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ये है 50वीं चौपाल-जिसमें है लिंक्स का महाजाल-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी

>> Thursday, July 22, 2010

सभी को नमस्कार करता है आपका राज
हम 50वीं ब्लाग चौपाल में चाहते थे कि 50 लिंक्स देने की कोशिश करें, लेकिन यह संभव नहीं हो सका। फिर भी हमने करीब 36 पोस्ट के लिंक्स दिए हैं। आशा है हमारे ब्लागर मित्रों को पसंद आएंगे। जब हमने चौपाल सजाने का आगाज किया था तो पहले दिन भी 36 पोस्ट के लिंक्स दिए थे। हमने अब तक अपनी चौपाल में किस भी तरह का भेदभाव नहीं किया है और पूरी तरह से गुटबाजी से अलग रहते हुए हर ब्लाग को शामिल किया है, शायद यही वजह है कि कुछ लोगों को यह बात रास नहीं आ रही है, लेकिन हमने जो काम शुरू किया है, उसे जारी रखेंगे कभी तो सबके समझ में यह बात आएगी कि गुटबाजी में कुछ नहीं रखा है, जो मजा साथ मिलकर सबके साथ चलने में है, वह मजा चंद लोगों के साथ गुटबाजी में चलने में नहीं है।

महानदी के तट पर विशाल भीड़ दम साधे खड़ी थी, उन्नत माथे पर त्रिपुण्ड लगाए एक दर्जन पंडितो नें वेद व उपनिषदों के मंत्र व श्लोक की गांठ बांधे उस प्रखर युवा से प्रश्न पर प्रश्न कर रहे थे और वह अविकल भाव से सं...
विकासशील(विनाशशील*) देश करने लगते हैं नक़ल विकसित देशों की संस्कृति की मसलन नाईट पार्टी, डेटिंग, जश्न का जोश सुरा सुंदरी के संग हर रोज होता है कुछ न कुछ 'डे' मदर्स डे, फादर्स डे वैगर...
आपने देखा यह चित्र इसमें आप कुछ तलाशिए तलाशेंगे आप आपको मानेंगे हम वैसे नहीं है यह कोई जंग फिर भी इसमें दिखलाई देते हैं ब्‍लॉगिंग के रंग। 
आज, 23 जुलाई को धर्म और अध्यात्म के आलोक स्तम्भ, Albelakhatri.com, स्वर्णिम गुजरात वाले अलबेला खत्री का जन्मदिन है। बधाई व शुभकामनाएं आने वाले जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यह...
कल अजित जी की एक पोस्ट पढ़ी थी ... http://ajit09.blogspot.com/2010/07/blog-post_21.html ..जिसमें उन्होंने चिंता व्यक्त की थी कि 'अपने देश भारत से क्यों लोग नफ़रत करते हैं....' तो सबसे पहले तो मैं अजित जी स...
अजित गुप्ता* जी ने अपनी पोस्ट पर बड़ा ज्वलंत मुद्दा उठाया- पता नहीं हम अपने देश भारत से नफरत क्‍यों करते हैं? ...बड़ी सार्थक बहस हुई...एक से बढ़ कर एक विचार कमेंट्स के ज़रिए सामने आए...अजित जी ने भारत की ...
तमिल व्याकरण में किसी भी प्रश्न पूछने के लिए अंत में 'आ' का प्रयोग किया जाता है.. जैसे 'पुरंजिदा' का मतलब 'समझ गए?' होता है.. ठीक इसी तरह अंग्रेजी के शब्दों को भी लोग तमिल व्याकरण में ढाल कर लोग उच्चारण कर...
इस बार ‘परचम’ पटना ने लहराया है। यहां विधायिका खुलकर बेशर्मी पर उतर आई। यहां तक कि विधानसभा के माननीय स्पीकर पर चप्पल फेंकी गई। कई ‘माननीयों’ को घसीट-घसीटकर मार्शलों को विधानभवन से बाहर करना पड़ा क्योंकि ...
भारत में रेडियो के बढ़ते कदम* आज प्रसारण दिवस है। देश के लिए नई उपलब्धियों का तथा रेडियों श्रोताओं के लिए यह खुशी का दिन है। 83 वर्ष पूर्व 23 जुलाई 1927 को भारत में रेडियो का पहला प्रसारण बम्बई से हुआ। दु...
आज भारत और श्रीलंका की क्रिकेट टीम के बीच पहले टेस्ट मैच का अंतिम दिन था। जैसा कि कल के हालात और रनों को देखकर अंदाज हो गया था, अन्त में परिणाम भी वैसा ही निकला। भारतीय क्रिकेट टीम को हाराना था सो हारी,.

आप की शुभकामनाएं साथ हैं* *क्या हुआ गर कुछ बलाएँ साथ है.* *हारने का अर्थ यह भी जानिए* *जीत की संभावनाएं साथ है* *इस अँधेरे को फतह कर लेंगे हम* *रौशनी की कुछ कथाएँ साथ है.* *आप की शुभकामनाएं साथ हैं
अनिल पुसदकर बता रहे हैं- प्रभाष परंपरा की रचनात्मक पहल शुरू!
कल रात उस जमात पर लिखने बैठा जिसने कुछ सालों पहले पूरे देश में गणेश जी को दूध पिला दिया था .इनके दुष्प्रचार तंत्र का यह सबसे रोचक उदाहरण रहा है. तभी दो जानकारी मिली .उस पोस्ट को रोक दिया है. पता चला कि..

अभी कुछ ही दिनों पहले आपने अखबारों व ब्लॉग जगत में पढ़ा होगा कि एक वृद्ध जोड़ा लोकी का रस पीने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गया | आखिर ऐसे कौनसे कारण है कि हमें आज प्रदूषित खाद्य पदार्थ सेवन करने को बाध्य हो...
आंच पर आरज़ू * -- करण समस्तीपुरी पिछले सप्ताह इस ब्लॉग पर श्री मनोज कुमार जी ने *'फुर्सत मे' एक ग़ज़ल लिखी थी, आरजू। *पाठकों ने बेपनाह गौर-तबज्जो की, भरपूर सराहा... । ग़ज़ल की रवानगी ने मुझे भी कुछ लिखने की ...
श्रीलंका ने आज बड़े शालीन ढंग से बड़बोले धोनी को जवाब दिया जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट की रैंकिंग में पहली पायदान पर काबिज भारत की टीम को दस विकटों से कारारी हार का मजा चखाया। क्रिकेट को, शालीनता जिसकी पहचान र...
पूजा कहती हैं- हमेशा के लिए अधूरा हो जाना
किसी से प्यार करने पर हमेशा के लिए अधूरा हो जाना पड़ता है नहीं वापस मिलता है बहुत कुछ... अच्छी तरह कमरा बुहार कर आने के बाद भी सब कुछ कहाँ वापस आ पाता है छूट ही जाती हैं कुछ किताबें, और उनके पन्नो पर लिखा ह...
एक ऐसा गज़लकार जिनकी ग़ज़लों का सबसे बड़ा आकर्षण प्रभावोत्पादकता है . पढ़ने वाले को यह महसूस होता है कि यह उन्ही की दिली बातों का वर्णन है। एक ऐसा गज़लकार जिनकी ग़ज़लों के शिल्प और कथ्य में गज़ब का तारतम्य होता ...
रूलाना हर किसी को आता हसना किसी किसी को आता है रुलाके जो मना ले वो सच्चा यार है और जो रुला के खुद भी आसू बहा दे वो तुम्हारा प्यार है शेर किस का है पता नहीं 
लिमटी खरे कहते हैं- आखिर क्या मजबूरी है, ममता बहुत जरूरी है
देश की कीमत पर कांग्रेस निभा रही है गठबंधन धर्म!* ** * * *पश्चिम बंगाल से बाहर निकलिए ममता जी* *आप पूरे भारत गणराज्य की रेल मंत्री हैं ममता जी* * * *आखिर ममता को मंत्रीमण्डल से बाहर का रास्ता क्यों नह..

अभी कुछ दिन पहले ही एक पोस्ट लिखी थी कि जब 1 रु प्रतिदिन से भी कम में जब एंटी वायरस उपलब्ध हैं तो वायरस का खतरा मोल लेना उचित नहीं है । यही बात हम ब्लोगर्स पर भी लागू होती है जब 350 से 500 रु में अपने डोम...
बचपन से लेकर आज तक खाने को लेकर मेरे मन में कभी पसंद-नापसंद का द्वंद्व नहीं रहा। इसका एक बड़ा कारण तो यह रहा कि छुटपन में ही मेरी राय बन चुकी थी कि खाने को लेकर पसंद-नापसंद बुर्जुआ मानसिकता की अभिव्यक्ति है...
ज़िन्दगी व्यर्थ वक्त की बर्बादी नतीजा---शून्य अगर किसी एक को भी अपना ना बना पाया या किसी का बन ना पाया मानव! व्यर्थ भूभार ही बना अगर कोई एक कर्म ना किया ऐसा जिसे याद रखा जा सके पूजा का ढोंग तेरा ...
आज सुनिए मेरी पसन्द का यह गीत! * *इसको स्वर भर कर गाया है - * *सुश्री मिथिलेश आर्या ने!* *(यह गीत मेरा लिखा हुआ नहीं है।) * *गीत के बोल हैं-* *"जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया….* * * *जीवन खतम हुआ तो जीने ...
एक विख्यात कवि महोदय कविता छोड़कर कभी कभी व्यंग्य लिखते थे . आज अच्छे मूड में वे अपनी कविता लिखने जा रहे थे तो वहां बच्चों की फौज हल्ला मचाने आ गई तो उनका लिखने का मूड खराब हो गया . उन्होंने जोरों से चिल्..

तुम मेरे जजमान हो॥ मै शमशान का पंडा॥ लाशें यहाँ हमेशा आती॥ यही कर्म मेरा धंधा॥ जवान बेटो की अर्थियो पर॥ माँ बाप के आंसुओ की बूँद होती ॥ पत्थर दिल भी पिघल जाता है॥ जब विधवाए बिलख के रोटी है॥ फिर भी उनको ठगता...
मुझको तेरा ख्याल आता है------------- शाहनवाज़
जब भी चाँद आसमाँ में आता है तेरा चेहरा चुरा के लाता है जब कोई गीत नया लिखता हूँ मुझको तेरा ख्याल आता है भँवरे मद-मस्त हो कर चलते हैं फूल तेरी तरह मुस्काता है क्योंकि यह कारनाम ऐ हमदम यहाँ बस आपको ही आता...
कभी बरसते बरसातमें उसका चेहरा नज़र आया , कभी काले बादलोंमें उसका पयगाम नज़र आया , कभी अपनोंकी भीड़के बीचमें भी वो झांकता नज़र आया , कभी उदास बैठे एक कोने में हम बैठे थे तन्हासे हम बालोंको सहलाते हमारे गमको बांट..

जब तक कोई शख्स 'अल्लाह हो ! अल्लाह हो ! हे भगवान ! हे भगवान !' चिल्लाता है, निश्चय जानो, उसे ईश्वर नहीं मिला, क्योंकि जो उसे पा लेता है वह खामोश हो जाता है -स्वामी रामकृष्ण परमहंस 
 यह व्यावसायिकता और सेलैबिलिटी का ज़माना है -खुद को जितना बेंच सको तो बेंच! सब कुछ, ईमान उमान भी बेंच बांच कर खुद की पोजीशन बुलंद करो नहीं तो मूषक स्पर्धा में पीछे रह जाओगे -कलयुग का यही उद्घोष वाक्य है. इस ...
आज कल फोटो सैशन का जमाना है और देखिये मैंने भी बहुत से फोटो खींचे हैं ! ज़रा देखिये मेरी फोटोग्राफी और फोटो पर क्लिक करके पहचानियेगा और बताइयेगा ...किसका फोटो (लेख) कैसा लगा.... कुछ नाज़ुक लम्हो...
प्रिय ब्लॉगर मित्रो प्रणाम ! कैसे है आप सब ? लीजिये मैं फिर से हाज़िर हूँ आप सब के लिए एक और ब्लॉग वार्ता ले कर अपने इस ब्लॉग 4वार्ता के मंच से ! आशा है आप सब को यह ब्लॉग वार्ता पसंद आएगी ! आपका शिवम् मि...
चर्चाकार-पं.डी.के.शर्मा “वत्स” सुना है कि इन्सानों के जैसे ही उल्लूओं की भी अनेक प्रजातियाँ होती हैं. इन प्रजातियों में कुछ उल्लू छोटे कद के व छोटे से...
अनूप शुक्ला की चर्चा- गुलामी जेहन की बड़ी मुश्किल से जाती है
कुछ पोस्टों के अंश 1. गुलामी जिस्म की रहती है जंजीर कटने तक गुलामी जेहन की बड़ी मुश्किल से जाती है | वसीम बरेलवी धीरू सिंह के ब्लॉग दरबार में 2. मतलब यही कि इस नियमन-प्रबंधन के पीछे आखिरकार कि...
हर महिने की तरह इस बार भी ब्लाँग आँफ द मंथ के पुरस्कारो कि घोषणा कर दि गयी है । ब्लाँगर साथियो को उत्साहित करने के लिये पिछले साल सुरु किये गये इस पुरस्कार के अन्तर्गत महिने के सर्वश्रेठ ब्लाँग को चुनकर उन...

 अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
.

10 comments:

rajesh patel July 22, 2010 at 8:05 PM  

आपकी मेहनत को नमन है

Unknown July 22, 2010 at 8:07 PM  

बहुत पसंद आया यह महाजाल

Anonymous,  July 22, 2010 at 8:12 PM  

दमदार चर्चा

राम त्यागी July 22, 2010 at 9:14 PM  

बधाई हो , आपको भी और हम सब को भी

बहुत मेहनत कर डाली आज तो ...
प्रयास जारी रहे ...१०० वीं का इंतजार करते हैं जल्दी से :)

संगीता स्वरुप ( गीत ) July 22, 2010 at 9:47 PM  

आज तो काफी विस्तृत चर्चा है.....बहुत अच्छे लिंक्स मिले

girish pankaj July 22, 2010 at 10:31 PM  

badhai....aj to aur kamaal kar diyaa. itane sare links...? sadhuvad...shubhkamanaen.

vandana gupta July 23, 2010 at 12:05 AM  

सबसे पहले तो चौपाल के पहले पडाव के लिये हार्दिक बधाई।
आप तो हमेशा ही चौपाल बहुत ही सुन्दर सजाते हैं और काफ़ी लिंक्स मिल जाते हैं……………आभार्।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" July 23, 2010 at 12:46 PM  

"हमने अब तक अपनी चौपाल में किस भी तरह का भेदभाव नहीं किया है और पूरी तरह से गुटबाजी से अलग रहते हुए हर ब्लाग को शामिल किया है"

आप कहते हैं तो मान लेते हैं. हो सकता है कि शायद हमारी किसी पोस्ट पर आजतक आपकी दृ्ष्टि न पडी हो :)

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