है। अंततोगत्वा शब्दों से इंगित वस्तु को पहचानना है, या शब्द को पहचानना है? यह तय करना होगा। शब्दों को शब्दों से जोड़ते हुए शब्दों में ही हम फैलते जाते हैं। वस्तु पर ध्यान देते ...
 
 
पिछले लेख का आगे का भाग................................................. यहाँ तक कि उन्होंने अपना घर भी नहीं बसाया | उडीसा के कटक में 19 अप्रैल 1965 को को इनका जन्म हुआ था | सामने थी भूख और गरीबी | चार सा...
 
 
  अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 

3 comments:

Sadhana Vaid November 22, 2010 at 3:28 AM  

बहुत सुन्दर चौपाल है राजकुमारजी और बहुत बढ़िया लिंक्स दिए हैं आपने ! मेरी बधाई एवं आभार स्वीकार करें !

vandana gupta November 22, 2010 at 5:22 AM  

सुन्दर चौपाल्।

डॉ. मोनिका शर्मा November 22, 2010 at 2:13 PM  

बहुत सुन्दर चौपाल.... आभार

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