ब्लॉगर का शिशु-गीत... , मैं कुछ पल का ब्लॉगर हूँ -ब्लाग चौपाल राजकुमार ग्वालानी
>> Friday, July 9, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
हम मनाते है हमेशा सबकी खैर
कराते हैं आपको नए पोस्ट वाले ब्लागों की सैर
ब्लॉग की दुनिया एक महान दुनिया का नवसृजन-सा है. यह वैश्विक-लोकतंत्र का जीवंत उदाहरण भी है. हर कोई अपना **ब्लॉग ** बनाकर मन की बात लिख सकता है. लेकिन इस सहज-अधिकारवाद के चलते क्या लोग कुछ भी लिखने के लिये ...
मैं कुछ पल का ब्लॉगर हूँ कुछ पल की मेरी पोस्टें हैं कुछ पल की मेरी हस्ती है कुछ पल की मेरी ब्लॉगिंग है मैं कुछ पल ........................... मुझसे पहले कितने ब्लॉगर आये और आकर चले गए ,चले गए कुछ झंडे गा...
नींद में तैयार करती है खुद को* *जागती है नींद में** * * और नींद में ही* * अम्मा.. अभी आई कहकर निकल जाती है घर से * *चटख लाल रंग लाने वाली मेहन्दी इत्र, नेलपालिश की शीशियां और चमकदार कागजों की तलाश के ब...
भारत के हिन्दी टीवी समाचार चैनलों ने जो रास्ता पकड़ा है वह इस बात का संकेत है कि टीवी चैनलों में समाचार और संपादन के मानकों की विदाई हो गयी है। संपादन और समाचार प्रस्तुति के नाम पर बेईमानी हो रही है...
नमस्कार, मित्रो! आज की इस चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है!
कालजयी साहित्यकार और छत्तीसगढ की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पह्चान बनाने वाले गजानन माधव मुक्तिबोध की पत्नी देवलोक सिधार गईं।वे लम्बे समय से बीमार थी और उनका ये संघर्ष कल रात खत्म हो गया।वे 88 वर्ष की थी और मु...
खोखली दिवारों के खाली मकान में रहती हूँ मैं. खाली बर्तन की तेज़ आवाज़ सी झूठी हंसी में .. खनकती हूँ मैं . भीतर के दर्द का लावा बनती हूँ जब .. तब आँखों की कोरो से गिरती हूँ मैं . लोग क...
आजकल पाठक ही मुझसे एक कहानी लिखवाए जा रहें हैं....हाँ , सच...जिस कहानी को दो कड़ियों में समेटने की सोची थी...पाठकों को इतनी अच्छी लग रही है कि मैं भी बस लिखती जा रही हूँ...पर उसकी वजह से इस ब्लॉग पर कुछ न...
वीरेंद्र सेंगर की कलम से मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की तैयारी है। ऐसे में सुगबुगाहट है कि इसमें मंत्रियों के ‘रिपोर्ट कार्ड’ की भूमिका होगी या नहीं। अगर वाकई में ‘रिपोर्ट कार्ड’ की कसौटी बनी, तो कई स्वन...
इन दिनों लगता है मैं *राइटर्स ब्लाक *जैसी स्थिति से गुजर रहा हूँ और यह इसी ब्लॉग जीवन की देन है जो जुमा जुमा कुल तीन साल की ही तो है -मगर इसी में कई वे गहन अनुभव हो गए जो बीते जीवन में हुए नहीं ..प्रेम...
गगन शर्मा बता रहे हैं- यह "जबुलानी बाल" का दोष है या हमारे दृष्टि तंत्र की कमजोरी ?
इस बार का विश्वकप फुटबाल जितना अपने सफल आयोजन, उल्टफेर, आक्टोपस को लेकर चर्चा में रहा वहीं खेल में प्रयुक्त बाल के कारण भी खबरों में छाया रहा। इस बार उपयोग में लाई गयी जबुलानी बाल के खांचों की वजह से अच्छे ...
साहिबा कुरैशी का- महंगाई और मध्य वर्ग
हिंदुस्तान का मध्य वर्ग महंगाई के खिलाफ बंद में हिस्सा लेने के प्रति इतना उदासीन क्यों है? जिन मुंबईवासियों ने 26/11 के हमले के बाद अपना आक्रोश जाहिर किया था, वे महंगाई के खिलाफ भारत बंद में शामिल
कवि रामेश्वर शर्मा का एक गीत *देख क्रुरता फ़ूलों की हम दंग हो गये* जीवन है या जटिल समस्या तंग हो गये। आदर्शों के रंग गिरगिट के रंग हो गये। कपटी भावों में डूबे जग मुंह बोले संबंध हुये विश्वासों के रुपक पछता...
7 comments:
बढ़िया चौपाल लगाई आपने !
vah bhai, rajkumaar, tumhari mehanat dekh kar khushi hoti hai ki bhari vyastata k beech bhi samay nikal lete ho.
बहुत बढ़िया चौपाल...बधाई
गज़ब की चौपाल लगाई है…………काफ़ी लिंक्स मिल गये…………आभार्।
बडी अच्छी चर्चा !!
चौपाल के सरपंच अच्छे चुने हैं.
आभार.
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बहुत बढ़िया लगा यह ढंग भी!
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