आक्टोपस बाबा ने भी खोला भविष्यवाणी का ढाबा- ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Monday, July 12, 2010
विश्व कप फुटबाल तो समाप्त हो गया, पर इस बार का यह महाकुंभ एक ऐसा नाम आक्टोपस बाबा का दे गया जिसे सभी बरसों याद रखेंगे। आक्टोपस बाबा की चर्चा ब्लाग जगत में खूब हो रही है, हम अपनी चर्चा में भी कुछ ऐसे ब्लागों को लेकर आए हैं, देखें कौन क्या कहता है-
डॉ अरुणा कपूर* आप एक व्यक्ति को देख रहे हैं, यह व्यक्ति कमर से आधा झुका हुआ है । आप कयास लगाते हैं कि या तो अब वह बैठने वाला है, या तो सीधा खडा होने वाला है! लेकिन वह आगे कोई भी हरकत नहीं करता, वैसा ही आ...
विश्व कप के भविष्यवक्ता पॉल बाबा स्वंय का भविष्य तो बतायें......* फूटबाल के विश्व कप फाईनल में स्पेन ने नीदरलैण्ड को एक गोल से हराकर विश्वकप हासिल कर लिया। फाईनल मैच के साथ ही विश्व भर के खेलप्रेमियों पर...
फुटबाल की आंधी में भी जब आक्टोपस पाल की तूती बोलने लगी तो इस पेशे से जुड़े बाकी मौकापरस्त लोगों को भी होश आया। तब तक काम भी बहुत आसान हो चुका था। दो ही टीमें मैदान में रह गयीं थीं। एक तरफ सिंगापुर का तोता द...
मिडिल स्कूल के फील्ड में रानी का डंडा आने वाला था। गाँव भर जोशो खरोश में होश खो तैयार हो रहा था। सोनमतिया बेटी के केश सँवार रही थी। उसने बेटी को एक धौल लगाया,” मोछिउखरनी, कहेलीं कि साबुन नाहीं बा त रोज का...
कल शहर अंधा था कल शहर बहरा था कल शहर गूंगा था* * लेकिन कल के पहले शहर अंधा नहीं था* * हर बात पर राम-राम कहने वाले कुछ बुढ़ऊ शहर की गंदी बस्तियों को लेकर व्यक्त कर ही दिया करते थे अपनी गहरी चिन्ता* * कल के...
हरी थी मन भरी थी * *राजा जी के बाग़ में * *दुशाला ओढ़े खड़ी थी" * पहेली बुझाते थे, बुझाते हैं, बुझाते रहेंगे बच्चों को रिझाते थे, रिझाते हैं, रिझाते रहेंगे इस मुल्क के गरीब आग में सेंक ये भुट्टे, ..
धर्मशाला में कुछ देर आराम फरमाने के बाद जब नाश्ते-खाने के वक़्त वीडिओ कैमरे की हैलोजन लाईट के लिए जनवासे के जनरेटर मालिक से कनेक्शन देने के लिए कहा तो वो ऐसे नखरे दिखाने लगा के जैसे मन्नू बाबा(मनमोहन सिंह)...
बदल गया अब दौर पुराना, देखो आया नया जमाना। बेटी को रस्ते की ठोकर, कुत्तों को कंधे पे उठाना। वक्त ने बदसूरत कर डाला, मां का चेहरा बहुत सुहाना। जान निछावर अब पशुओं पर, संतानों को सजा दिलाना। दुश्मन जानी ब...
मैं ही क्या, बहुत-से लोग हैं जो अक्सर हताशा से दो-चार होते रहते है.यह जीवन है, यहाँ कदम-कदम पर छल है, धोखा-दिखावा है. पाखंड है. नकलीपन है. खुद्दारों का जीना कठिन है. उसे घुट-घुट कर जीना पड़ता है. जो लो...
स्त्री पर पुरातन काल से कवियों की कूची चलती रही है.हर कवि/कवियत्री ने स्त्री को अपनी-अपनी आँखों से देखा है और बदलते काल और दौर के साथ स्त्रियों को लेकर अभिव्यक्तियाँ बदलती रही हैं.शायद इसलिए हमें विभिन्न स...
संगीता स्वरुप ( गीत ) की- हसीन उदासी
अच्छा तो हम चलते हैंउदासी के पैरहन पर टांक दिए हैं मैंने खुशियों के सलमे सितारे अब उदासी भी हसीन लगती है |
दोस्तों , आज की पोस्ट में हम सबकी साथी कुसुम ठाकुर जी को समर्पित कर रही हूँ क्यूंकि आज उनका जन्मदिन है और कल उनकी शादी की सालगिरह ..........इसमें उनके भावों को शब्दों में पिरोने की कोशिश कर रही हूँ और उन...
कल फिर मिलेंगे
7 comments:
बहुत बढिया चर्चा !!
लाजवाब चर्चा
बहुत बढ़िया ब्लॉग चौपाल लगी है !
बहुत बढ़िया चौपाल ..हमेशा की तरह ताज़ा लिंक्स मिले
हमेशा की तरह बढिया चर्चा………………काफ़ी लिंक्स मिल गये।
बहुत ही बढ़िया चर्चा चल रही है. ताजा लिक्स मिल रहे हैं.
बेहतरीन लेखों का संकलन, बेहतरीन चर्चा!
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