मैं और मेरी तन्हाई., और कितने दिनों की है जुदाई-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Tuesday, July 27, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
बिजली की चल रही है आंख मिचौली
इसलिए सीधे चर्चा करते हैं हमजोली
साधना वैद्य पूछ रही हैं- कितनी दूर और चलना है
बिजली की चल रही है आंख मिचौली
इसलिए सीधे चर्चा करते हैं हमजोली
साधना वैद्य पूछ रही हैं- कितनी दूर और चलना है
कितनी दूर और चलना है ! पथ में ऊँचे गिरि रहने दो, मैं तुमसे आधार न लूँगी, सागर भी पथ रोके पर मैं नौका या पतवार न लूँगी, शीश झुका स्वीकार कर रही मुझे मिला जो एकाकीपन, किन्तु भूल कर भी करुणा की भीख नहीं लेगा म...
मैं और मेरी तन्हाई.. कब से फैले हैं .. मन-आंगन में.. बातें करते हैं .... * *क्यों तन्हाई तुम रोज़ चली आती हो.. मेरे आँगन में.. बिन बुलाये - -- मेहमान की तरह..!! रोज़ एक टीस लेकर आती हो.. मेरी...
सावन आ गया हमेशा की तरह पुरे एक साल बाद , हर बार की तरह अपनी खूबसूरती को समेटे ...पर फिर भी कहीं न कही एसा लगता है , कि हर बार कुछ कमी रह जाती है अब सावन भी पहले जैसा नहीं रहा है .शायद होगा भी पर मेरे गाँव...
ब्रह्म जानाति ब्राह्मण:* -- ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म अर्थात ईश्वर या परम सत्य को जानता है, अतः ब्राह्मण का अर्थ है - "ईश्वर को जानने वाला " और जो वेद-पुराणों तथा अन्य महान पुस्तकों का ज्ञाता, पूजा-पाठ...
तीन दिनों की बारिश* प्रांत को जलमग्न किया किसान हुए कहीं खुश झुग्गी झोपडी के वासिंदों को क्यों तुने अर्धनग्न किया (२) मांग बहुत है पानी की है यह किसी से छुपा नही पर यह क्या! तीन दिनों से हो रही बा..
यमन देश के एक छोटे से प्रान्त में एक कहवाखाना हुआ करता था. रेत के टीलों में दूर देश के मुसाफिर जैसे पानी की गंध पा कर पहुँच जाते थे. एक छोटा सा चश्मा उस छोटी सी बस्ती को जन्नत बनाये रखता था. बस्ती से कुछ ...
क्या ५ रुपये के सिक्के आप की जान बचा सकते है ?? शायद ................. हाँ !! बता रहे है *कारगिल के योद्धा व परमवीर चक्र विजेता जोगेंद्र सिंह यादव| * *पूरी कहानी यहाँ है !
संजीव शर्मा कहते हैं- यदि महिलाएं डायन हैं तो पुरुष कुछ क्यों नहीं?
कल फिर मिलेंगे
पिछले दिनों तमाम अख़बारों में एक दिल दहलाने देने वाली खबर पढ़ने को मिली.इसमें लिखा गया था कि देश में अभी भी महिलाओं को डायन बताकर मारा जा रहा है.दादी-नानी से सुनी कहानियों के मुताबिक डायन वह महिला होती है जो...
सावन शुरु हो गया है। इस मौसम में बादल, बिजली, फुहार-बौछार, धूप-छांव की आंख मिचौनी, इन सब को देख कर मुझे कुछ खास दिन, कुछ खास लोग बरबस याद आ जाते हैं। सावन में नदी, तालाब, पोखर, हरियाली, सब, बहुत-बहुत...
उस शहर की लडकियां..---------------->>>दीपक 'मशाल'
अच्छा तो हम चलते हैंबड़ा जुझारू शहर है वो उसमें रहते हैं साहसी लोग जो नहीं डरते किसी तकलीफ से ऐसा नहीं कि वहाँ नहीं आते दैहिक दैविक और भौतिक ताप बेशक रामराज्य नहीं वहाँ पर लोग जिंदादिल हैं तभी तो उसकी जड़ें नहीं खोखला ...
मैं दर्द होता तो आपकी आंखों से बहकर अपना अस्तित्व समाप्त करना चाहता उस खारे आंसू की तरह जो देश दुनिया की फिक्र से दूर बच्चों की आंखों से निश्चल बहा करता है। मैं खुशी होता तो आपकी मुस्कुराहट के रूप में...
कविता संस्कृति का एक हिस्सा है और निरंतर कविता संस्कृति को बढ़ाने का भी काम करती है जिसका मनुष्य एक अहम हिस्सा है। इसलिए कह ले सकते हैं कि कविता सबसे पहले रचनाकार को बदलती है। कविता लिखने के बाद या लिखते हु...
हम अपनी समझदारी की धाक नासमझ दिल्लीवालों पर तो जमा ही सकते हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स जैसा इंटरनेशनल मौका है। चाहें तो विदेशियों और खिलाड़ियों पर भी अपना रौब गालिब कर सकते हैं। किसने कहा है कि रौब गालिब करने के ल...
कल फिर मिलेंगे
8 comments:
bahut badhiya charcha .achche link mile....abhaar.
बेहतरीन लेखों का जोड़.... बहुत खूब!
्काफ़ी अच्छी चौपाल सजाई है ………………काफ़ी लिंक्स मिले…………आभार्।
meri post ko lene ke liye bahut bahut shukriya.
acchhe links mile.
aabhar.
सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
'कितनी दूर और चलना है' को चौपाल में स्थान देने के लिये आपकी आभारी हूँ ! इसके अलावा भी अन्य कई महत्वपूर्ण और सुन्दर रचनाओं की लिंक्स मिली ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
बिलकुल साफ़ सुथरी सुन्दर चर्चा.. बारिश में नही-धुली.. :) ये बरसता पानी कैसे लगाया बताइयेगा हमें भी..
बरसता पानी हमने नहीं मनोज जी ने लगाया था अपने ब्लाग में हमने तो उनके ब्लाग से लिंक उठाकर लगाया है। अब ये कैसे लगाया यह तो मनोज जी ही बता सकते हैं
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