छत्तीसगढ़ में राम, अब से रावण नहीं मरेगा-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Thursday, July 29, 2010
त्यौहारों का मौसम आ गया है। सावन के बाद अब लगातार त्यौहार की त्यौहार हैं। आने वाले समय में राम और रावण का भी त्यौहार आएगा, लेकिन हमारे ब्लाग जगत में अभी से राम-रावण की बातें हो रही हैं।.....
द्वारा ग्राम चौपाल - 7 घंटे पहले पर पोस्ट किया गया
*छत्तीसगढ़ में राम* भगवान राम ने अपने 14 वर्ष के बनवास काल में 10 वर्ष छत्तीसगढ़ में गुजारे हैं। यह निष्कर्ष “राम वनगमन मार्ग शोध दल” ने अंचल का दौरा कर तथा भगवान राम से सम्बंधित विभिन्न ग्रंथों यथ...
अब से रावण नहीं मरेगा कहते हैं, रावण व्यथित नहीं होता मैं, कैकसी-विश्वश्रवा पुत्र दसग्रीव सूर्पनखा सहोदर, मंदोदरी पति, लंकेश अपराधी हूँ , हाँ! मैं अपराधी हूँ... पर मात्र एक अक्षम्य अपराध सी...
इधर लगातार कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं जिनसे जनतंत्र के पक्षधरों का चिंतित होना स्वाभाविक है। अभी हाल में नई दिल्ली स्थित एक टीवी चैनल पर कतिपय लोगों ने इसलिए हमले किए हैं कि उसके द्वारा रिपोर्ट-वि...
मौलिक विज्ञान लेखन * ** * आसमान में कितने तारे ? विश्वमोहन तिवारी प्राक्कथन आज का युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा देश विश्व में सम्मान से रहे और समृद्ध रहे तब हमें...
सड़क किनारे झोपड़ी गरीब की … गहन अँधेरा रात का ……. पर उसे तो है रात भर जागना….. आज रात को जागना है उसे …. दाई से खबर सुनने को ….. आधी रात यूं बोली दाई …… गरीब तेरे घर लक्ष्मी आई , आधी रात बाद जगा बेटी की ...
नास्तिक हो जाने से अच्छा होता, मैँ नास्तिक ही होता। तुझे क्या पता, ईश्वर, मानव मन की पीड़ा और उस अहसास का जो एक आदमी के संपूर्ण जीवन मेँ संचित धारणाओँ के धराशायी होने पर उसके अंतर मेँ पैदा... मेरे हिंदी कव...
इत्तिफाक...एक अगस्त...फ्रेंडशिप डे...और हमारी IIMC का रियुनियन एक ही दिन...वक़्त बीता पता भी नहीं चला...पांच साल हो गए...२००५ में में पहला दिन था हमारा...आज...पांच साल बाद फिर से सारे लोग जुट रहे हैं... --...
मैं स्वतन्त्र लेखक-पत्रकार हूँ. संघर्ष मेरे जीवन का पाथेय-सा बन गया है, क्या करुँ. किसी तरह अपना छोटा-सा दफ्तर बनाया है. जिसका मालिक, चपरासी, मैसेंजर सबकुछ मै हूँ. मैंने अपने कार्यालय में प्रख्यात चिन्तक ...
अविनाश वाचस्पति कहते हैं- हिन्दी ब्लॉग जगत में टिप्पणी दान महादान है : दानवीर बनिए कंजूसी मत करिए
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महेन्द्र मिश्र की एक चिट्ठी मानसून के नाम...
कल फिर मिलेंगे
एक चिट्ठी मानसून के नाम... प्रिय हे मानसून जी ... यहाँ हम सब धरती वासी अच्छी तरह से हैं और हम सभी आशा करते हैं की आप जहाँ भी होंगें अच्छी तरह से होंगें . हर वर्ष हम सभी गरमी के सीजन की समाप्ति के बाद से...
लिमटी खरे कहते हैं- कामन वेल्थ गेम्स का रास्ता काटते मणिशंकर
अच्छा तो हम चलते हैंकिसे ''शैतान'' बताने की जहमत उठा रहे हैं अय्यर? * ** *कांग्रेसी ही नहीं चाह रहे राष्ट्रमण्डल खेल की सफलता * *अय्यर उवाच: शैतान ही पैसे की बरबादी का कर सकते समर्थन * *रक्षात्मक मुद्रा में दिख रही का...
भाई आज एक तो पहले ही लेट हो चुके हैं. उस पर से यदि हम आप लोगों से बतियाने बैठ गए तो आप भी कहेंगें कि एक तो सुबह से चर्चा बाँचने को नही मिली, आधा दिन गुजर गया और अब आए हैं तो आते ही बातों मे...
कोई जंगल बचा रहा है, कोई पहाड, कोई पेड तो कोई नदी, कोई लडकी तो कोई बच्चा. नहीं है किसी का ध्यान, छीजती इंसानियत पर. कोई आओ, बचाओ उसे. वह बच गई तो सब बच जाएंगे, पेड, पहाड,धरती, स्त्री, बच्चे, खेत- सबकुछ....
कल तक नम थीं सिर्फ आँखें आज दिल भी नम है. कोई मॉनसून आ पहुंचा है अब तक शायद तुम से टकराने के बाद ....
कल फिर मिलेंगे
3 comments:
उम्दा चौपाल जमाई.
बढ़िया चौपाल....आभार
बेहद उम्दा चौपाल सजाई……………काफ़ी लिंक्स तो यहीं मिल गये।
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