आपके घर. , सपनों की शहजादी-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Sunday, July 11, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका > राज
आज हमारे पास समय है कम
चलिए देखे किस पोस्ट में कितना है दम
मकान का आहता जुड़ा है अकरम भाई के मकान से* * मेरी बकरी खा जाती है अकरम भाई के बरामदे में सूखाया गया गेहूं, पापड़* * मेरा लड़का गालियां बकते हुए थूक देता है अकरम भाई के लड़के पर* * मेरी बीवी हर रोज मोहल्ले ...
मेरी कल्पना में मेरे सपनों की शहजादी सुंदरता की ऐसी देवी जो सौन्दर्य को भी लजा दे गोरे मुखड़े पर उभरने वाली आभा मानो शीशे पर भास्कर का धीमा प्रकाश साथ में माथे पर चांद सी चमकती बिंदियां नयन ऐसे मानो..
प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 82 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है Son gufa/ Swarna Gufa-Rajgir, [Nalanda district] Bihar औ..
(१) हे श्रृष्टि के रचयिता जगत के आधार सगुण रूप साकार हो ना निर्गुण रूप निराकार कहते हैं, आपके द्वारा ही बना दी गई होती है पति पत्नी की जोडी ताज्जुब होता है आपकी अदालत में कराये गए इस करार में फिर क्यो...
ऑफिस का बहुत सारा काम अटका पड़ा है, रात भी अधूरी, ठिठकी खड़ी है...और कितने चित्र, कितने वादे आँखों में ठहरे हैं, गुजरते ही नहीं. हाथ का दर्द हद से जियादा बढ़ता जा रहा है, लिखना भी अजीब मजबूरी होती है. पढ़...
दूरसंचार के क्षेत्र में निजी कंपनियों की बाढ़, गलाकाटू प्रतिस्पर्द्धा एवं सरकारी नियंत्रण व हस्तक्षेप की कमी की वजह से आम जन का जीवन काफी मुश्किल हो गया है। भोले ग्राहकों को लुभाने के लिए ये अपनी कॉल-दरें त...
हफ्ते भर पहले आपसे बोल कर गया था कि आपको बीहड़ की शादी के बारे में बताऊंगा कुछ.. लेकिन अंतर्जाल की अनुपलब्धता और काम के जाल में ऐसा फंसा कि लिखने-पढ़ने का समय ही नहीं मिल पाया.. आज किसी तरह लिख रहा हूँ तो...
दिन ढले जा रहे है, बिना कुछ बोले एकदम चुपचाप अपने समय पर नियत, दिनों के तो पैर भी नहीं होते, सो वो बढे जा रहे है बिना अपने निशान छोड़े दिनों के तो पर भी नहीं होते, इसीलिए वो उड़े जा रहे है बिना टूटे...
पिताजी की घुमक्कडी नौकरी ने हमें जाने कितने ही शहरों से रूबरू कराती गई ........न सिर्फ़ रूबरू बल्कि कहूं कि ..उन शहरों में हमारी यादों की निशानियां छपती रहीं ....और सोचता हूं कि इन शहरों से ..उनमें बि...
उनकी आँखों को देखकर इन आँखों की रोशनी बढ़ जाती है प्यारी आँखों की नज़रों से दीवाने की जिंदगी बदल जाती है.
अजय सक्सेना पूछ रहे हैं- पहचानें इन्हें ..ये हैं कौन ..?
आप में से शायद कोई कहे ...अरे ये तो गुरूदत्त साहब हैं!!! कोई कह सकता है कि आलोक नाथ हैं.. सज्जनों भले ही यह चित्र पुराने हैं, लेकिन इनका महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह एक ऐसे साहित्यकार का चित्र हैं जो लग...
मैं अपनी बड़ाई नहीं कर रहा , आप खुद देख लीजिये. नक्सलियों के खिलाफ सरकारें कई कदम उठ रही है. नक्सलियों ने ग्रामीणों को अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए कई वीडियो फ़िल्में भी जारी की हैं. मैंने खुद होकर ये फि...
रचना दीक्षित का- मैनेक़ुइन
मैनेक़ुइन" मैनेक़ुइन हूँ , तो क्या हुआ मैं भी इंसानों सा दिल रखती हूँ हर दिन मेरा पूनम होता रात अमावस होती है आधे कपड़े, पूरे कपड़े ऐसे कपड़े, वैसे कपड़े जाने कैसे, कैसे कपड़े कभी दुल्हन ब...
आज विश्व जनसँख्या दिवस मनाया जा रहा है । जनसँख्या के मामले में विकसित और विकासशील देशों मेंकितना फर्क है , आइये देखते हैं , इस कविता के माध्यम से । पता चला है कि --- इंग्लैण्ड के आदमी और कुत्ते , काम में ...
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
6 comments:
आज की चर्चा भी जोरदार
उम्दा चौपाल...बढ़िया लगी
्बहुत सुन्दर चर्चा।
बड़ी शानदार चर्चा की आपने
आपको बधाई
उम्दा ब्लागचौपाल!
जल्दबाजी में भी मेहनत दिख रही है आपकी.. मुझको भी साथ लेने के लिए आभार सर..
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