प्रेमचंद के साथ रफी को भी कर लो यादः- ब्लाग चौपाल राजकुमार ग्वालानी
>> Friday, July 30, 2010
एक तरफ जहां आज मुंशी प्रेमचंद की जयंती है तो दूसरी तरफ महान गायक मो. रफी साहब की पुन्यतिथि है। हमने ब्लाग जगत में प्रेमचंद को याद करते कुछ ब्लागरों को देखा है, पर रफी साहब को किसी ने याद नहीं किया है। चलिए हम ही उनकी याद दिला देते हैं।
मनोज कुमार आज का सारा दिन हम मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर समर्पित कई पोस्ट इस ब्लॉग पर प्रस्तुत करेंगे! इसी श्रृंखला की प...
मुंशी प्रेमचन्द जयन्ती पर विशेष* मुंशी प्रेमचन्द एक अच्छे साहित्यकार थे उन्होनें हिन्दी,अंग्रेजी एवं उर्दू तीनों भाषाओँ में अच्छी रचनाएं प्रस्तुत की। उन्होंने अपनी रचनाओं में गरीबों क...
*शून्य* !! विचारों की आँधी अगर शून्य हो जाए तो ? मन की उद्वेलना शून्य हो जाए तो ? या फिर भारत में नेताओं कि संख्या शून्य हो जाए … शून्यमय संसार में क्या होगा …शांति ? या फिर...
शुक्र है ! मेरे घर की दीवारें विश्वास के फौलाद से बनीं हैं, वर्ना ये कल के बच्चे बतकही के पत्थर फेंकने से बाज़ नहीं आते कितने मासूम हैं ये ! इतना भी नहीं समझते ! मेरा घर शीशे का नहीं है जो टूट जाएगा....!!
राहुल महाजन एक बार फिर अपनी हरकतों की वजह से विवादों के बवंडर में फंस गये हैं। उनकी पत्नी डिंपी गांगुली ने मारपीट और गाली-गलौज करने का आरोप लगाते हुए उनका वरली स्थित घर छोड़ अपने पिता के यहां चली गई हैं। ...
यही सही: सप्तक: "मेरे जीवन में एक बड़ा विस्फोट था बेटी का मेरे जीवन में आना और उससे भी बड़ा उसके काफी अरसे बाद मां-बाबूजी की जीवन में वापसी इस प्रकार खत्म ह..." सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ
टमाटर अब वे टमाटर नहीं रहे जो खुद होते थे लाल अब वे कर रहे हैं खरीदने वालों को लाल देखिए गिफ्ट करने का बन गए हैं माल सावन आया झूम के लेकर आया है सम्मान युवा कवि है कौन बतलाएगा अभी रहेगा मौन लिखावट...
आज फेसबुक पर विचरण करते हुए एक मित्र के फेसबुक एल्बम में एक विज्ञापन पट्ट का चित्र मिला जो यहाँ प्रस्तुत है आप भी इस विज्ञापन पट्ट को देखिये और सोचिये इसकी भाषा के बारें में मेरी शेखावाटी: ब्लोगिंग के दु...
ये स्साला!…कम्प्यूटर भी गज़ब की चीज़ है ....गज़ब की क्या?..बिमारी है स्साला…बिमारी| एक बार इसकी लत पड गयी तो समझो कि..बन्दा गया काम से|कुछ होश ही नहीं रहता किसी बात का..ना काम-धन्धे...
एक लम्बा अरसा हो गया तेरा दीदार किया था , एक मुद्दत तक मेरे दिलने तुझे चाहा था , उस बेकरारी में भी एक करार था .... वो हकीकत थी या सिर्फ मेरे मन का वहम था ??? पर जो भी था बड़ा ही लाजवाब था .... वो गली के नुक्...
कल फिर मिलेंगे
4 comments:
sundar jaankari
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
सुन्दर चर्चा।
बहुत अच्छी चर्चा।
kitni mehnat karte hain aap..sachmuch tareef ke kabil hai..
aapka bahut aabhaar..
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