बच्चे हैं या बाप रे बाप.., डांटा तो बच्चे छलांग लगा देंगे या फिर.-ब्लाग चौपाल राजकुमार ग्वालानी
>> Tuesday, July 13, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
आज ब्लाग चर्चा करने बैठे तो देखा कि बच्चों पर बहुत कुछ लिखा गया है, ऐसे में हमने सोचा कि आज की चर्चा में इसी को महत्व दिया जाए। हमारी कोशिश रहती है कि कम से कम दो ऐसी पोस्ट हों जिसका विषय एक जैसा हो ते उसे मिलाकर शुरुआत की जाए। चलिए देखे कौन क्या लिखता है....
स्पाइडरमैन...* *सारे घर के बदल डालूंगा..*. *चॉकलेट की बच्ची तू छिपी है कहां...* *छलकाए जाम, आइए आपकी आंखों के नाम..
पता नहीं ये मेरा दिल है या कोई सच जो मुझे कुछ बता रहा है एक पुल नाज़ुक से दिल का बेरहमी से जला कर आई हूँ तुम्हारे पास... मगर यहाँ कुछ पराये से साए क्यूँ नज़र आते हैं जिन्हें तुम अपना नहीं कहते हो.......
अफगानिस्तान के तालिबान आतंकी गिरोह ने अमेरिका से लड़ने के लिए बंदरों को आतंकी प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया है। इस तरह की रिपोर्ट चीन,अमेरिका और ब्रिटिश मीडिया में छपी हैं। कुछ पत्रकारों ने बंदरो...
मन बेचैन है बेहद्।पता नही कल अख़बार की सुर्खियां क्या होगी?शाम ढलते ही खबर मिली की बस्तर मे आधा दर्ज़न जगहों पर पुलिस और नक्सलियों के बीच फ़ायरिंग शुरू है।अब भला बताईये ये भी भला कोई खबर है,कि फ़लाना जवान मारे...
ओ अध्यापक, अब तुम्हारे दिन चले गये। अरे जब बच्चों को जन्मने वाले माता-पिता की कोई औकात नहीं रही तो मास्टर की क्या बिसात? चुपचाप स्कूल में आओ, पढ़ाओ और अपने घर जाओ। बच्चे स्कूल में क्या कर रहे हैं, पढ़ रहे है...
गिरीश पंकज कहते हैं- हँसना भूल गया बेचारा ...
बिना किसी भूमिका के फिर एक बिल्कुल नई ग़ज़ल. मैं जो कहना चाहता हूँ, शेर तो कह रहे है. शुभकामनाएं चाहिए, दुवाओं में याद करते रहें, बस....* पद क्या पाया मद है भाई वैसे बौना कद है भाई हँसना भूल गया बेचारा ...
साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा शताब्दी की कालजयी कहानियों का चयन किया गया है। चयनित कहानियां किताब घर प्रकाशन से ४ खण्डों में प्रकाशित हुई है। विगत सौ वर्षों से कथा लेखकों में छत्तीसगढ़ के गांव लिमतरा से ...
तुम्हारा साथ पाने की उद्विग्नता ... हड्डियों के ढांचे से चिपके मांस में छिपी रक्त धमनियों को उकसा देती है . चाहतें परछाइयाँ बन कर पीछा नहीं छोडती... मानो तिल की तरह शरीर पर पड कर या..
दिल रोता है में- अस्मत दो, तो ही छोड़ेंगे तुम्हारे बाप को' अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
महिला से प्राप्त जानकारी के अनुसार उसका पति किसी प्रकरण में पिछले डेढ़ साल से जेल में बंद है शुक्रवार को उक्त महिला के भाई को पुलिस बिजली बिल न देने के कारण घर से उठाकर ले गई थी जिसके संबंध में वह महिला अप...
हिंदी ब्लॉगजगत के पास एक ऐसी उत्कृष्ट लेखिका हैं , जिनकी कथा-कहानियों में परिस्थितियों से उत्पन्न विविध प्रकार के भौन्जालों के बीच विवशताभरी छटपटाहट का खुला दस्तावेज सम सम्मुख आता है , साथ ही जन-समुदाय के ...
मनोज कुमार के खुली आँखों के सपने
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पन्त ने कविता की परिभाषा देते हुए कहा है, *"कविता परिपूर्ण क्षणों की वाणी है।"* मतलब कविता काप्रस्फुटन तब तक नहीं हो पाता जब तक कि आपके मनः-मष्तिष्क का विचार-घट पु...
पहली कहानी काफी पुरानी है। सबने पढी-सुनी होगी। एक राजकुमारी को उसकी सौतेली माँ बहुत तंग करती थी। एक दिन हैरान परेशान राजकुमारी अपने बागीचे में घूम रही थी कि उसे वहां एक मेढक दिखाए पड़ा। मेढक ने राजकुमारी से...
*जब आपके घर कोई खास मेहमान आए और आपने उनसे पूछा ‘क्या लेंगें ?’ और मेहमान ने कहा कि ‘कुछ नहीं’ तो आप लगते हैं झुंझलाने कि आखिर कहां से लाउं ‘कुछ नहीं’ .... आखिरकार अब इस समस्या का भी हल मिल ही गया...आप खुद...
प्रिय बन्धु संस्कृतप्रशिक्षणकक्ष्या का तीसरा अभ्यास आज प्रकाशित किया है इसका लिंक नीचे दे रहा हूँ । संस्कृतप्रशिक्षणकक्ष्या - तृतीय: अभ्यास: आपलोगों की संस्कृत में श्रद्धा यूँ ही बनी रहे इ...
कल फिर मिलेंगे
3 comments:
बहुत अच्छे लिंक्स मिले ..
बेहद सार्थक चर्चा………………काफ़ी लिंक्स मिल गये……………आभार्।
बहुत रही ये चर्चा।
Post a Comment