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अरुंधती रॉय पर बहस -अब और नहीं -ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Tuesday, November 23, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
 
 
कोटा के कोचिंग छात्रों से सी बी एस ई को हर साल तीन करोड़ रूपये की आमदनी होने के बाद भी कोटा को ऐ.आई.ट्रिपल ई का सेंटर नहीं दिया हे कुल ७० हजार परीक्षार्थियों में से करीब साठ हजार छात्र कोटा से आवेदन करते ह...
 
मेजबान छत्तीसगढ़ ने हरप्रीत सिंह के शतक के साथ टी. सुधीन्द्रा की घातक गेंदबाजी की मदद से कनाडा को दूसरे वनडे में ३४ रनों से मात देकर तीन मैचों की शृंखला में २-० की अपराजेय बढ़त ले ली है। छत्तीसगढ़ ने पहले...
 
पिछली बार की बहस *‘**क्या सिर्फ अरुंधती रॉय ही देशद्रोही हैं ?**’* से कुछ सवाल उठे थे जिनका जिक्र करना जरूरी था. बाकी सब लोग तो एक सुर में बोल रहे थे पर हमारे एक मित्र है भवदीप सिंह, वो अभिव्यक्ति...
 
(उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 'क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सन्दर्भों में भारत की जीवन शक्ति' में हबीब तनवीर ने यह व्याख्यान अंग्रेज़ी में दिया था जो 'नुक्कड़ जनम संवा...
 
ब्लागिंग में पी.एच.डी. सहित विभिन्न कोर्स उपलब्ध! सभी लोगों के लिये आज का दिन महान और खुशखबर वाला है. काफ़ी समय से ब्लागजगत में लोग आते हैं और चले जाते हैं. कुछ चंद लोग जो बच जाते हैं वो महान मठाधीशों क...
 
की-बोर्ड नज़र आ रहा है – मोनिटर नहीं, हाथ मोनिटर को सूझ रहे हैं...... जूझ रहे हैं.... खोज रहे हैं..... उस धडधड़ाती न्यूज़ के लिए.... जो पेज १ पर कम्पोज हो रही है.... रात्रि के अंतिम पहर में यह पहला...
 
कंकरीट के जंगल में 
 
भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा फहरा दिया है.शून्य से भी कई डिग्री नीचे तापमान और हड्डियों को कंपकपा देने वाली सर्दी की परवाह किये बगैर भारतीय वैज्ञानिकों ने यह कमाल दिखाया है . प...
 
वक्त --------- अब वक्त ऐसे गुज़र रहा है , मानों हम कई सदियों से जी रहें हैं । याद ------- समय का एक -एक पल मेरी जिन्दगी को इस तरह मिटा रही है , जैसे उसकी यादों में , मै अपने आप को हर -पल मिटा ...
 
शहर से कोई पचास किलोमीटर होगा मेरा गाँव जहाँ तक पहुँचने में यो तो लगेंगे कोई तीन ही घंटे लेकिन यकीन मानिये यह दूरी है कम से कम ६० बरस . ६० बरस क्योंकि शहर से जब बढ़ेंगे मेरे गाँव की ओर दिखेंगे आपक...
 
एक छंद और लोकतंत्र हो गया है अब तो मारपीट तंत्र, देश को घिनौने इस रूप से बचाओ रे. आज़ादी की छाहँ में ये देश खेलता ही रहे, इसे मल्टीनेशनल धूप से बचाओ रे. वर्ना ये गुलामी हमें फिर से जकड लेगी, आँख वालों हमे...
 
अपने अंतर महल की रसोई में हर आम भारतीय नारी ने अपने सपनों की आँच को सुलगा कर चूल्हा जलाया है, और कर्तव्यों की कढ़ाही में अपनी खुशियों और अरमानों का छौंक लगा कर अपनी सम्पूर्ण निष्ठा और लगन, प्रतिभा और स...
 
 
 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
 
 
 
 
 
 
 
 

4 comments:

vandana gupta November 23, 2010 at 10:24 PM  

बहुत सुन्दर चौपाल्…………काफ़ी लिंक्स मिले…………ाआभार।

दीपक बाबा November 24, 2010 at 1:53 AM  

बढ़िया चर्चा......
और
एक बात और बतायेइए की ये ब्लॉग चौपाल नाम कहाँ से सुझा..... अच्छा लग रहा है.

Sadhana Vaid November 24, 2010 at 8:28 AM  

धन्यवाद राजकुमार जी मुझे याद रखने के लिये ! बहुत बढ़िया चौपाल ! बधाई एवं शुभकामनाएं !

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