कृपया सावधान रहें, महंगाई डायन खाय जात है...-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
>> Friday, July 16, 2010
सभी को नमस्कार करता है आपका राज
बस अब से कुछ समय बाद ही हमें नयी राजधानी में बनने वाले खेलगांव में खेल संघों के साथ वृक्षारोपण करने जाना है। सोचा जानने से पहले आज की चर्चा को अंजाम दे दिया जाए। देखे कौन क्या कहता है...
महंगाई डायन खाय जात है ....... * इन दिनो फिल्म “ पिपली (लाईव) ” का यह गीत खूब चल पड़ा है ठीक वैसे ही जैसे कि पिछले एक दो वर्षो से “ सास गारी देवे ...... ” वाला ...
देखिए क्या बदमाशी है, गधे के बच्चे मेरे नाम से मुझे ही फर्जी मेल भेज रहे हैं। एक फोटो में मेरा स्पेम फोल्डर दिख रहा है जिसमें 1 new photo on my Daily Flog और check out this photo on MyDailyFlog लिखा दिख ...
जितने दुःख, जितनी विपत्तियाँ हमें प्राप्त होती हैं, उनका कारण यही है कि अनन्त ऐश्वर्य युक्त सर्वशक्तिमान ईश्वर की ओर से हम भिन्नता का भाव रखते हैं मनुष्य तब तक अपनी शक्ति को ठीक ठीक प्राप्त नहीं
परिवर्तन शब्द अपने आप में कितना कुछ समाहित करके रखता है, एक युग से दूसरे युग का परिवर्तन हो, या फिर एक सदी से दूसरी सदी का परिवर्तन, एक देश से दूसरे देश में जाने का, या फिर एक संस्कृति से दूसरी संस...
आज, 17 जुलाई को महाजाल पर ... वाले सुरेश चिपलूनकर, तलाश वाले सुशील सिंह छौक्कर का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएं आने वाले जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें। अपने म...
सियासत खून पीती है हमारा तो ग़लत क्या है दरख्ते ज़िन्दगी पर बेल हमने ख़ुद चढ़ाई है कभी ये शेर कहने वाले कवि और शायर डा.त्रिमोहन तरल की गजलें *साखी पर
रायपुर । द्वितीय प्रमोद वर्मा स्मृति आलोचना सम्मान से प्रतिष्ठित कथा आलोचक मधुरेश और युवा आलोचक ज्योतिष जोशी को सम्मानित किया जायेगा । यह सम्मान उन्हें 31 जुलाई, प्रेमचंद जयंती के दिन रायपुर, छत्तीसगढ़ ...
ललित जी की उम्दा कविता पढी तो अपनी यह पुरानी पोस्ट याद आ गयी * एक गांव के बाहर एक घना वट वृक्ष था। जिसकी जड़ों में एक दो फुटिया पत्थर खड़ा था। उसी पत्थर और पेड़ की जड़ के बीच एक श्वान परिवार मजे से रहता आ रहा...
संगीता स्वरुप ( गीत ) के ख्यालों के निशाँ
साहिल है मेरी सोच मन के सागर की तेरी यादों की रेत पर मेरे ख्यालों के निशाँ हैं उन नक़्शे पाँव पर जब मैंने अपनी चाहत को रखा तो हकीक़त की लहर ने मिटा दिए आ कर मेरी कल्पना के निशाँ ... ...
राजकुमार सोनी बता रहे हैं- पुरानी खांसी
कहते हैं कि यह देश किसानों का देश है, लेकिन दुनिया के पेट को रोटी देने वाला किसान जिस तरह से भूखा रहता है। दाने-दाने को तरसता है, उसे देखकर नहीं लगता है कि वास्तव में यह देश किसानों का सम्मान करना भी जानत...
अच्छा तो हम चलते हैं
कल फिर मिलेंगे
कल फिर मिलेंगे
4 comments:
बढ़िया लगी ब्लॉग चौपाल !
बहुत बढ़िया रही यह ब्लॉग चौपाल ....आभार
हर बार की तरह सुन्दर चौपाल सजाई है।
Awesome!!
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